रिपोर्ट: बिचित्र शर्मा
धर्मशाला, 12 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश के कृषि एवं पशुपालन मंत्री प्रो. चंद्र कुमार ने कहा कि प्राकृतिक खेती पर्यावरण, मिट्टी और किसानों की समृद्धि के लिए आवश्यक है। वे मंगलवार को धर्मशाला में आयोजित “प्राकृतिक खेती” पर दो दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए बोल रहे थे।
मंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश प्राकृतिक खेती की दिशा में देशभर में उदाहरण प्रस्तुत कर रहा है। राज्य सरकार किसानों को तकनीकी मार्गदर्शन, प्रशिक्षण और प्रोत्साहन देकर इसे जन-आंदोलन बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे प्राकृतिक खेती को अपनाकर आने वाली पीढ़ियों के लिए स्वस्थ पर्यावरण और सुरक्षित अन्न सुनिश्चित करें।
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राज्य में प्राकृतिक खेती की स्थिति
प्रो. चंद्र कुमार ने बताया कि प्रदेश के विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में किसान और बागवान सफलतापूर्वक प्राकृतिक विधि से फसलों और फलों की खेती कर रहे हैं। अब तक 3 लाख 6 हजार किसान-बागवानों को प्रशिक्षण दिया जा चुका है और 2,22,893 किसान राज्य की 3584 पंचायतों में लगभग 38,437 हेक्टेयर भूमि पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं।
सरकार का विशेष फोकस: MSP और प्रोत्साहन
सरकार ने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए किसानों को आर्थिक प्रोत्साहन भी दिया है। प्राकृतिक गेहूँ का समर्थन मूल्य 40 रु से बढ़ाकर 60 रु प्रति किलोग्राम किया गया। प्राकृतिक मक्की का समर्थन मूल्य 30 रु से बढ़ाकर 40 रु प्रति किलोग्राम तय हुआ। फसलों को खरीद केंद्र तक पहुँचाने के लिए 2 रु प्रति किलोग्राम परिवहन सब्सिडी दी जाएगी। कच्ची हल्दी के लिए 90 रु प्रति किलोग्राम का न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित किया गया है।
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कार्यशाला की मुख्य झलकियाँ
‘प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान’ योजना के राज्य परियोजना निदेशक हेमिस नेगी ने इस योजना के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह पहल खेती को रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता से मुक्त करने की दिशा में मील का पत्थर है।
डॉ. अतुल डोगरा, कार्यकारी निदेशक ने कहा कि प्राकृतिक खेती भूमि की सेहत, जैव विविधता और किसान की आर्थिक स्थिति में सुधार का सशक्त माध्यम है।
कृषि विश्वविद्यालय पालमपुर के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. रामेश्वर ने बताया कि स्थानीय संसाधनों – गोबर, गोमूत्र, बीजामृत, जीवामृत – का उपयोग लागत घटाता है और उत्पादन को अधिक पोषक बनाता है।
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किसानों के अनुभव
धर्मशाला के शक्ति देव, हमीरपुर के मुनिष कुमार, नगरोटा बगवां की वीना धीमान, कांगड़ा की रिशु कुमारी और चंबा के राजेश कुमार ने साझा किया कि प्राकृतिक खेती अपनाने से उनकी फसलों की गुणवत्ता में सुधार हुआ है और मिट्टी की उर्वरता बढ़ी है।
सम्मान और प्रोत्साहन राशि
कृषि मंत्री ने बायो इनपुट रिसोर्स सेंटर (BRC) से जुड़े सुमना देवी, उमेश कुमार, सविता देवी, ललिता देवी और बलवंत कुमार को ₹25-25 हजार के चेक प्रदान किए। साथ ही, राज्य के विभिन्न महिला और किसान समूहों को ₹10-10 हजार की प्रोत्साहन राशि भी दी गई।
कार्यक्रम में शामिल प्रमुख अधिकारी और प्रतिभागी
कार्यक्रम में परियोजना निदेशक आत्मा कांगड़ा डॉ. राज कुमार, संयुक्त निदेशक कृषि डॉ. राहुल कटोच, उप निदेशक कृषि कुलदीप धीमान, उद्यान उपनिदेशक अलक्ष पठानिया, महिला कांग्रेस महासचिव ममता मेहरा, तथा कृषि-पशुपालन विभागों और विभिन्न जिलों के 500 से अधिक किसान उपस्थित रहे।
प्राकृतिक खेती अब हिमाचल प्रदेश में कृषि सुधार की नई दिशा बन चुकी है। यह पहल किसानों को आर्थिक रूप से सशक्त करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण और मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभा रही है।
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