नागपुर, 29 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): महाराष्ट्र में किसानों की पूर्ण कर्जमाफी की मांग को लेकर पूर्व विधायक बच्चू कडू के नेतृत्व में जारी आंदोलन ने मंगलवार से नागपुर शहर के यातायात को प्रभावित कर दिया है।

बच्चू कडू ने राज्य सरकार को चेतावनी दी है कि अगर बुधवार दोपहर 12 बजे तक कर्जमाफी पर फैसला नहीं लिया गया, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।

बुधवार दोपहर तक की समय सीमा तय
कडू ने स्पष्ट किया है कि वे सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, बशर्ते कोई आधिकारिक प्रतिनिधि उनसे मुलाकात करे।
उन्होंने कहा,

“हम सरकार के विरोधी नहीं हैं, लेकिन किसानों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर सरकार आगे आती है, तो हम संवाद के लिए भी तैयार हैं।”

नागपुर में दूसरे दिन भी किसानों का धरना जारी
नागपुर के भारत के भौगोलिक केंद्र (Zero Mile) के पास धरना स्थल पर मंगलवार रात से हज़ारों किसान डटे हुए हैं। इससे नागपुर-हैदराबाद, नागपुर-जबलपुर और नागपुर-चंद्रपुर मार्गों पर यातायात प्रभावित हुआ है।

कडू और उनके समर्थक किसान मंगलवार शाम करीब 5 बजे अमरावती से ट्रैक्टर मार्च निकालकर नागपुर पहुँचे थे।

आंदोलन के मुख्य मुद्दे
बच्चू कडू की अगुवाई में आंदोलन के प्रमुख मांग बिंदु इस प्रकार हैं:

मांगविवरण
1किसानों की पूर्ण कर्जमाफीसभी ऋणग्रस्त किसानों को कर्ज़ से राहत
2फसल के लिए गारंटीकृत मूल्यबाजार उतार-चढ़ाव से किसानों को सुरक्षा
3दिव्यांगों के लिए मानदेयस्थायी पेंशन और सरकारी सहायता
4चरवाहों और मछुआरों के अधिकारसामाजिक सुरक्षा और उचित सुविधाएं

विपक्षी नेताओं का समर्थन
कडू को कई किसान संगठनों और नेताओं का समर्थन मिला है। इनमें अजीत नवले (माकपा राज्य सचिव), महादेव जानकर, राजू शेट्टी (स्वाभिमानी शेतकरी संगठन) और वामनराव चटप शामिल हैं। इन नेताओं ने भी कहा कि किसानों की स्थिति गंभीर है और सरकार को तुरंत ठोस कदम उठाने चाहिए।

सरकार बोली, “हम संवाद के लिए तैयार हैं”
राज्य के कृषि मंत्री दत्तात्रेय भारणे ने कहा, “सरकार किसानों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार स्वयं इस मुद्दे पर संवेदनशील हैं।” उन्होंने बताया कि राजस्व मंत्री चंद्रशेखर बावनकुले बुधवार को धरनास्थल पहुंचकर किसानों से मुलाकात कर सकते हैं।

गौरतलब है कि नागपुर, जहां यह प्रदर्शन हो रहा है, वही शहर है जहां से महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस आते हैं।
किसानों का यह प्रदर्शन इसलिए भी राजनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है क्योंकि यह राज्य सरकार के लिए सीधे दबाव का संकेत है।

कडू के अल्टीमेटम के बाद अब निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या महाराष्ट्र सरकार बुधवार दोपहर तक कोई ठोस घोषणा करती है या आंदोलन और व्यापक हो जाएगा। किसानों की कर्जमाफी और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसी पुरानी मांगें एक बार फिर राज्य की सियासत के केंद्र में हैं।

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