600 लाख टन से अधिक धान की खरीद,1.3 लाख करोड़ रुपये किसानों के खातों में पहुंचे

केंद्र सरकार ने शुक्रवार को कहा कि उसने खरीफ सत्र में उगाए गए 600 लाख टन से अधिक धान की खरीद की है। केन्द्र सरकार का दावा है कि इससे 75 लाख किसान लाभान्वित हुए हैं। धान के बदले सरकार ने किसानों को समर्थन मूल्य के रूप में 1,30,000 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है। खास बात यह है कि धान की खरीद अक्टूबर 2023 में शुरू हुई थी। ऐसे में सरकार को उम्मीद है कि महीनों में चावल की कीमत में गिरावट आएगी।

वहीं, खाद्य कानून और अन्य कल्याणकारी योजनाओं के तहत राशन की दुकानों के माध्यम से वितरण के लिए सालाना लगभग 400 लाख टन चावल की जरूरत होती है। लेकिन केंद्रीय पूल में 525 लाख टन से अधिक चावल उपलब्ध है। एक सरकारी बयान में कहा गया है कि सरकार मार्च 2024 से शुरू होने वाले रबी सीजन के दौरान गेहूं की अधिकतम खरीद की तैयारी कर रही है। गेहूं के लिए मुख्य उपाय उत्पादक राज्यों के परामर्श से किए जा रहे हैं।

चावल बेचेगी सरकार

वहीं, कल खबर सामने आई थी कि केंद्र सरकार चावल की बढ़ती कीमतों को कम करने के लिए अगले सप्ताह से ही खुले बाजार में चावल बेचेगी। इसके लिए सभी तैयारियां कर ली गई हैं। सरकार नाफेड, एनसीसीएफ और केंद्रीय भंडार की मदद से उपभोक्ताओं को सीधे 29 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से चावल बेचेगी। खास बात यह है कि चावल भी ‘भारत’ ब्रांड के तहत आटे की तरह 5 से 10 किलो के पैक में बिकता है। केंद्र को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से आम जनता को बड़ी राहत मिलेगी।

अब धान के स्टॉक की घोषणा करनी है

दरअसल, केंद्र सरकार ने चावल मिलों को दाम कम करने के निर्देश दिए थे। लेकिन इसके बावजूद चावल सस्ता नहीं हुआ। ऐसे में सरकार ने महंगाई पर काबू पाने के लिए ‘भारत’ ब्रांड के तहत चावल बेचने का फैसला किया। इसके साथ ही सरकार ने एसेंशियल कमोडिटी एक्ट भी लागू कर दिया है। अब व्यापारियों को 9 फरवरी से प्रत्येक शुक्रवार को निर्धारित पोर्टल पर चावल/धान के स्टॉक की घोषणा करनी होगी।

चावल के निर्यात पर पूरी तरह से रोक लगा सकती है सरकार

वहीं सरकार ने संकेत दिया है कि अगर घरेलू बाजार में कीमतों में गिरावट नहीं आती है तो उबले चावल के निर्यात पर पूरी तरह रोक लग सकती है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार चावल की कीमतें खुदरा बाजार में 14.5 प्रतिशत और थोक बाजारों में 15.5 प्रतिशत बढ़ी हैं। खाद्य सचिव संजीव चोपड़ा ने कहा कि कीमतों को नीचे लाने के लिए सभी विकल्प खुले हैं। उन्होंने कहा कि चावल नियंत्रण में होने के अलावा सभी आवश्यक खाद्य पदार्थों के मूल्य होने चाहिए।

 

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