मुंबई, 08 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत के कपास बाजार में इस सीज़न दो बड़े अपडेट सामने आए हैं – CCI ने 2025-26 की शुरुआत में अब तक 72.89 लाख क्विंटल कपास की खरीद कर ली है, जबकि CAI ने देश के कपास प्रेसिंग अनुमान को बढ़ाकर 309.50 लाख गांठ कर दिया है। कमजोर बाजार भाव और MSP के बीच बढ़ते अंतर के कारण सरकारी खरीद तेज़ चल रही है, वहीं बेहतर पैदावार और अनुकूल मौसम के चलते उत्पादन अनुमान ऊपर की ओर संशोधित किया गया है। यह संयोजन आने वाले महीनों में सप्लाई, कीमतों और किसानों की आय – तीनों को प्रभावित करेगा।
इस सीज़न में कपास बाज़ार की तस्वीर
भारत में 2025-26 के कपास वर्ष (1 अक्टूबर 2025 से शुरू) की शुरुआत कमजोर बाज़ार भाव, ऊंचे MSP और सरकारी खरीद के तेज़ी से साथ हुई है। एक तरफ कॉटन कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CCI) ने समर्थन मूल्य (MSP) पर आक्रामक ढंग से खरीद बढ़ाई है, तो दूसरी तरफ कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने देश के कपास उत्पादन (pressings) का अपना अनुमान बढ़ाते हुए 309.50 लाख गांठ (170 किग्रा) कर दिया है।
सरकार ने 2025-26 के लिए मीडियम स्टेपल कपास का MSP ₹7,710 प्रति क्विंटल और लॉन्ग स्टेपल का MSP ₹8,110 प्रति क्विंटल तय किया है।
CCI की कपास खरीद: 72.89 लाख क्विंटल और अनुमानित 14.57 लाख गांठ
मार्केट एनालिटिक्स प्लेटफ़ॉर्म Agriwatch के नवीनतम आकलन के अनुसार, 28 नवंबर 2025 तक CCI ने 72.89 लाख क्विंटल कपास (कपास) की खरीद की है, जिसकी कुल वैल्यू लगभग ₹5,768 करोड़ आंकी गई है।
यदि 34% GOT (Ginning Out Turn) मान लिया जाए, तो यह मात्रा लगभग 14.57 लाख गांठ (170 किग्रा प्रत्येक) लिंट कपास के बराबर होती है।
राज्यवार प्रमुख खरीद (अनुमानित)
उपलब्ध ट्रेड डेटा के अनुसार CCI की अब तक की खरीद में दक्षिण और मध्य भारत का दबदबा है, विशेषकर तेलंगाना, महाराष्ट्र और कर्नाटक में। 28 नवंबर 2025 तक की प्रमुख राज्यों की अनुमानित हिस्सेदारी इस प्रकार है:
| राज्य | कपास खरीदी (लाख क्विंटल) | CCI की अनुमानित हिस्सेदारी (%) |
|---|---|---|
| तेलंगाना | 37.20 | ~51.0% |
| महाराष्ट्र | 11.94 | ~16.4% |
| कर्नाटक | 8.68 | ~11.9% |
| अन्य राज्य* | 15.07 | ~20.7% |
| कुल | 72.89 | 100% |
*अन्य में गुजरात, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान आदि शामिल हैं (जिनके लिए विभिन्न स्रोतों से सीमित आंकड़े उपलब्ध हैं)।
CCI की खरीद में तेलंगाना की आधी से अधिक हिस्सेदारी से यह संकेत मिलता है कि वहां बाज़ार भाव MSP से काफी नीचे चल रहे हैं और किसान बड़े पैमाने पर सरकारी खरीद केंद्रों की ओर रुख कर रहे हैं।
MSP बनाम बाज़ार भाव: सरकारी खरीद क्यों तेज़ है?
