नई दिल्ली, 22 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
नई दिल्ली, 22 सितंबर 2025 — केंद्र सरकार के पास इस समय चावल और गेहूं का भंडार रिकॉर्ड स्तर पर पहुँच गया है, जिससे देश की खाद्य सुरक्षा को लेकर स्थिति काफी मजबूत हुई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, यही भंडारण भविष्य में आपूर्ति-संकुचन और कीमतों में उतार-चढ़ाव जैसी चुनौतियों से निपटने में सहायक होगा।
क्या है स्थिति
- चावल का भंडार
1 सितंबर 2025 तक केंद्र एवं राज्य सरकारों के गोदामों में चावल (और बिना चावला हुए धान मिलकर) का कुल भंडार लगभग 48.2 मिलियन मीट्रिक टन था, जो पिछले वर्ष की इसी अवधि से लगभग 14% ज़्यादा है। - गेहूं का भंडार
इसी दिन गेहूं का भंडार लगभग 33.3 मिलियन मीट्रिक टन दर्ज किया गया, जो पिछले चार वर्षों में सबसे अधिक है। - लक्ष्य बनाम वास्तविकता
अप्रैल-जुलाई की समयावधि के लिए सरकार ने बैफ़र स्टॉक-नियम (Buffer norms) बनाए हैं, जिन्हें इस भंडार ने काफी हद तक पार कर लिया है। चावल के लिए 1 जुलाई के लक्ष्य लगभग 13.5 मिलियन टन, और गेहूं के लिए लगभग 27.6 मिलियन टन निर्धारित थे।
विश्लेषकों ने यह कारण बताए हैं कि इतनी बड़ी मात्रा में भंडार संभव हो पाया क्योंकि:
- उन्नत सरकारी खरीद नीति (strong procurement) – किसानों से अधिक मात्रा में धान एवं गेहूं खरीदे गए, विशेषतः न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के तहत।
- अच्छा मौसम एवं उत्पादन – मौजूदा कृषि मौसम (मानोसर आदि) ने उत्पादन को बेहतर बनाया, जिससे उपज में वृद्धि हुई।
- निर्यात नियमों में बदलाव – चावल के निर्यात पर कुछ प्रतिबंधों को मार्च 2025 में हटाया गया, जिससे निर्यात भी बढ़ाने की योजना है। यह नीति घरेलू बचत और अंतरराष्ट्रीय मांग दोनों को देख कर लाई गई थी।
भंडार का महत्व और संभावित चुनौतियाँ
- खाद्य सुरक्षा एवं सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS)
यह विशाल भंडार PDS के अंतर्गत गरीब एवं ज़रूरतमंद वर्गों को अनाज की आपूर्ति सुनिश्चित करने में सहायक होगा। आपातकालीन स्थितियों में सरकारी एजेंसियों को पर्याप्त राहत सामग्री उपलब्ध हो सकती है। - कीमत नियंत्रण
त्योहारी सीज़न जैसे दशहरा-दीवाली के दौरान गेहूं की मांग बढ़ती है — इस दौरान यदि भंडार अधिक हो, तो सरकार खुली बाजार (open market) में कुछ गेहूं छोड़ कर बढ़ती कीमतों को नियंत्रित कर सकती है। - भंडारण एवं लॉजिस्टिक समस्या
इतनी मात्रा में अनाज जमा होने से गोदामों (warehouses), सिलोज़ (silos), एवं दाने-बीनने (milling) सुविधाओं पर दबाव बढ़ सकता है। सड़ने-गलने की संभावना, परिवहन की लागत और रख-रखाव की चुनौतियाँ बढ़ सकती हैं। - भविष्य की रणनीतियाँ
सरकार संभवतः नीलामी (auction), निर्यात (export) या अन्य चैनलों से अतिरिक्त भंडार को संतुलित करेगी ताकि सप्लाई‐ज्यादा हो जाने की स्थिति में अनाज खराब न हो और कीमतें भी अस्थिर न हों।
भारत में चावल और गेहूं के इस रिकॉर्ड स्तर के भंडार से यह सुनिश्चित है कि देश खाद्य सुरक्षा के क्षेत्र में मज़बूत स्थिति में है। सरकार की MSP-नीतियाँ, सरकारी खरीद और उत्पादन वृद्धि ने मिलकर यह सफलता दिलाई है। हालाँकि, इन भंडारों को सही तरीके से प्रबंधित करना, लॉजिस्टिक्स एवं भंडारण-संरचनाओं को और सुदृढ़ करना आवश्यक है, ताकि किसान, उपभोक्ता और सरकार सभी को इसका पूरा लाभ मिल सके।कुल मिलाकर, यह रिकॉर्ड स्तर का अनाज भंडारण एक सकारात्मक संकेत है, जो भारत की खाद्य आत्मनिर्भरता और कृषि क्षेत्र की मजबूती को दर्शाता है।
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