समस्तीपुर, 27 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): डॉ राजेन्द्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय (RPCAU), पूसा में आयोजित अनुसंधान परिषद की बैठक के दौरान तीन महत्वपूर्ण पॉलिसी पेपर जारी किए गए, जो बिहार की कृषि को नई दिशा देने वाले माने जा रहे हैं। इन नीति दस्तावेजों में एक पॉलिसी पेपर बिहार में ‘गोल्डन स्पाइस’ हल्दी की अपार क्षमता के बेहतर उपयोग पर केंद्रित है, जबकि दो अन्य दस्तावेज उत्तर बिहार में जलवायु अनुकूल कृषि (Climate Resilient Agriculture – CRA) से जुड़े हैं।
बिहार में हल्दी फसल को बढ़ावा देने से संबंधित पॉलिसी पेपर की लेखिका डॉ रितांबरा सिंह, मिस रश्मि सिन्हा, डॉ अशीम कुमार मिश्रा और डॉ पुण्यव्रत सुविमलेंदु पांडेय हैं। इस नीति पत्र में बिहार में हल्दी उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए समग्र नीति एवं ढांचे का विस्तृत विवरण दिया गया है। पॉलिसी पेपर में स्थायी मूल्य श्रृंखला (Sustainable Value Chain) की स्थापना, किसानों की आय बढ़ाने, रोजगार सृजन, प्रसंस्करण, विपणन और निर्यात की संभावनाओं पर विशेष जोर दिया गया है। इसमें हल्दी को बिहार के लिए एक उच्च मूल्य वाली नकदी फसल के रूप में विकसित करने की स्पष्ट रणनीति प्रस्तुत की गई है।
इसके अतिरिक्त, उत्तर बिहार में जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए जलवायु अनुकूल कृषि (CRA) पर केंद्रित दो अहम नीति दस्तावेज भी जारी किए गए। इनमें एक विस्तृत नीति पत्र – “उत्तर बिहार में जलवायु अनुकूल कृषि का पोषण: प्रभाव आकलन और नीति सिफारिशें” तथा एक नीति संक्षिप्त विवरण (Policy Brief) शामिल है।
ये दस्तावेज बिहार सरकार द्वारा वित्त पोषित ₹80 करोड़ की परियोजना के निष्कर्षों पर आधारित हैं, जिसके तहत RPCAU के अधिकार क्षेत्र में आने वाले 11 जिलों में कार्य किया गया।
अध्ययन के प्रमुख निष्कर्षों के अनुसार, CRA हस्तक्षेपों से फसल तीव्रता 166.94% से बढ़कर 245.50% हो गई, जल उपयोग दक्षता और मृदा स्वास्थ्य में उल्लेखनीय सुधार हुआ, किसानों की आय में स्थिरता आई और उनकी जलवायु संवेदनशीलता घटी।
फसलों की उत्पादकता में भी बड़ा उछाल देखा गया, जहां सरसों में 36% से लेकर मूंग में 73% तक उत्पादन वृद्धि दर्ज की गई। यह परिणाम जलवायु अनुकूल कृषि की प्रभावशीलता को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
किसानों की आर्थिक और खाद्य सुरक्षा में बढ़ोतरी
नीति संक्षिप्त विवरण में बताया गया कि CRA अपनाने से किसानों के जीवन स्तर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इसके चलते आर्थिक सुरक्षा में 36.2%, और खाद्य सुरक्षा में 21.9% की वृद्धि दर्ज की गई। किसानों ने अतिरिक्त आय का उपयोग मुख्य रूप से बच्चों की शिक्षा और कौशल उन्नयन पर किया, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में सामाजिक विकास को भी बल मिला है।
कुलपति डॉ पी एस पांडेय ने जलवायु परिवर्तन की बढ़ती चुनौतियों से निपटने के लिए RPCAU की प्रतिबद्धता दोहराते हुए कहा कि ये नीति दस्तावेज बिहार में स्थायी और समावेशी कृषि को बढ़ावा देने में नीति निर्माताओं और हितधारकों के लिए मार्गदर्शक सिद्ध होंगे।
अनुसंधान परिषद की बैठक में 133 अनुसंधान परियोजनाओं की समीक्षा की गई और राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग को और सुदृढ़ करने पर भी चर्चा हुई। उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी बिहार में हल्दी की क्षमता के उपयोग पर एक नीति पत्र जारी किया जा चुका है।
पूसा कृषि विश्वविद्यालय में जारी ये पॉलिसी पेपर न केवल बिहार की कृषि अर्थव्यवस्था को मजबूत करने की दिशा दिखाते हैं, बल्कि जलवायु परिवर्तन, आय वृद्धि, पोषण और रोजगार जैसे अहम मुद्दों पर दीर्घकालिक समाधान का रोडमैप भी प्रस्तुत करते हैं।
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