कई प्रमुख कपास उत्पादक राज्यों में ओपन मार्केट रेट MSP से नीचे हैं, जिसके कारण CCI को बड़े पैमाने पर दख़ल देना पड़ रहा है।
- गुजरात तथा अन्य राज्यों में निजी व्यापारियों द्वारा दिए जा रहे भाव ₹6,000–7,500 प्रति क्विंटल के बीच बताए गए हैं, जबकि MSP लॉन्ग स्टेपल के लिए ₹8,110 है।
- महाराष्ट्र में भी कई मंडियों में व्यापारी MSP से लगभग ₹1,300–1,400 कम दाम दे रहे हैं, जिसके चलते किसान CCI के ‘कपास किसान’ ऐप के ज़रिये MSP पर बिक्री के लिए रजिस्ट्रेशन कर रहे हैं, हालांकि रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया की जटिलता के कारण अभी भी अपेक्षित संख्या से कम किसान जुड़े हैं।
- पंजाब के डेटा से यह सामने आया कि वहां इस सीज़न में मंडियों में लाई गई करीब 61% कपास MSP से नीचे दाम पर बिकी, जो बाज़ार की कमजोरी और किसानों की कठिन स्थिति दोनों को दिखाता है।
इस माहौल में CCI की खरीद न केवल कृषकों के लिए सुरक्षा कवच की तरह काम कर रही है, बल्कि बाज़ार में न्यूनतम मूल्य अनुशासन बनाए रखने का प्रयास भी है।
CAI का 2025-26 कपास प्रेसिंग अनुमान: 309.50 लाख गांठ
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने नवंबर 2025 की अपनी नवीनतम रिपोर्ट में 2025-26 सीज़न के लिए भारत के कपास प्रेसिंग का अनुमान बढ़ाकर 309.50 लाख गांठ (170 किग्रा) कर दिया है। यह पहले के 305.00 लाख गांठ के अनुमान से 4.50 लाख गांठ अधिक है।
तुलना के लिए, 2024-25 सीज़न के लिए CAI का अंतिम प्रेसिंग अनुमान 302.25 लाख गांठ था, यानी नई फसल के लिए उत्पादन अनुमान पिछले वर्ष से भी अधिक है।
CAI के अनुसार, यह संशोधन राज्यस्तरीय एसोसिएशनों और ट्रेड स्रोतों से मिली नवीनतम रिपोर्टों पर आधारित है, जिनमें कई राज्यों में बेहतर उत्पादकता और अनुकूल मौसम की सूचना दी गई है।
CAI का सप्लाई–डिमांड आउटलुक
CAI के 2025-26 के शुरुआती बैलेंस शीट अनुमानों और नवंबर महीने के अपडेट को मिलाकर जो तस्वीर बनती है, वह इस प्रकार है:
| मद | 2025-26 अनुमान* (लाख गांठ, 170 किग्रा) | टिप्पणी |
|---|---|---|
| फसल / प्रेसिंग | 309.50 | पहले 305.00; 2024-25 के 302.25 से अधिक |
| आयात (Imports) | 50.00 | पहले 45.00; पिछले साल से ~9 लाख गांठ ज़्यादा |
| कुल सप्लाई (अनुमानित)** | ~410.59 | शुरुआती रिपोर्ट के अनुसार; पिछले वर्ष से अधिक कुल उपलब्धता |
| घरेलू खपत (Consumption) | ~300.00 | शुरुआती अनुमान; अभी तक अपरिवर्तित |
| निर्यात (Exports) | 18.00 | पहले 17.00; 2024-25 के अनुमान (18.00) के आसपास |
| ओपनिंग स्टॉक | ~39.00 | 1 अक्टूबर 2025 को अनुमानित शुरुआती स्टॉक |
* अलग-अलग प्रेस नोट्स और मासिक रिपोर्टों में दिए गए नवीनतम आंकड़ों को समेकित कर अनुमानित चित्र पेश किया गया है।
** कुल सप्लाई में ओपनिंग स्टॉक + फसल + आयात शामिल हैं; 410.59 लाख गांठ का आंकड़ा CAI के प्रारंभिक बैलेंस शीट अनुमान से है, बाद की संशोधनों के कारण वास्तविक अंतिम संख्या इससे थोड़ी ऊपर जा सकती है।
ये आंकड़े संकेत देते हैं कि सप्लाई पक्ष अपेक्षाकृत आरामदायक रहने वाला है – उत्पादन, शुरुआती स्टॉक और बढ़े हुए आयात तीनों मिलकर घरेलू खपत और निर्यात दोनों को सपोर्ट करने की स्थिति में हैं।
आयात–निर्यात की स्थिति
CAI ने 2025-26 के लिए कपास आयात और निर्यात, दोनों के अनुमान बढ़ाए हैं।
- आयात: शुरुआती अनुमान 45 लाख गांठ से बढ़ाकर 50 लाख गांठ कर दिया गया है। यह पिछले वर्ष के अनुमानित 41 लाख गांठ आयात से करीब 9 लाख गांठ अधिक है। बढ़ते आयात का संबंध घरेलू मिलों द्वारा विशेष ग्रेड्स या कॉम्पिटिटिव अंतरराष्ट्रीय कीमतों का लाभ उठाने से है।
- निर्यात: 2025-26 के लिए अनुमान 18 लाख गांठ कर दिया गया, जो पहले 17 लाख था और 2024-25 के 18 लाख के स्तर के आसपास ही है। इससे संकेत मिलता है कि वैश्विक बाज़ार में भारतीय कपास की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहेगी, लेकिन बहुत तेज़ बढ़त की संभावना सीमित है—खासकर अमेरिकी टैरिफ, वैश्विक मांग और यार्न/टेक्सटाइल सेक्टर की सुस्ती को देखते हुए।
