आज से बदले LPG सिलेंडर के दाम: कॉमर्शियल गैस 10 रुपये तक सस्ती, घरेलू सिलेंडर के रेट स्थिर

नई दिल्ली, 01 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): 1 दिसंबर की सुबह LPG उपभोक्ताओं के लिए नई कीमतें जारी हुईं, जिनका सीधा असर आम आदमी से लेकर होटल-रेस्तरां चलाने वाले कारोबारियों तक पर पड़ता है। इस बार राहत सिर्फ नीले रंग वाले कॉमर्शियल LPG सिलेंडर में मिली है, जिसकी कीमत चारों महानगरों में लगभग 10 रुपये कम कर दी गई है। घरेलू रसोई गैस सिलेंडर की कीमतें इस महीने भी स्थिर बनी हुई हैं।

कॉमर्शियल गैस की कीमतों में यह छोटा बदलाव व्यवसाय चलाने वालों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि खर्च में मामूली गिरावट भी लाभ मार्जिन पर असर डालती है। नए रेट लागू होने के बाद उपभोक्ताओं के लिए बजट बनाना और आने वाले खर्च का अनुमान लगाना आसान होगा।

कॉमर्शियल LPG सिलेंडर के बदले हुए दाम (19 किलो)
1 दिसंबर से चारों महानगरों में कॉमर्शियल सिलेंडर की कीमतों में लगभग 10 रुपये की कमी आई है।

  • दिल्ली: ₹1590.50 → ₹1580.50
  • कोलकाता: ₹1694 → ₹1684
  • मुंबई: ₹1542 → ₹1531.50
  • चेन्नई: ₹1750 → ₹1739.50

चारों शहरों में उपभोक्ताओं को लगभग 10 रुपये प्रति सिलेंडर की राहत मिली है।

घरेलू LPG सिलेंडर—रेट वही, बदलाव नहीं
14.2 किलोग्राम वाले घरेलू LPG सिलेंडर की कीमत इस बार भी बिना किसी बदलाव के जारी की गई है। इंडियन ऑयल के अनुसार:

  • दिल्ली: ₹853
  • मुंबई: ₹852.50
  • कोलकाता: ₹879
  • चेन्नई: ₹868.50
  • लखनऊ: ₹890.50
  • पटना: ₹951
  • कारगिल: ₹985.50
  • पुलवामा: ₹969
  • बागेश्वर: ₹890.50

घरेलू रेट हर महीने संशोधित किए जाते हैं, लेकिन इस बार कीमतें स्थिर रहीं।

राज्यों में कीमतें अलग क्यों होती हैं?
LPG की अंतिम कीमत इम्पोर्ट पैरिटी प्राइस (IPP) के आधार पर तय होती है। इसमें क्रूड ऑयल की अंतरराष्ट्रीय कीमतें, डॉलर-रुपया विनिमय दर, फ्रेट चार्ज और टैक्स शामिल होते हैं। हर राज्य में वैट, लॉजिस्टिक्स और स्थानीय चार्ज अलग-अलग होने के कारण एलपीजी एक ही दिन अलग-अलग राज्यों में अलग कीमत पर मिलती है।

सरकार की उज्ज्वला योजना के तहत सब्सिडी पात्र उपभोक्ताओं को सीधे बैंक खाते में भेजी जाती है, जिससे उनका प्रभावी खर्च कम हो जाता है।

परिवहन और वितरण लागत का भी असर
एलपीजी गैस को रिफाइनरी और स्टोरेज डिपो से शहरों और गांवों तक पहुंचाने की लागत अलग-अलग होती है। पहाड़ी और दूर-दराज़ क्षेत्रों में परिवहन लागत अधिक होने से सिलेंडर महंगे पड़ते हैं। महानगरों में सप्लाई नेटवर्क विकसित होने से डिलीवरी लागत कम रहती है। इसके अलावा, स्थानीय नियम और डीलर मार्जिन भी अंतिम कीमत पर प्रभाव डालते हैं।

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