“सोयाबीन की खेती: खरीफ सीजन में किसानों के लिए कमाई का नया विकल्प”

प्रोटीन का उत्कृष्ट स्रोत होने के अलावा, सोयाबीन एक लागत प्रभावी और उच्च उपज वाली फसल भी है। दरअसल, अभी खरीफ की फसल का मौसम है। इस मौसम की मुख्य फसल धान है। लेकिन कई इलाके ऐसे भी हैं जहां पानी की कमी है। ऐसे में किसान सोयाबीन उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। जानकार मानतें है की सोयाबीन की बुआई के लिए जून-जुलाई का समय अनुकूल माना जाता है। क्योंकि मानसून की पहली बारिश में खेतों में नमी हो जाती है। तो फिर बुआई का सही समय होता है।  बुआई से पहले किसानों को यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि खेत में पानी न भर जाए, अन्यथा बीज सड़ने का खतरा रहता है।

गोबर की खाद का करे उपयोग:
उन्होंने कहा कि किसान सोयाबीन की खेती में अधिक उपज प्राप्त करने के लिए जेएस 2036, जेएस 2095 और जेएस 355 जैसी उन्नत किस्मों को उगाकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। डॉ दीपक 6.0 से 7.5 पीएच वाली दोमट मिट्टी सोयाबीन उगाने के लिए कहते है । प्रमुख वैज्ञानिक डॉ. दीपक मेंदीरत्ता ने आगे कहा कि सोयाबीन की खेती में बेहतर फसल पोषण के लिए, प्रति खेत 5 से 10 टन की दर से अंतिम खेत समतल करने से पहले गाय के गोबर से जैविक खाद डालना चाहिए। इसे पूरे खेत में फैलाकर मिट्टी में अच्छी तरह मिला देना चाहिए।

खेतो में छिड़काव के लिए इस दवा का करे उपयोग:
वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक के अनुसार लंबे समय तक अत्यधिक बारिश के कारण सोयाबीन की पैदावार को नुकसान होता है । पीली मोजाइक बीमारी एवं तना मक्खी की प्रबलता को रोकने के लिए, किसानों को बीजों को फफूंदनाशक से उपचारित करना चाहिए और फिर कीटनाशक के रूप में थायामेथोक्साम या इमिडाक्लोप्रिड का छिड़काव करना चाहिए। बीजों को फफूंदनाशकों एवं कीटनाशकों से उपचारित करने के बाद ही जैविक खादों का टीकाकरण करना चाहिए। खरपतवारों से निपटने के लिए, रोपण के बाद और अंकुरण से पहले 1 किलोग्राम फ्लूक्लोरोलिन या ट्राइफ्लोरालिन पानी में मिलाकर खेतों में छिड़काव करना चाहिए।

कैसे की जाती है सोयाबीन की बुवाई:
जानकार बताते हैं कि किसानों को एक हेक्टेयर में 25 से 30 क्विंटल तक का उत्पादन मिल सकता है।  इसके लिए किसानों को 1 हेक्टेयर में 40 से 50 किलो डीएपी, 40 से 50 किलो पोटाश और 80 किलो यूरिया की आवश्यकता होती है।  यूरिया का उपयोग थोड़ी-थोड़ी मात्रा में तीन बार करना चाहिए. एक हेक्टेयर में करीब 12 से 15 किलो यूरिया बुवाई के समय उसके बाद 25 से 30 किलो यूरिया पौधे के विकास के समय और 40 से 50 किलो यूरिया पौधे में जब फूल लग जाते हैं उस समय देना चाहिए।  उन्होंने कहा कि बुवाई के समय छोटे दाने की प्रजाति वाले बीज 60 से 70 किलोग्राम तो वहीं बड़े दाने वाले प्रजातियों के लिए बीज की 90 से 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर कि दर से बुवाई करना चाहिए।  ऐसे में किसान धान की फसल की खेती न करके गोल्डन बीन यानी सोयाबीन की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।

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