मुंबई, 29 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारतीय कृषि निर्यात को नई ऊंचाई पर ले जाते हुए, कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) ने कर्नाटक के जीआई टैग प्राप्त ‘इंडी नींबू’ और तमिलनाडु के प्रसिद्ध ‘पुलियांकुडी नींबू’ की पहली हवाई खेप यूनाइटेड किंगडम भेजी है।

यह उपलब्धि भारतीय किसानों के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जो न केवल विदेशी बाज़ारों में भारतीय फलों की पहचान को मजबूत करेगी, बल्कि कृषि निर्यात से किसानों की आमदनी बढ़ाने का भी मार्ग खोलेगी।

भारत के कृषि उत्पादों को मिला वैश्विक मंच
एपीडा के अनुसार, यह पहल भारत के फल एवं सब्ज़ी निर्यात को विविधता देने और नई अंतरराष्ट्रीय मांगों को पूरा करने की दिशा में एक बड़ी सफलता है। ब्रिटेन में भेजी गई यह खेप भारतीय जीआई टैग उत्पादों की गुणवत्ता, स्वाद और विशिष्टता का परिचायक है।

जीआई टैग: भारतीय किसानों की पहचान और सम्मान
‘इंडी नींबू’ को उसके विशिष्ट सुगंध, पतली छाल और उच्च रस मात्रा के कारण कर्नाटक में जीआई टैग प्राप्त हुआ है। वहीं ‘पुलियांकुडी नींबू’, अपनी टिकाऊ गुणवत्ता और विशिष्ट खट्टे स्वाद के कारण तमिलनाडु का गौरव है।

उत्पादराज्यविशेषतापहचान
इंडी नींबूकर्नाटकउच्च रस मात्रा, सुगंधित, पतली छालGI टैग प्राप्त
पुलियांकुडी नींबूतमिलनाडुविशिष्ट स्वाद, अधिक टिकाऊGI टैग प्राप्त

एपीडा के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह निर्यात केवल एक खेप नहीं, बल्कि भारत के किसानों को वैश्विक मंच से जोड़ने का प्रतीक है। हम क्षेत्रीय फलों और सब्ज़ियों को अंतरराष्ट्रीय बाजारों में पहुंचाने के लिए लगातार प्रयासरत हैं।”

एपीडा स्थानीय किसान उत्पादक संगठनों (FPOs) और राज्य कृषि विभागों के साथ मिलकर गुणवत्ता परीक्षण, पैकेजिंग और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत कर रहा है।

यह निर्यात न केवल किसानों के लिए नई आय के स्रोत खोलेगा, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोज़गार और मूल्य संवर्धन को भी बढ़ावा देगा। विशेषज्ञों का मानना है कि जीआई टैग वाले फलों की वैश्विक मांग से भारत का एग्री-ब्रांडिंग सेक्टर और मज़बूत होगा।

‘इंडी नींबू’ और ‘पुलियांकुडी नींबू’ की पहली हवाई खेप ब्रिटेन पहुंचने के साथ ही भारत ने एक बार फिर यह साबित किया है कि देश के स्थानीय कृषि उत्पाद वैश्विक प्रतिस्पर्धा में भी अग्रणी हैं। यह कदम भारत की “लोकल टू ग्लोबल” दृष्टि को सशक्त करता है और किसानों के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।

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