नई दिल्ली, 01 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की है कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के अंतर्गत गन्ना अनुसंधान पर केंद्रित एक समर्पित टीम बनाई जाएगी। यह टीम देश में गन्ना अनुसंधान, रोग नियंत्रण, नई किस्मों के विकास और नीति निर्माण पर विशेष ध्यान देगी।
गन्ना किस्म 238 और चुनौतियाँ
केंद्रीय कृषि मंत्री ने बताया कि गन्ने की किस्म 238 में चीनी की मात्रा अच्छी है, लेकिन यह लाल सड़न रोग (red rot disease) के प्रति संवेदनशील है। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल एक किस्म पर निर्भर रहने की बजाय नए विकल्प विकसित करने की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा, “नई किस्में अक्सर नए रोग और जोखिम पैदा करती हैं। इसलिए रोग प्रबंधन गन्ना अनुसंधान की बड़ी चुनौती है।”
एकल फसल बनाम अंतर-फसल प्रणाली
चौहान ने एकल फसल (Monocropping) से जुड़ी समस्याओं का उल्लेख किया।
- पोषक तत्वों की कमी
- नाइट्रोजन स्थिरीकरण की सीमाएँ
- मिट्टी की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर
उन्होंने कहा कि गन्ना खेती में अंतर-फसल (Intercropping) को अपनाने की संभावनाओं का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन जरूरी है।
गन्ना उत्पादन में लागत, पानी और मशीनीकरण पर जोर
मंत्री ने स्वीकार किया कि:
- लागत कम करना,
- मशीनीकरण बढ़ाना,
- और चीनी उत्पादन में सुधार लाना प्राथमिकता है।
उन्होंने पानी को गंभीर चिंता का विषय बताया और कहा कि ‘प्रति बूँद, अधिक फसल’ (More Crop Per Drop) सिद्धांत को अपनाकर टपक सिंचाई (Drip Irrigation) को बढ़ावा देना होगा। हालाँकि उन्होंने माना कि किसानों के लिए टपक सिंचाई की लागत अधिक होती है, जिस पर विशेष ध्यान देना आवश्यक है।
चौहान ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए जैव-उत्पादों और वैल्यू-एडिशन पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा, एथेनॉल और शीरे (Molasses) का पहले से ही सफल उपयोग है, लेकिन किसानों को अधिक लाभ देने के लिए नए मूल्यवर्धित उत्पाद विकसित करने होंगे।
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