क्रिसमस–न्यू ईयर से पहले केरल में बर्ड फ्लू की दस्तक, अलप्पुझा–कोट्टायम अलर्ट पर

Poultry News

मुंबई, 24 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): केरल में क्रिसमस और नए साल के त्योहार से ठीक पहले पोल्ट्री सेक्टर के लिए चिंता बढ़ाने वाली खबर सामने आई है। राज्य के अलप्पुझा और कोट्टायम जिलों के कई इलाकों में बर्ड फ्लू (एवियन इन्फ्लुएंजा) की पुष्टि हुई है। केंद्र सरकार की उच्च सुरक्षा प्रयोगशाला में जांच के बाद संक्रमण की पुष्टि होते ही प्रशासन अलर्ट मोड में आ गया है।

हालांकि, फिलहाल पोल्ट्री मांस के सेवन पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया गया है, लेकिन प्रभावित क्षेत्रों में सख्त निगरानी और नियंत्रण उपाय लागू कर दिए गए हैं।

कहां-कहां मिला संक्रमण

पशुपालन विभाग के अनुसार, भोपाल स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई-सिक्योरिटी एनिमल डिजीज़ (NIHSAD) में कराई गई जांच में हाईली पैथोजेनिक एवियन इन्फ्लुएंजा वायरस की पुष्टि हुई है।

अलप्पुझा जिला: अलप्पुझा जिले की आठ पंचायतों के एक-एक वार्ड में संक्रमण पाया गया है। इनमें नेदुमुडी, चेरुथाना, करुवट्टा, कार्तिकप्पल्ली, अंबलापुझा साउथ, पुन्नाप्रा साउथ, थकाझी और पुरक्कड़ शामिल हैं। यहां नेदुमुडी में मुर्गियां, जबकि बाकी इलाकों में बतख (डक) संक्रमित पाई गई हैं।

कोट्टायम जिला: कोट्टायम जिले के चार गांवों—कुरुप्पंथरा, मंजूर, कल्लुपुरक्कल और वेलूर—में बर्ड फ्लू के मामले सामने आए हैं। इन इलाकों में बटेर (क्वेल) और मुर्गियां संक्रमित मिली हैं।

सरकार और प्रशासन की प्रतिक्रिया

पशुपालन मंत्री ने बताया कि संक्रमण की आशंका सामने आने के बाद एक सप्ताह पहले ही नमूने एकत्र कर केंद्रीय प्रयोगशाला भेजे गए थे। रिपोर्ट की पुष्टि के बाद अब प्रकोप की गंभीरता का आकलन किया जा रहा है। सरकार ने स्पष्ट किया है कि स्थिति से निपटने के लिए केंद्र सरकार की 2021 की संशोधित एवियन इन्फ्लुएंजा गाइडलाइंस के अनुसार कदम उठाए जाएंगे।

प्रारंभिक जांच में यह भी आशंका जताई गई है कि संक्रमण प्रवासी पक्षियों (Migratory Birds) के जरिए फैला हो सकता है। पिछले वर्ष भी अलप्पुझा, कोट्टायम और पथानामथिट्टा जिलों में इसी तरह के मामले सामने आए थे।

प्रशासन ने प्रभावित इलाकों के 10 किलोमीटर के दायरे में मुर्गी, बतख, बटेर और अन्य घरेलू पक्षियों की आवाजाही पर रोक लगाने का फैसला किया है। जरूरत पड़ने पर संक्रमित और संदिग्ध पक्षियों की कुलिंग भी की जाएगी। आसपास के स्थानीय निकायों और फार्मों में निगरानी बढ़ा दी गई है।

त्योहारों से पहले किसानों की चिंता बढ़ी

यह प्रकोप ऐसे समय सामने आया है जब पोल्ट्री किसान पहले से ही बढ़ती लागत और सीमित मार्जिन से जूझ रहे हैं। क्रिसमस और न्यू ईयर के दौरान केरल में पोल्ट्री मांस की मांग आमतौर पर तेज रहती है। राज्य में सामान्य तौर पर हर सप्ताह करीब 1 करोड़ किलो चिकन की खपत होती है।

विशेषज्ञों के अनुसार, पिछले पांच वर्षों में बर्ड फ्लू के कारण कुट्टनाड क्षेत्र में बतख पालन को भारी नुकसान हुआ है। खुले वातावरण में होने वाला बतख पालन, आधुनिक बंद शेड में चलने वाले पोल्ट्री फार्म की तुलना में संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील रहता है।

ब्रॉयलर उद्योग से जुड़े संगठनों का कहना है कि फिलहाल इसका असर सीमित इलाकों तक ही रहने की संभावना है और यह स्थिति लंबे समय तक कारोबार को प्रभावित नहीं करेगी। हालांकि, त्योहारों के मौसम में अनिश्चितता के चलते किसान और व्यापारी पूरी तरह सतर्क हैं।

क्रिसमस और न्यू ईयर से पहले केरल में बर्ड फ्लू की पुष्टि ने पोल्ट्री सेक्टर की चिंता जरूर बढ़ाई है, लेकिन प्रशासनिक सतर्कता और नियंत्रित कदमों से बड़े स्तर पर असर से बचाव की कोशिश की जा रही है।

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