मुंबई, 15 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): महाराष्ट्र सरकार ने राज्य को बांस आधारित उद्योग में अग्रणी बनाने के उद्देश्य से बांस उद्योग नीति 2025 को मंजूरी दे दी है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में इस नीति को हरी झंडी दी गई, जिसका लक्ष्य है अगले 10 वर्षों में ₹50,000 करोड़ निवेश और 5 लाख से अधिक रोजगार सृजित करना।
क्या है बांस उद्योग नीति 2025?
इस नीति के तहत राज्य में अगले 5 वर्षों में 15 समर्पित बांस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे, जिनमें अमरावती और भंडारा जैसे प्रमुख बांस उत्पादक क्षेत्र शामिल हैं। विदर्भ क्षेत्र, जो उपजाऊ परंतु उपयोग न हो रही जमीनों से भरपूर है, इस नीति के क्रियान्वयन में मुख्य भूमिका निभाएगा।
वर्तमान में महाराष्ट्र 13.5 लाख हेक्टेयर बांस क्षेत्रफल के साथ देश में तीसरे स्थान पर है। 2022 में राज्य ने 9.47 लाख टन बांस उत्पादन किया था, जिसे नीति लागू होने के बाद 157 लाख टन वार्षिक उत्पादन तक बढ़ाया जा सकता है।
नीति की मुख्य विशेषताएं:
₹1,534 करोड़ का प्रावधान 2025-30 के कार्यान्वयन हेतु
₹11,797 करोड़ का बजट अगले 20 वर्षों के लिए
₹50 करोड़ चालू वित्तीय वर्ष में तत्काल शुरुआत के लिए
₹300 करोड़ वेंचर कैपिटल फंड बांस स्टार्टअप्स और MSMEs के लिए
सूक्ष्म-CFCs, FPOs, और प्रशिक्षण-सब्सिडी से किसानों को मदद
MNREGA और सार्वजनिक ज़मीन पर बांस रोपण अभियान
थर्मल पावर प्रोजेक्ट्स में 5-7% बांस बायोमास का प्रयोग
सरकार अंतरराष्ट्रीय संस्थानों, कृषि विश्वविद्यालयों, और तकनीकी उपकरणों जैसे GIS, ड्रोन, ब्लॉकचेन और टिशू कल्चर लैब्स की मदद से बांस मूल्य शृंखला को सशक्त बनाएगी।
एक अनुमान के मुताबिक, 2030 तक ग्लोबल बांस बाज़ार 88.43 अरब डॉलर तक पहुँचने की संभावना है। इस नीति से महाराष्ट्र हरित अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूत भागीदारी सुनिश्चित करना चाहता है और इसमें विदर्भ क्षेत्र को केंद्रबिंदु बनाया गया है।
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