लखनऊ, 15 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों को डिजिटल रूप से सशक्त बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को डिजिटल कृषि पारिस्थितिकी तंत्र विकसित करने के निर्देश दिए हैं, जो रीयल-टाइम डेटा, इनोवेशन आधारित अनुसंधान और सुरक्षित साइबर पर आधारित होगा।
यह नीति फसल, मौसम, बीज, सिंचाई, उर्वरक, बीमा, बाजार और संस्थागत सेवाओं से जुड़ी सभी जानकारी एकीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कराएगी।
डिजिटल कृषि नीति की मुख्य बातें:
यह नीति UP-AgriEase Project के अंतर्गत बनाई जा रही है, जिसे विश्व बैंक से ₹4,000 करोड़ (US $500 मिलियन) की सहायता प्राप्त है।
बुंदेलखंड और पूर्वी यूपी के 28 जिलों में इसे अगले छह वर्षों में लागू किया जाएगा।
परियोजना का उद्देश्य है – जलवायु अनुकूल कृषि, संसाधनों का बेहतर उपयोग, स्थानीय रोजगार, और कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देना।
मुख्यमंत्री ने “कृषि से उद्योग तक” के विजन पर काम करने, एफपीओ, कृषि विश्वविद्यालयों और कृषि विज्ञान केंद्रों के साथ समन्वय बढ़ाने की बात कही। उन्होंने टिशू कल्चर, उन्नत बीज, और क्लस्टर खेती (जैसे काला नमक चावल, मूंगफली, लाल मिर्च, केला आदि) को बढ़ावा देने का निर्देश भी दिया।
मत्स्य पालन भी बनेगा डिजिटल और उन्नत
परियोजना के तहत 90,000 हेक्टेयर क्षेत्र में मत्स्य पालन का विकास किया जाएगा, जिससे लगभग 1 लाख परिवारों को लाभ मिलेगा। बीज उत्पादन, आधुनिक तकनीक, विपणन तक का डिजिटल समाधान उपलब्ध कराया जाएगा।
सरकार लघु एवं सीमांत किसानों के लिए ऋण, बीमा और निजी निवेश को प्रोत्साहित करने के साथ जोखिम प्रबंधन प्रणाली भी विकसित करेगी।
कमोडिटी क्लस्टर दृष्टिकोण के अंतर्गत बुंदेलखंड में मूंगफली, वाराणसी में लाल मिर्च और सब्जियों, बाराबंकी और आजमगढ़ के बीच केले और काला नमक चावल, हरी मटर, उड़द और आलू जैसी फसलों के लिए क्लस्टर विकसित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि केले की खेती को बढ़ावा देने के लिए ‘टिशू कल्चर’ को बढ़ावा दिया जाए। उन्होंने परियोजना के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए क्षेत्रीय विशेषज्ञों की नियुक्ति करने की बात कही।
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