नई दिल्ली, 19 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): देश के चीनी उद्योग में किसानों के बढ़ते बकाया को लेकर चिंता गहराने लगी है। इंडियन शुगर एंड बायो-एनर्जी मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (ISMA) ने चेतावनी दी है कि अगर सरकार ने समय रहते सेक्टर को सपोर्ट नहीं दिया, तो गन्ना किसानों को भुगतान में गंभीर दिक्कत आ सकती है।
ख़बरों के मुताबिक, इस्मा ने कहा कि चालू सीजन में देश में चीनी उत्पादन करीब 345 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में लगभग 5% अधिक है। उत्पादन बढ़ने के बावजूद कमजोर अंतरराष्ट्रीय कीमतों और सीमित घरेलू सपोर्ट के कारण मिलों की नकदी स्थिति दबाव में है।
महाराष्ट्र में किसानों का बकाया बनना शुरू हो गया है और अब तक करीब ₹2,000 करोड़ का भुगतान अटका हुआ है। सरकार ने 15 लाख टन चीनी के निर्यात को मंजूरी तो दी है, लेकिन वैश्विक बाजार में दाम अनुकूल न होने से निर्यात गति नहीं पकड़ पा रहा है। इसका सीधा असर मिलों की आय और किसानों के भुगतान पर पड़ रहा है।
इथेनॉल नीति पर जोर
ISMA ने सरकार से इथेनॉल एलोकेशन कोटा बढ़ाने की मांग भी दोहराई। फिलहाल चीनी मिलों को सिर्फ 28% इथेनॉल कोटा मिला है, जिसे अपर्याप्त बताया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने इथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी की जरूरत पर भी जोर दिया, ताकि मिलों की आय में सुधार हो सके।
MSP बढ़ाने की मांग
इस्मा का कहना है कि चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य (MSP) मौजूदा लागत के अनुरूप नहीं है। संगठन ने MSP बढ़ाकर ₹41.66 प्रति किलो करने की मांग की है, जिससे उद्योग को राहत मिले और किसानों के बकाया का समय पर भुगतान सुनिश्चित किया जा सके।
हालांकि, सरकार की ओर से इंडस्ट्री को सपोर्ट देने के संकेत मिले हैं और आने वाले समय में कुछ ठोस कदम उठाए जाने की उम्मीद है। उद्योग का मानना है कि निर्यात, इथेनॉल और MSP – तीनों मोर्चों पर संतुलित नीति ही किसानों और चीनी मिलों को इस दबाव से उबार सकती है।
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