मुंबई, 19 सितंबर।
महाराष्ट्र सरकार अब किसानों के लिए बांस को एक नए क्रांतिकारी विकल्प के रूप में सामने ला रही है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने घोषणा की है कि राज्य में जल्द ही बांस उद्योग नीति (Bamboo Industry Policy) लागू की जाएगी, जिसके तहत किसानों को प्रोत्साहन देने के लिए शाश्वत और सशक्त बाजारपेठ तैयार की जाएगी।
वे मुंबई के यशवंतराव चव्हाण प्रतिष्ठान में आयोजित अंतरराष्ट्रीय बांस दिवस (International Bamboo Day) पर बोल रहे थे। इस अवसर पर “महाराष्ट्र इंस्टीट्यूशन फॉर ट्रांसफॉर्मेशन” (MITRA) और फिनिक्स फाउंडेशन की ओर से बांस परिषद सम्मेलन आयोजित किया गया था। कार्यक्रम में राज्य के मंत्री, कृषि विशेषज्ञ और उद्योग जगत के प्रतिनिधि मौजूद रहे।
किसानों के लिए स्थिरता का विकल्प बनेगा बांस
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण कपास और सोयाबीन जैसी फसलें प्रभावित हो रही हैं। वहीं, बांस ऐसा टिकाऊ फसल है जो किसानों को दीर्घकालीन स्थिरता और बेहतर आय दिला सकता है। गन्ने की तरह यह भी एक बार लगाने पर लंबे समय तक उपज देता है और ज्यादा देखभाल की आवश्यकता नहीं होती।
उन्होंने कहा कि किसानों को आकर्षित करने के लिए बांस क्षेत्र में एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र बनाया जाएगा। साथ ही मांग और आपूर्ति श्रृंखला को सुदृढ़ किया जाएगा। राज्य सरकार बांस से बने उत्पादों को अपनी खरीद नीति में शामिल करेगी ताकि उत्पादन को प्रोत्साहन मिल सके।
शासकीय भूमि पर बड़े पैमाने पर बांस रोपण
मुख्यमंत्री ने बताया कि राज्य की बंजर और परती सरकारी भूमि पर बड़े पैमाने पर बांस लगाने का अभियान चलाया जाएगा। इसके साथ ही जिन जिलों में ऊर्जा परियोजनाएं हैं, वहां भी बांस की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा। गढ़चिरौली जिले में 5,000 से अधिक वृक्षारोपण के साथ बांस भी लगाया जाएगा।
उन्होंने यह भी कहा कि बांस की उपज में सामान्यतः तीन साल लगते हैं, लेकिन शोधकर्ताओं को ऐसी किस्में खोजनी चाहिए जो दो साल में उपज देने में सक्षम हों। बांस के साथ नेपियर घास लगाने से किसानों को अतिरिक्त लाभ हो सकता है।
किसानों को मिलेगा प्रोत्साहन और सुनिश्चित बाजार
मुख्यमंत्री फडणवीस ने स्पष्ट किया कि बांस की खेती को बढ़ावा देने के लिए महानिर्मिती (महाजेनको) कंपनियों की मदद से किसानों को मनरेगा जैसी योजनाओं की तर्ज पर प्रोत्साहित किया जाएगा। इसके लिए एक मास्टर प्लान तैयार किया जाएगा। राज्य सरकार बांस की कीमत तय करने और बाजार उपलब्ध कराने में भी मदद करेगी।
बांस: पर्यावरण और अर्थव्यवस्था का संरक्षक
राज्य कृषि मूल्य आयोग के अध्यक्ष और मुख्यमंत्री पर्यावरण सतत विकास कार्यबल के अध्यक्ष पाशा पटेल ने कहा कि बांस को कल्पवृक्ष कहा जाता है। यह केवल किसानों को स्थिरता ही नहीं देगा, बल्कि महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था की रीढ़ भी बन सकता है। उन्होंने सुझाव दिया कि सभी सरकारी कार्यालयों में बांस की बाड़ लगाई जाए और जंगल के किनारों पर बांस रोपण किया जाए ताकि वन्यजीव समस्या को भी कम किया जा सके।
बांस मिशन मिशन मोड में
मुख्यमंत्री फडणवीस ने घोषणा की कि राज्य में बांस मिशन को मिशन मोड में लागू किया जाएगा। परिषद में हुई चर्चाओं और सुझावों को गंभीरता से लेकर नीति निर्माण में शामिल किया जाएगा।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने नामदेव कापसे की पुस्तक ‘बांस लागवड काळाची गरज’ का विमोचन भी किया।
महाराष्ट्र में बांस खेती को लेकर सरकार का यह कदम न केवल किसानों के लिए नई आय का स्रोत बनेगा बल्कि पर्यावरण संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी मजबूती देगा। आगामी बांस उद्योग नीति से राज्य के हजारों किसान एक नई हरित क्रांति की ओर कदम बढ़ाएंगे।
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