मुंबई, 14 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): कर्नाटक (Karnataka) के प्रमुख गन्ना उत्पादक जिले, बागलकोट और विजयपुरा एक बार फिर किसान आंदोलन का केंद्र बन गए हैं। गन्ना किसानों (Sugarcane Farmers) द्वारा अपने गन्ना मूल्य (Sugarcane Price) में वृद्धि की FRP मांग को लेकर किया जा रहा आंदोलन अब हिंसक हो गया है। पुलिस और किसानों (Farmers) के बीच हुई भीषण झड़प (Clashes) के कारण कई स्थानों पर हिंसक आंदोलन (Violent Protest) देखने को मिला, जिससे कानून व्यवस्था (Law and Order) की स्थिति तनावपूर्ण हो गई है। किसानों की प्रमुख FRP मांग ₹3500 प्रति टन की है, जिसे चीनी मिलें (Sugar Mills) और राज्य सरकार मानने को तैयार नहीं दिख रही हैं। यह गतिरोध कृषि नीतियों (Agricultural Policy) और किसानों की आय पर गहरे सवाल उठाता है।
FRP Demand की जड़ें: क्यों चाहिए ₹3500 प्रति टन?
गन्ना किसान अपनी FRP मांग को लेकर इसलिए उग्र हैं क्योंकि उनका मानना है कि वर्तमान गन्ना मूल्य, उनकी उत्पादन लागत (Production Cost) के मुकाबले बेहद कम है। FRP (Fair and Remunerative Price) वह न्यूनतम मूल्य है जिसे केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित किया जाता है। हालांकि, गन्ना किसानों (Sugarcane Farmers) का तर्क है कि पिछले कुछ वर्षों में खेती की लागत, जैसे खाद, डीजल और मजदूरी (Fertilizers, Diesel, Labour Charges) में भारी वृद्धि हुई है।
- किसान की आय पर दबाव: किसानों का कहना है कि वर्तमान FRP दरें उनकी आय को बनाए रखने में विफल हैं। गन्ना उगाने में अत्यधिक पानी और श्रम लगता है, और यदि उन्हें उचित दाम नहीं मिलता है, तो खेती घाटे का सौदा बन जाती है।
- चीनी मीलों (Sugar Mills) का मुनाफा: किसानों का आरोप है कि मिलें चीनी बेचने और इथेनॉल (Ethanol) उत्पादन से मोटा मुनाफा कमा रही हैं, लेकिन गन्ना किसानों (Sugarcane Farmers) को इसका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है। इसलिए ₹3500 प्रति टन की FRP मांग आर्थिक न्याय (Economic Justice) की मांग है।
- सरकारी नीतियों में कमी: किसानों का यह भी कहना है कि राज्य की कृषि नीतियों (Agricultural Policy) में गन्ना किसानों (Sugarcane Farmers) के हितों की रक्षा के लिए पर्याप्त प्रावधान नहीं हैं, जबकि पड़ोसी राज्यों में State Advised Price (SAP) के रूप में अतिरिक्त लाभ दिया जाता है।
बागलकोट और विजयपुरा जिलों में आंदोलन ने उस समय हिंसक रूप ले लिया जब किसानों ने राष्ट्रीय राजमार्ग और चीनी मीलों को जोड़ने वाली सड़कों को अवरुद्ध (Block) कर दिया।
विरोध प्रदर्शन का घटनाक्रम:
- सड़क जाम: किसानों ने अपने ट्रैक्टर और अन्य वाहनों का उपयोग करके मुख्य सड़क पर यातायात रोक दिया। इससे आम जनता को भारी असुविधा हुई और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।
- पुलिस से झड़प: जब पुलिस ने अवरोध हटाने की कोशिश की, तो आंदोलन कर रहे किसानों और पुलिस के बीच झड़प हुई। इस दौरान पत्थरबाजी और लाठीचार्ज की खबरें भी आईं, जिससे स्थिति और तनावपूर्ण हो गई। इस दौरान कई किसानों के घायल होने की खबरें भी आई हैं।
- चीनी मीलों का घेराव: आंदोलन का मुख्य लक्ष्य चीनी मीलों का संचालन रोकना था। किसानों ने मिलों के गेट पर धरना दिया ताकि गन्ना आपूर्ति बाधित हो सके।
इस उग्र आंदोलन के कारण कर्णाटक सरकार पर त्वरित कार्रवाई का भारी दबाव है। किसानों की यह तीव्रता दिखाती है कि कृषि नीतियों में तत्काल सुधार की आवश्यकता है।
===
हमारे लेटेस्ट अपडेट्स और खास जानकारियों के लिए अभी जुड़ें — बस इस लिंक पर क्लिक करें:
https://whatsapp.com/channel/0029Vb0T9JQ29759LPXk1C45