नई दिल्ली, 19 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): हालिया तेज़ी के बाद तूर (अरहर) दाल की कीमतों में अब साफ़ तौर पर नरमी देखने को मिल रही है। देश की प्रमुख मंडियों में नई फसल की आवक बढ़ने से सप्लाई मजबूत हुई है, जिसके चलते थोक भाव न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के आसपास या उससे नीचे फिसल गए हैं। बाजार की आगे की दिशा अब पूरी तरह सरकारी खरीद, MSP हस्तक्षेप और बफर स्टॉक रणनीति पर निर्भर करती दिख रही है।
महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश और गुजरात जैसे प्रमुख उत्पादक राज्यों से लगातार बढ़ रही आवक ने कीमतों पर दबाव बनाया है। दाल मिलों की ओर से ऊंचे स्तरों पर खरीद में भी सुस्ती आई है, जिससे हालिया रैली थम गई है।
ताज़ा मंडी भाव (थोक)
(₹ प्रति क्विंटल, गुणवत्ता व आवक के अनुसार बदलाव संभव)
| मंडी / शहर | भाव (₹/क्विंटल) |
|---|---|
| गाजियाबाद (UP) | ~10,150 |
| बहराइच (UP) | ~9,700 |
| मुंबई (MH) | 8,400 – 12,000 |
| जलना (MH) | 5,590 – 6,400 |
| बंगारपेट (KA) | 8,500 – 9,200 |
| भाटापारा (CG) | ~7,550 |
नोट: अधिकांश मंडियों में भाव MSP के बराबर या उससे नीचे बने हुए हैं, जो किसानों के लिए चिंता का विषय है।
MSP, खरीद लक्ष्य और बफर स्टॉक की स्थिति
- तूर MSP (2024-25): ₹7,550 प्रति क्विंटल
- केंद्र सरकार ने इस सीजन में 0.5 मिलियन टन से अधिक तूर की MSP खरीद का लक्ष्य रखा है—जो हाल के वर्षों में सबसे बड़ा स्तर है।
- अब तक कई राज्यों में MSP खरीद शुरू हो चुकी है, लेकिन आवक की तुलना में रफ्तार सीमित मानी जा रही है।
- दालों के लिए सरकार का मानक बफर स्टॉक ~3.5 मिलियन टन है, जबकि मौजूदा उपलब्धता इससे काफी कम बताई जा रही है।
विशेषज्ञों के मुताबिक, अगर MSP खरीद को आक्रामक रूप से नहीं बढ़ाया गया, तो मंडी भावों पर दबाव बना रह सकता है।
आयात नीति भी अहम फैक्टर
सस्ती आयात दालों (अफ्रीकी देश, म्यांमार आदि) की उपलब्धता ने घरेलू बाजार को अतिरिक्त सप्लाई दी है। व्यापारियों का कहना है कि ड्यूटी-फ्री या कम शुल्क वाले आयात ने भी MSP के नीचे भाव बनने में भूमिका निभाई है। उद्योग सरकार से आयात नीति की समीक्षा की मांग कर रहा है।
आगे क्या रहेगा ट्रेंड?
- MSP खरीद तेज़ हुई → कीमतों को निचले स्तर पर सहारा
- आवक और बढ़ी → भावों पर दबाव जारी
- बफर स्टॉक मजबूत हुआ → बाजार में स्थिरता
- आयात नीति सख्त हुई → घरेलू कीमतों को समर्थन
कुल मिलाकर, तूर दाल की कीमतें फिलहाल सीमित दायरे में नरमी के साथ कारोबार कर सकती हैं। किसी भी बड़ी तेजी या गिरावट की दिशा अब सरकार के अगले नीतिगत कदम तय करेंगे।
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