नई दिल्ली, 15 सितम्बर (कृषि भूमि ब्यूरो):
अंतरराष्ट्रीय बाजार में मशहूर बासमती चावल की कीमतों में हाल के दिनों में तेज़ी देखी जा रही है। इसका प्रमुख कारण भारत और पाकिस्तान के बासमती उत्पादक क्षेत्रों में आई भारी बारिश और बाढ़ है। समाचार एजेंसी Reuters की रिपोर्ट के अनुसार, मौसम की मार से फसलों को व्यापक नुकसान पहुँचा है, जिससे उत्पादन घटने की आशंका है।
विशेषज्ञों का कहना है कि बासमती चावल की पैदावार में कमी आने पर घरेलू बाजार के साथ-साथ निर्यात कीमतों में भी बढ़ोतरी तय मानी जा रही है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा बासमती निर्यातक है और खाड़ी देशों से लेकर यूरोप तक इसकी भारी मांग रहती है। ऐसे में उत्पादन पर असर पड़ने से अंतरराष्ट्रीय खरीदारों को भी महँगा सौदा करना पड़ सकता है।
किसानों का कहना है कि बाढ़ और लगातार बारिश से खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो गई हैं। कई इलाकों में पानी लंबे समय तक जमा रहने से पौधों की जड़ों को नुकसान हुआ है। विशेषज्ञ अनुमान लगा रहे हैं कि इस सीजन में कुल पैदावार में 10 से 15 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है।
उधर, थोक बाजारों में बासमती की औसत कीमतों में 5 से 7 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की जा चुकी है। यदि मौसम की स्थिति सामान्य नहीं हुई, तो आने वाले महीनों में यह उछाल और तेज़ हो सकता है। खुदरा स्तर पर उपभोक्ताओं को सीधे इसका असर झेलना पड़ सकता है।
विश्लेषकों के मुताबिक, मांग और आपूर्ति में असंतुलन से न केवल घरेलू उपभोक्ता बल्कि अंतरराष्ट्रीय खरीदार भी प्रभावित होंगे। ऐसे हालात में सरकार और व्यापारिक संगठनों को किसानों को राहत पहुँचाने और आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर बनाए रखने के लिए ठोस कदम उठाने की ज़रूरत है।
कुल मिलाकर, बासमती की पैदावार में गिरावट और बढ़ती कीमतें इस साल किसानों, व्यापारियों और उपभोक्ताओं—तीनों के लिए चिंता का विषय बन चुकी हैं।
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