मुंबई, 11 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (ISMA) के शुरुआती अनुमानों ने भारतीय चीनी उद्योग और देश के लाखों गन्ना किसानों के लिए एक उत्साहजनक तस्वीर पेश की है। 2025-26 शुगर सीजन के लिए जारी किए गए इन आंकड़ों के मुताबिक, भारत का कुल चीनी उत्पादन पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 16 प्रतिशत बढ़कर 343.5 लाख टन (LT) तक पहुंचने की उम्मीद है। यह न सिर्फ चीनी उद्योग को मजबूती देगा, बल्कि वैश्विक बाजार में भारत की स्थिति को भी और सुदृढ़ करेगा। हालांकि, इस शानदार वृद्धि के बीच एक बड़ा भू-राजनीतिक बदलाव देखने को मिल रहा है। लंबे समय से देश का शीर्ष चीनी उत्पादक रहा उत्तर प्रदेश इस सीजन में महाराष्ट्र से पिछड़ सकता है, जो एक नया रिकॉर्ड बनाने की ओर अग्रसर है।

महाराष्ट्र की ऐतिहासिक छलांग: 130 लाख टन का लक्ष्य

महाराष्ट्र चीनी उत्पादन के मामले में इस सीजन में सबको चौंकाने के लिए तैयार है। इस्मा अनुमान के अनुसार, 2025-26 में महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन रिकॉर्ड 130 लाख टन तक पहुंच सकता है। यह आंकड़ा पिछले सीजन (2024-25) के 93.51 लाख टन के उत्पादन से लगभग 39 प्रतिशत अधिक है। महाराष्ट्र की इस ऐतिहासिक छलांग के पीछे मुख्य रूप से अनुकूल मौसमी परिस्थितियाँ और बेहतर जल प्रबंधन है।

राज्य के गन्ना उत्पादक क्षेत्रों में अच्छी बारिश और बांधों में पर्याप्त पानी के स्तर ने गन्ने की फसल को असाधारण रूप से मजबूत किया है। इसके अलावा, राज्य सरकार और मिलों द्वारा चलाए जा रहे गन्ना विकास कार्यक्रमों ने भी प्रति हेक्टेयर पैदावार (Yield) में सुधार किया है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन संयुक्त प्रयासों के कारण ही महाराष्ट्र न सिर्फ उत्तर प्रदेश के गन्ना उत्पादन को पीछे छोड़ देगा, बल्कि देश में सबसे बड़े चीनी उत्पादक का ताज भी हासिल कर लेगा। यह उपलब्धि महाराष्ट्र के किसान और चीनी मिलों के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी।

उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन: रकबा घटा, गुणवत्ता बढ़ी

एक तरफ जहां महाराष्ट्र तेजी से आगे बढ़ रहा है, वहीं उत्तर प्रदेश का प्रदर्शन भी कमोबेश स्थिर और सकारात्मक रहने का अनुमान है। ISMA के मुताबिक, यूपी का चीनी उत्पादन 2025-26 में लगभग 2 प्रतिशत बढ़कर 103 लाख टन तक पहुंचने की उम्मीद है, जबकि पिछले सीजन में यह 101 लाख टन था।

दिलचस्प बात यह है कि उत्पादन में यह वृद्धि तब हो रही है, जब राज्य में गन्ने की खेती का रकबा (खेती का क्षेत्र) 23 लाख हेक्टेयर से घटकर लगभग 22.5 लाख हेक्टेयर हो गया है। कृषि विशेषज्ञों ने इसका श्रेय उत्तर प्रदेश के गन्ना किसानों द्वारा अपनाई गई उन्नत तकनीकों को दिया है।

  • बेहतर किस्मों का उपयोग: किसानों ने अधिक पैदावार वाली और रोग प्रतिरोधी नई किस्मों का इस्तेमाल किया है।
  • रोग प्रबंधन: गन्ने की फसल में रोगों का बेहतर प्रबंधन किया गया है।
  • शुगर रिकवरी रेट में सुधार: शुरुआती रिपोर्टों के अनुसार, चीनी मिलों में शुगर रिकवरी रेट (चीनी निकालने की दर) 9 प्रतिशत से बढ़कर 9.3 प्रतिशत हो गई है, और पेराई का मौसम बढ़ने के साथ इसमें और सुधार की उम्मीद है।

यह दर्शाता है कि मात्रा कम होने पर भी गुणवत्ता और दक्षता पर ध्यान केंद्रित करके उत्पादन को बढ़ाया जा सकता है।

किसानों के लिए सरकारी राहत और निर्यात का अवसर

उत्पादन की अच्छी संभावनाओं के साथ-साथ गन्ना किसान को यूपी सरकार की तरफ से भी बड़ी राहत मिली है। हाल ही में, राज्य सरकार ने गन्ने का MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) 30 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ाया है, जिससे किसानों की आय में सुधार की उम्मीद है। सरकार ने चीनी उद्योग को मजबूत करने और किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई नई योजनाएं भी शुरू की हैं।

वैश्विक बाजार के मोर्चे पर, भारत इस सीजन में एक मजबूत स्थिति में है। ISMA ने अनुमान लगाया है कि चीनी का भरपूर भंडार होने के कारण, भारत लगभग 20 लाख टन चीनी निर्यात करने की स्थिति में है। केंद्र सरकार ने इस सीजन में 15 लाख टन चीनी निर्यात की अनुमति देने के साथ-साथ, शीरे पर 50 प्रतिशत निर्यात शुल्क हटाने का भी महत्वपूर्ण फैसला लिया है। यह कदम देश की चीनी मिलों और किसानों के लिए अतिरिक्त राजस्व का स्रोत खोलेगा और उद्योग को और अधिक स्थिरता प्रदान करेगा।

निष्कर्ष और भविष्य की राह

2025-26 शुगर सीजन भारतीय चीनी उद्योग के लिए एक टर्निंग पॉइंट साबित हो सकता है। जहां एक ओर महाराष्ट्र रिकॉर्ड उत्पादन के साथ देश का नेतृत्व करने के लिए तैयार है, वहीं उत्तर प्रदेश गुणवत्ता और दक्षता के मामले में अपनी पकड़ मजबूत कर रहा है। कुल मिलाकर, इस्मा द्वारा अनुमानित 343.5 लाख टन का कुल चीनी उत्पादन देश की खाद्य सुरक्षा और निर्यात क्षमता दोनों के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

गन्ना किसान अब उन्नत कृषि तकनीकों, सरकारी सहायता और अच्छे चीनी निर्यात के अवसर के साथ एक उज्जवल भविष्य की ओर देख रहे हैं। इस बदलते समीकरण में, स्वस्थ प्रतिस्पर्धा और बेहतर शुगर रिकवरी दर पर ध्यान केंद्रित करना ही भारत को चीनी उत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक महाशक्ति बनाए रखेगा।

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