Commodity Market: रबर की कीमतों में लौटी तेजी; क्रूड की रैली और सप्लाई संकट से मिला सपोर्ट

मुंबई, 13 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): ग्लोबल कमोडिटी बाजार में रबर की चाल फिर से तेज हो गई है। इंटरनेशनल मार्केट में रबर की कीमत $170 सेंट प्रति किलो के पार निकल गई है और यह 1 हफ्ते की ऊंचाई पर पहुंच गया है। लगातार कमजोर चल रही कीमतों के बीच यह उछाल रबर उत्पादक देशों और बाजार निवेशकों दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है।

इस तेजी की सबसे अहम वजह है क्रूड ऑयल की मजबूती। ब्रेंट क्रूड लगभग $65 प्रति बैरल के आसपास बना हुआ है और WTI भी $60 प्रति बैरल से ऊपर ट्रेड कर रहा है। चूंकि सिंथेटिक रबर का निर्माण पेट्रोकेमिकल्स से होता है, इसलिए कच्चे तेल के मजबूत रहने पर नेचुरल रबर की कीमतों को भी सपोर्ट मिलता है।

इसके साथ ही खराब मौसम ने उत्पादन पर सीधा असर डाला है। थाईलैंड, इंडोनेशिया और मलेशिया जैसे प्रमुख रबर उत्पादक देशों में बारिश और असामान्य मौसम ने टैपिंग सीजन को प्रभावित किया है। इससे ग्लोबल सप्लाई में कमी आई और कीमतों को ऊपर धकेला

अगर प्रदर्शन की बात करें, तो रबर की कीमतें 1 हफ्ते में लगभग 1% बढ़ी हैं, जबकि 1 महीने में 1% गिरावट देखने को मिली है। इससे बाजार में अस्थिरता का संकेत मिलता है। वहीं, जनवरी से अब तक (YTD) रबर की कीमतों में लगभग 1% की गिरावट है।

सबसे बड़ा गिरावट दबाव पिछले एक साल में देखने को मिला है, जब कीमतें लगभग 11% टूट चुकी हैं। यह गिरावट वैश्विक आर्थिक मंदी, धीमी ऑटोमोबाइल डिमांड और चीन जैसे बड़े उपभोक्ता देश में कम मांग के कारण हुई।

भारत के इंपोर्ट आँकड़े बताते हैं कि घरेलू खपत और औद्योगिक निर्भरता लगातार बढ़ रही है। 2023–24 में रबर का इंपोर्ट 4.93 लाख टन था, जो 2024–25 में बढ़कर 5.51 लाख टन तक पहुंच गया है। इससे पहले 2020–21 में 4.10 लाख टन और 2022–23 में 5.29 लाख टन रबर आयात किया गया था।

ये आंकड़े दिखाते हैं कि घरेलू उत्पादन अभी भी बढ़ती मांग को पूरा नहीं कर पा रहा, इसलिए उद्योग को आयात पर निर्भर रहना पड़ता है—खासकर टायर उद्योग, फुटवियर, ग्लव्स और रबर-आधारित उत्पादों के लिए।

मौजूदा हालातों को देखें तो क्रूड की रैली और सप्लाई में गिरावट आने वाले हफ्तों में रबर की कीमतों को सपोर्ट दे सकती है। हालांकि, वैश्विक मांग कमजोर बनी रही तो बड़े उछाल की संभावना सीमित रह सकती है।

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