UP के उड़द किसानों को बड़ी राहत, 17 जिलों में खुलेंगे 50 खरीद केंद्र; MSP ₹7,800 तय

Udad Ki kheti

लखनऊ, 16 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): उत्तर प्रदेश के उड़द किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी है। ‘आत्मनिर्भर दाल योजना’ के तहत नेफेड (NAFED) राज्य के 17 जिलों में 50 उड़द खरीद केंद्र खोलने जा रहा है। इन केंद्रों पर किसान अपनी फसल सीधे न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) ₹7,800 प्रति क्विंटल पर बेच सकेंगे। इस कदम से न केवल किसानों को बेहतर कीमत मिलेगी बल्कि उनकी औसत आय में सीधा इजाफा होगा।

उप्र कृषि विभाग के अनुसार, उड़द खरीद केंद्रों के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और जल्द ही खरीद भी आरंभ कर दी जाएगी। किसानों को अब मंडियों में कम दाम मिलने या बिचौलियों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं होगी। जिन जिलों में उड़द का उत्पादन अधिक है, वहां प्राथमिकता के आधार पर केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।

नेफेड जिन जिलों में उड़द खरीद केंद्र खोलने जा रहा है, वे हैं – ललितपुर, झांसी, महोबा, जालौन, हमीरपुर, बदायूं, बरेली, हरदोई, उन्नाव, लखनऊ, रामपुर, संभल, बुलंदशहर, मुरादाबाद, सोनभद्र, सीतापुर और शाहजहांपुर। किसान अपनी उपज सीधे इन केंद्रों पर लाकर नकद बिक्री के बजाय डायरेक्ट बैंक ट्रांसफर प्राप्त करेंगे।

‘आत्मनिर्भर दाल योजना’ के तहत MSP पर सीधी खरीद
उप्र कृषि विभाग के अनुसार, यह पूरी प्रक्रिया नेफेड की ‘आत्मनिर्भर दाल योजना’ के तहत चलाई जा रही है, जिसके तहत किसानों से प्रत्यक्ष खरीद की जाती है। उड़द की खरीद 29 जनवरी 2026 तक चलेगी। किसान को उपज बेचने के बाद 3 कार्य दिवसों में भुगतान उसके बैंक खाते में भेज दिया जाएगा।

कृषि विभाग का मानना है कि समय पर भुगतान किसानों की नकदी स्थिति में सुधार करेगा, जिससे उनकी बुवाई और घरेलू जरूरतें दोनों प्रभावित नहीं होंगी।

रजिस्ट्रेशन जरूरी, ऐसे कराएं नामांकन
इस योजना का लाभ लेने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। किसान e-समृद्धि ऐप के माध्यम से या नजदीकी नेफेड केंद्र पर जाकर अपना पंजीकरण करा सकते हैं। किसानों का कहना है कि MSP पर खरीद से उनकी मेहनत की सही कीमत मिलेगी, जबकि मार्केट में आए उतार-चढ़ाव का जोखिम कम हो जाएगा।

भारत की दाल आत्मनिर्भरता बढ़ाने में उड़द जैसी दालों की उत्पादकता और उचित मूल्य सुनिश्चित करना अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। सरकार की यह पहल न केवल पल्सेज उत्पादन को बढ़ावा देगी, बल्कि घरेलू बाजार में दालों की उपलब्धता और कीमतों को भी स्थिर रखने में मदद करेगी।

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