पिछले सीज़न 2024-25 से तुलना
ताज़ा अनुमानों को समझने के लिए 2024-25 सीज़न की तस्वीर देखना ज़रूरी है। सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 सीज़न में CCI ने कुल 100.16 लाख गांठ के बराबर कपास (लगभग 525 लाख क्विंटल सीड कॉटन) की खरीद MSP ऑपरेशंस के तहत की थी। CAI ने 2024-25 का अंतिम प्रेसिंग अनुमान 302.25 लाख गांठ पर बनाए रखा था।
2025-26 में उत्पादन अनुमान (309.50 लाख गांठ) पिछले साल के मुकाबले अधिक है। MSP भी 2024-25 के मुकाबले बढ़ाया गया है। बाज़ार भाव MSP से नीचे रहने की वजह से यह आशंका जताई जा रही है कि CCI की कुल खरीद 2024-25 के रिकॉर्ड स्तर के आसपास या उससे भी ऊपर पहुंच सकती है, खासकर यदि निजी मिलों की डिमांड कमजोर रहती है।
किसानों के लिए संकेत
किसानों के लिए, MSP एक व्यवहारिक फ़्लोर प्राइस बनकर उभरा है। कई राज्यों में बाज़ार भाव MSP से नीचे रहने के कारण किसान CCI केंद्रों की ओर झुक रहे हैं। इससे उन्हें कम से कम घोषित समर्थन मूल्य तो मिल ही रहा है, हालांकि नमी, गुणवत्ता और ऐप-आधारित रजिस्ट्रेशन जैसी शर्तें व्यवहारिक कठिनाइयाँ पैदा कर रही हैं।
यदि मौजूदा रिकॉर्ड सरकारी खरीद रुझान जारी रहा, तो 2025-26 में CCI की कुल खरीद 2024-25 के 100 लाख गांठ के स्तर की बराबरी या उससे ऊपर जा सकती है, जिससे किसानों को तत्काल नकदी प्रवाह में मदद होगी, लेकिन सरकार पर सब्सिडी और स्टोरेज का भार भी बढ़ेगा।
हालांकि, लंबी अवधि में फसल विविधीकरण पर दबाव पड़ने की संभावना है। MSP और सरकारी खरीद के भरोसे कपास की ओर रुझान बना रह सकता है, लेकिन मूंगफली, तिलहन व अन्य फसलों की ओर शिफ्ट होने के संकेत भी USDA व अन्य रिपोर्टों में दिख रहे हैं, जो भविष्य के रकबे को प्रभावित कर सकते हैं।
कपास उद्योग के लिए संकेत
टेक्सटाइल और जिनिंग–प्रेसिंग उद्योग के लिए कच्चे माल की पर्याप्त उपलब्धता होगी। 309.50 लाख गांठ उत्पादन, 50 लाख गांठ आयात और पर्याप्त ओपनिंग स्टॉक के साथ मिलों के लिए कच्चे माल की कमी की आशंका कम है।
इसके अलावा कीमतों पर दबाव की संभावना भी जताई जा रही है। जब सप्लाई मजबूत और यार्न/टेक्सटाइल की घरेलू व वैश्विक मांग मध्यम रहती है, तो कच्चे कपास के भाव पर दबाव बने रहने की संभावना रहती है। यह मिलों के लिए सकारात्मक (सस्ते कच्चे माल) और किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण (कम ओपन मार्केट प्राइस) दोनों हो सकता है।
स्टॉक मैनेजमेंट और कैरी-कॉस्ट की बात करें तो बड़े पैमाने पर सरकारी खरीद और ऊंचे स्टॉक लेवल से वेयरहाउसिंग, क्वालिटी मैनेजमेंट और वित्तीय लागत (इंटरेस्ट कॉस्ट) बढ़ेंगे, जिनका बोझ अंततः या तो बजट पर आएगा या आगे चलकर डिस्काउंटेड सेल के रूप में मार्केट पर।
ताज़ा आंकड़े बताते हैं कि CCI ने नवंबर के अंत तक 72.89 लाख क्विंटल कपास (लगभग 14.57 लाख गांठ लिंट) की खरीद कर ली है और खरीद की गति तेज़ बनी हुई है। CAI ने भारत का 2025-26 कपास प्रेसिंग अनुमान बढ़ाकर 309.50 लाख गांठ कर दिया है, जो पिछले सीज़न से अधिक है और सप्लाई को मजबूत बनाता है। MSP और ओपन मार्केट प्राइस के बीच बड़ा अंतर, सरकारी खरीद को आगे भी तेज़ बनाए रख सकता है। एक्सपर्ट्स के मुताबिक, आयात–निर्यात दोनों बढ़ने की उम्मीद है, लेकिन नेट सप्लाई के लिहाज़ से घरेलू बाज़ार आरामदायक स्थिति में रहेगा।
कुल मिलाकर, कपास वर्ष 2025-26 किसानों के लिए “सुरक्षा कवच वाला लेकिन बाज़ार जोखिमों से घिरा” और टेक्सटाइल उद्योग के लिए “कच्चे माल की भरपूर उपलब्धता वाला लेकिन मांग-चुनौतीपूर्ण” सीज़न बनता दिख रहा है।
===
हमारे लेटेस्ट अपडेट्स और खास जानकारियों के लिए अभी जुड़ें — बस इस लिंक पर क्लिक करें:
https://whatsapp.com/channel/0029Vb0T9JQ29759LPXk1C45