नई दिल्ली, 1 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
उत्तर भारत (UP) में कपास (Cotton) की खरीद में महत्वपूर्ण गिरावट देखी जा रही है, जिससे कपास की मंदी की स्थिति उत्पन्न हो गई है। विशेष रूप से पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्यों में स्पिनिंग मिलों की कमज़ोर खरीद और कपास उत्पादकों की बढ़ी हुई आपूर्ति ने इस संकट को और गहरा किया है।
उत्तर भारत के विभिन्न हिस्सों में कपास का उत्पादन इस साल अपेक्षाकृत अधिक हुआ है, लेकिन स्पिनिंग मिलों की खरीद में कमी के कारण किसानों और व्यापारियों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। स्पिनिंग मिलों द्वारा कपास की कीमतों में गिरावट और मांग में कमी के कारण किसानों को उचित मूल्य नहीं मिल रहा। इसके परिणामस्वरूप, किसानों के पास भंडारण की समस्या उत्पन्न हो रही है, और वे मजबूरी में सस्ते दामों पर अपने उत्पाद बेचने के लिए तैयार हो रहे हैं।
स्पिनिंग मिलों की खरीद कमजोर होने के पीछे मुख्य कारण कपास की कमजोर वैश्विक मांग और घरेलू स्तर पर कम उत्पादन के कारण निर्यात में कमी है। इसके अलावा, मिलों की आर्थिक दबाव के चलते कच्चे माल की कीमतों में उछाल और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी हो रही है, जिससे उनके लिए कपास की खरीद महंगी हो गई है।
किसानों को इस मंदी का सबसे अधिक नुकसान हो रहा है। यदि यह स्थिति बनी रहती है, तो उन्हें अपनी फसल का उचित मूल्य नहीं मिल पाएगा, और वे आर्थिक संकट का सामना कर सकते हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, स्पिनिंग मिलों की खरीदमें गिरावट ने उत्तरी भारत में कपास व्यापार को मंदी की ओर धकेल दिया है। इसका असर कृषि क्षेत्र, रोजगार और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर भी पड़ सकता है। सरकार को शीघ्र कदम उठाकर इस संकट का समाधान खोजना चाहिए।”
इस संकट के बीच, केंद्र और राज्य सरकारें कपास उत्पादकों के लिए निर्यात प्रोत्साहन योजनाएं और कपास के भंडारण को बढ़ावा देने वाली योजनाओं पर विचार कर रही हैं। सरकार का लक्ष्य है कि किसानों को उचित मूल्य मिले।
कपास की मंदी को दूर करने के लिए सरकार को कृषि ऋण, निर्यात नीति में सुधार और स्पिनिंग मिलों के लिए वित्तीय सहायता पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इसके अतिरिक्त, स्थिर मूल्य निर्धारण नीति भी जरूरी है।
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