नई दिल्ली, 5 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): इंटरनेशनल मार्केट में गेहूं की कीमतों में जबरदस्त तेजी देखी जा रही है। वैश्विक स्तर पर गेहूं के दाम तीन महीने की ऊंचाई पर पहुंच चुके हैं और $550 प्रति बुशेल के करीब कारोबार कर रहे हैं। यह स्तर 22 जुलाई 2024 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। इस बढ़ोतरी के पीछे मुख्य कारण चीन से बढ़ती मांग और अमेरिका-चीन व्यापार समझौते की नई उम्मीदें हैं।
चीन से बढ़ती मांग ने बढ़ाया बाजार का उत्साह
चीन की ओर से गेहूं की बढ़ती मांग के संकेत मिल रहे हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार, चीन अब अमेरिका से गेहूं की खरीद फिर से शुरू कर सकता है। अक्टूबर 2024 से चीन ने अमेरिकी गेहूं नहीं खरीदा था, लेकिन अब दोनों देशों के बीच संभावित व्यापार डील से अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं के दामों को मजबूत सपोर्ट मिला है।
बाजार विश्लेषकों के अनुसार, यदि चीन बड़े पैमाने पर गेहूं आयात करता है तो इससे वैश्विक डिमांड बढ़ेगी, जिसके चलते कीमतों में और उछाल संभव है।
रूस और अर्जेंटीना में उत्पादन में वृद्धि की उम्मीद
रूस और अर्जेंटीना, जो विश्व के प्रमुख गेहूं निर्यातक हैं, इस साल उत्पादन में बढ़ोतरी की संभावना जता रहे हैं। SovEcon ने रूस के 2025 के उत्पादन लक्ष्य को बढ़ाकर 88 मिलियन टन कर दिया है, जबकि अर्जेंटीना में उत्पादन 23 मिलियन टन तक पहुंचने का अनुमान है। इस उत्पादन वृद्धि से आने वाले महीनों में बाजार में आपूर्ति बनी रहेगी, जिससे लंबे समय के लिए कीमतों में तेज़ी की संभावना सीमित रह सकती है।
एक्सपर्ट की राय: ‘मजबूत पर स्थिर बाजार’
बाजार पर पैनी नज़र रखने वाले एक्सपर्ट्स ने ‘कृषि भूमि’ को बताया कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में गेहूं की कीमतों में हालिया तेजी अल्पकालिक है और फिलहाल किसी बड़ी रैली के संकेत नहीं हैं। उन्होंने कहा, “US-चीन डील की संभावनाओं के चलते बाजार में भाव बढ़े हैं, लेकिन यह एकतरफा उछाल नहीं है। डॉलर की मजबूती और वैश्विक आपूर्ति के संतुलित रहने से बाजार फिलहाल स्थिर दिखाई दे रहा है।”
एक्सपर्ट्स बताते हैं कि चीन की मांग यदि वास्तविक रूप में बढ़ती है तो कीमतें कुछ समय तक ऊंची रह सकती हैं, लेकिन रूस और अर्जेंटीना के बढ़े हुए उत्पादन के चलते यह बढ़ोतरी लंबे समय तक टिकेगी नहीं।
भारतीय बाजार पर असर: सीमित बढ़ोतरी की उम्मीद
भारतीय परिप्रेक्ष्य में बात करते हुए कई एक्सपर्ट्स बताते हैं कि देश में गेहूं की बुआई 15-30 दिन देरी से शुरू हो सकती है, जिससे शुरुआती सप्लाई थोड़ी प्रभावित हो सकती है। हालांकि उन्होंने कहा कि GST कटौती और सरकारी खरीद नीतियों में सुधार के बावजूद, घरेलू मांग में अभी तक कोई बड़ी तेजी नहीं दिखी है। फ़िलहाल देश का गेहूं बाजार “टाइट लेकिन स्थिर दायरे” में चल रहा है। सप्लाई की कोई कमी नहीं है। सरकार अप्रैल से गेहूं की खरीद शुरू करेगी और जरूरत पड़ने पर तुरंत दखल दे सकती है।
नवंबर-दिसंबर के दौरान भारत में गेहूं की खुदरा कीमतों में ₹2 से ₹4 प्रति किलो तक की मामूली बढ़ोतरी संभव है, लेकिन सरकार की नीति और पर्याप्त स्टॉक के कारण किसी बड़े उछाल की संभावना नहीं है।
वैश्विक और घरेलू संकेत
वर्तमान परिदृश्य में अंतरराष्ट्रीय बाजार की दिशा मुख्य रूप से चीन की आयात रणनीति, US की बुआई प्रगति (84% पूर्ण) और रूस-अर्जेंटीना की फसल अनुमानों पर निर्भर करेगी। भारत में रबी सीजन की मजबूत शुरुआत, समय पर बुआई और पर्याप्त सरकारी भंडार घरेलू बाजार को स्थिर बनाए रखेंगे।
चीन से मांग बढ़ने और US-चीन व्यापार संबंधों में सुधार की उम्मीद से फिलहाल अंतरराष्ट्रीय गेहूं बाजार में तेजी बनी हुई है। हालांकि उत्पादन अनुमानों में बढ़ोतरी और स्थिर सप्लाई के कारण दीर्घकालिक दृष्टिकोण संतुलित है।
भारत में अगले दो महीनों में गेहूं की कीमतों में सीमित बढ़ोतरी संभव है, लेकिन सरकारी हस्तक्षेप और पर्याप्त भंडार से घरेलू बाजार पर इसका असर बहुत बड़ा नहीं पड़ेगा।
(डिस्क्लेमर: इस लेख में व्यक्त विचार बाजार विश्लेषकों के हैं। यह लेख केवल सूचना के उद्देश्य से है। निवेश या व्यापारिक निर्णय लेने से पहले प्रमाणित वित्तीय सलाहकार की सलाह अवश्य लें।)
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