राजस्थान: हनुमानगढ़ में इथेनॉल प्लांट को लेकर बवाल – किसानों का प्रदर्शन हिंसक, कई सरकारी गाड़ियां फूंकीं

जयपुर, 11 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के राठीखेड़ा गांव में अनाज आधारित इथेनॉल फैक्टरी के विरोध में चल रहा किसानों का प्रदर्शन बुधवार को अचानक हिंसक हो उठा। स्थानीय किसानों का आरोप है कि फैक्टरी का निर्माण बिना एनवायरनमेंट क्लियरेंस (EC) और बिना जनसहमति के किया जा रहा है, जिससे क्षेत्र के भूजल, पर्यावरण और कृषि पर गंभीर खतरा पैदा होगा। इसी नाराजगी ने देखते-ही-देखते उग्र रूप ले लिया।

कैसे भड़की हिंसा?

राठीखेड़ा में चंडीगढ़ स्थित ड्यून इथेनॉल प्राइवेट लिमिटेड 40 मेगावाट क्षमता वाला अनाज आधारित इथेनॉल प्लांट बना रही है। कंपनी का दावा है कि यह प्रोजेक्ट केंद्र सरकार के इथेनॉल ब्लेंडेड पेट्रोल (EBP) कार्यक्रम को गति देगा। लेकिन किसानों का कहना है कि जब पर्यावरण स्वीकृति 2022 से लंबित है, तो निर्माण कैसे जारी है?

बुधवार दोपहर किसानों ने टिब्बी एसडीएम कार्यालय के बाहर एक बड़ी सभा की। शाम होते ही सैकड़ों किसान ट्रैक्टरों पर सवार होकर फैक्टरी पहुंचे। दीवार गिराने की कोशिश के दौरान पुलिस ने रोकने की कोशिश की, जिसके बाद झड़प शुरू हो गई। कुछ ही देर में हालात बेकाबू हो गए—किसानों ने फैक्टरी की चारदीवारी तोड़ दी, पुलिस और प्रशासन की करीब 16 गाड़ियों में तोड़फोड़ कर दी और बाद में उन्हें आग के हवाले कर दिया। स्थिति संभालने के लिए पुलिस ने लाठीचार्ज और आंसू गैस का इस्तेमाल किया।

इस घटना में कांग्रेस विधायक अभिमन्यु पूनिया घायल हो गए, जिन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। कई पुलिसकर्मी और अधिकारी भी चोटिल हुए हैं।

कांग्रेस का समर्थन, भीड़ बढ़ने की आशंका

घटना के बाद श्रीगंगानगर जिला कांग्रेस अध्यक्ष और करणपुर विधायक रुपिंदर सिंह कुन्नर ने किसानों के समर्थन का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस किसानों की लड़ाई सड़क से लेकर विधानसभा तक लड़ेगी और कार्यकर्ताओं से बड़ी संख्या में राठीखेड़ा पहुंचने की अपील की है। इससे क्षेत्र में राजनीतिक हलचल तेज हो गई है और भीड़ बढ़ने की आशंका जताई जा रही है।

प्रशासन सतर्क, इंटरनेट बंद और धारा 144 लागू

हिंसा के बाद प्रशासन ने टिब्बी कस्बे और आसपास के गांवों में इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी हैं। क्षेत्र में धारा 144 लागू कर भीड़ जुटाने पर रोक लगा दी गई है। एहतियातन सभी स्कूल, कॉलेज और बाजार भी बंद करा दिए गए हैं। बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात कर हालात पर लगातार निगरानी की जा रही है।

किसान संगठनों का कहना है कि प्लांट को पर्यावरण स्वीकृति और स्थानीय समुदाय की सहमति मिलने तक किसी भी हालत में यहां काम शुरू नहीं होने दिया जाएगा। कंपनी प्रबंधन—डायरेक्टर जतिंदर अरोड़ा और रॉबिन जिंदल—की ओर से अब तक इस घटना पर कोई प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है।

तनाव बरकरार, संवाद की कोशिशें जारी

प्रशासन, पुलिस और किसान नेताओं के बीच संवाद की कोशिशें जारी हैं, लेकिन फिलहाल राठीखेड़ा और आसपास के गांवों में माहौल अत्यधिक तनावपूर्ण है। प्रशासन ने किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी है।

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