लखनऊ, 17 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): उत्तर प्रदेश में महिला सशक्तिकरण (Women Empowerment) और स्मार्ट एग्रीकल्चर (Smart Agriculture) को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नमो ड्रोन दीदी योजना‘ को योगी सरकार द्वारा प्रभावी ढंग से क्रियान्वित किया जा रहा है। इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों की स्वयं सहायता समूह (Self-Help Groups – SHGs) से जुड़ी महिलाओं को ड्रोन पायलट बनाकर उन्हें उद्यमी बनाना है। यह पहल कृषि क्षेत्र में आधुनिक तकनीक के उपयोग को प्रोत्साहित करने और ग्रामीण महिलाओं के लिए आजीविका (Livelihood) के स्थायी अवसर पैदा करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। केंद्र सरकार ने इस केंद्रीय क्षेत्र की योजना के लिए 2023-24 से 2025-26 की अवधि हेतु ₹1,261 करोड़ का कुल परिव्यय (Outlay) आवंटित किया है। योजना का लक्ष्य देश भर में 15,000 चयनित महिला स्वयं सहायता समूहों को कृषि उद्देश्यों के लिए ड्रोन प्रदान करना है। उत्तर प्रदेश में भी इस योजना के तहत 128 से अधिक ड्रोन वितरित किए जा चुके हैं, और इतनी ही संख्या में महिलाओं को ड्रोन पायलट का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। राज्य में कई महिलाएँ इस परियोजना से जुड़कर ₹60,000 से ₹70,000 तक की मासिक आय अर्जित कर रही हैं।
वित्तीय सहायता और प्रशिक्षण का ढाँचा
नमो ड्रोन दीदी योजना महिला एसएचजी को ड्रोन खरीदने के लिए मजबूत वित्तीय सहायता प्रदान करती है।
- सब्सिडी का प्रावधान: ड्रोन पैकेज की कुल लागत का 80% या अधिकतम ₹8 लाख तक की केंद्रीय वित्तीय सहायता (CFA) महिला स्वयं सहायता समूहों को दी जाती है।
- ब्याज में छूट: शेष राशि के लिए, एसएचजी राष्ट्रीय कृषि अवसंरचना कोष (AIF) से ऋण (Loan) प्राप्त कर सकते हैं, जिस पर 3% ब्याज छूट (Interest Subvention) का प्रावधान है।
- प्रशिक्षण अनिवार्यता: योजना के तहत प्रत्येक एसएचजी की एक सदस्य को 15 दिन का अनिवार्य ड्रोन पायलट प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। यह प्रशिक्षण नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) से मान्यता प्राप्त संस्थानों द्वारा दिया जाता है। इसके अतिरिक्त, एक अन्य सदस्य या परिवार के सदस्य को 5 दिन का ड्रोन सहायक प्रशिक्षण दिया जाता है।
ड्रोन के साथ स्प्रे असेंबली, मानक बैटरी सेट, 4 अतिरिक्त बैटरी सेट, 2 साल का वार्षिक रखरखाव अनुबंध (AMC), और 15 दिन की व्यापक ट्रेनिंग जैसी सभी आवश्यक सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि ड्रोन दीदियाँ बिना किसी रुकावट के अपनी सेवाएं किसानों को प्रदान कर सकें।
कृषि कार्य में ड्रोन की दक्षता और लाभ
यह योजना स्मार्ट कृषि को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कृषि कार्यों में ड्रोन के उपयोग से किसानों को कई लाभ मिल रहे हैं:
- समय की बचत: ड्रोन की मदद से एक एकड़ खेत में कीटनाशकों या तरल उर्वरकों का छिड़काव करने में मात्र 7 से 8 मिनट का समय लगता है। वहीं, हाथों से छिड़काव करने में काफी अधिक समय और श्रम लगता है। प्रशिक्षित ड्रोन दीदी एक दिन में आसानी से 20 से 25 एकड़ भूमि को कवर कर सकती हैं।
- लागत में कमी: ड्रोन तकनीक उर्वरकों और कीटनाशकों के सटीक अनुप्रयोग (Precision Application) को सुनिश्चित करती है, जिससे रासायनिक उपयोग कम होता है। यह न केवल किसानों की लागत को कम करता है बल्कि पर्यावरण पर भी सकारात्मक प्रभाव डालता है।
- स्वास्थ्य सुरक्षा: ड्रोन दीदियाँ किसानों को कीटनाशकों के सीधे संपर्क में आने से बचाती हैं, जिससे उनके स्वास्थ्य जोखिम कम होते हैं।
- किराये की सेवा: स्वयं सहायता समूह ड्रोन को किसानों को किराये पर देते हैं, जिससे एक तरफ किसानों को आधुनिक सेवा मिलती है, वहीं दूसरी तरफ ड्रोन दीदियों के लिए स्थायी आय का स्रोत बनता है।
उत्तर प्रदेश में महिला उद्यमिता का उदय
उत्तर प्रदेश में, यह योजना ग्रामीण महिलाओं के लिए उद्यमिता (Entrepreneurship) का एक नया रास्ता खोल रही है। मैनपुरी की देवकी राजपूत और वाराणसी की अनीता पटेल जैसी महिलाएँ ड्रोन प्रशिक्षण पूरा करने के बाद अब कुशल ड्रोन पायलट बन चुकी हैं। ये महिलाएँ स्थानीय किसानों को सेवाएँ प्रदान करके प्रति माह औसतन ₹70,000 तक की आय अर्जित कर रही हैं, जो ग्रामीण महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक जीता-जागता उदाहरण है।योजना के सफल कार्यान्वयन और निगरानी के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग और ग्रामीण विकास मंत्रालय के बीच मजबूत तालमेल स्थापित किया गया है। ड्रोन पोर्टल (MIS) के माध्यम से सभी ड्रोन गतिविधियों की निगरानी की जा रही है, जिससे योजना का प्रभावी कार्यान्वयन सुनिश्चित हो सके।
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