PM Dhan-Dhanya Agriculture Scheme: प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी: 6 वर्षों में 1.7 करोड़ किसानों को मिलेगा लाभ

PM Dhan-Dhanya Agriculture Scheme

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने कृषि क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना (PM Dhan-Dhanya Agriculture Scheme) को हरी झंडी दे दी है। यह योजना अगले छह वर्षों तक देश के उन जिलों में लागू की जाएगी, जहां कृषि उत्पादकता और उत्पादन अन्य जिलों की तुलना में काफी कम है। योजना के अंतर्गत हर राज्य से कम से कम एक पिछड़ा जिला शामिल किया जाएगा।

24 हजार करोड़ रुपये सालाना खर्च

इस महत्वाकांक्षी योजना पर सरकार हर वर्ष लगभग 24,000 करोड़ रुपये खर्च करेगी। इसका लाभ करीब 1.70 करोड़ किसानों तक पहुंचाने का लक्ष्य तय किया गया है। 2025-26 के आम बजट में इस योजना की घोषणा की गई थी।

11 मंत्रालयों की 36 योजनाएं होंगी शामिल

योजना के सफल क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार के 11 मंत्रालयों की 36 विभिन्न योजनाएं, राज्य सरकारों की योजनाएं और निजी क्षेत्र की भागीदारी को जोड़ा जाएगा। यह पहली बार होगा जब किसी योजना को इस प्रकार बहु-आयामी और समन्वित दृष्टिकोण से लागू किया जाएगा। योजना का प्रारूप नीति आयोग के आकांक्षी जिलों के कार्यक्रम से प्रेरित है।

PM Dhan-Dhanya Agriculture Scheme:

  • कृषि उत्पादकता में वृद्धि
  • फसल (Crop) विविधीकरण को बढ़ावा देना
  • भंडारण क्षमता का विस्तार (पंचायत और प्रखंड स्तर पर)
  • सिंचाई (Irrigation) सुविधा में सुधार
  • कृषि ऋण तक किसानों की आसान पहुंच

चयन प्रक्रिया: कौन से जिले होंगे शामिल?

देशभर से 100 जिलों का चयन तीन प्रमुख मापदंडों के आधार पर किया जाएगा:

  1. कम कृषि उत्पादकता
  2. कम ऋण वितरण
  3. कम फसली तीव्रता (cropping intensity)

हर राज्य और केंद्र शासित प्रदेश में जिलों की संख्या का निर्धारण वहां की नेट क्रॉप्ड एरिया (NCA) और ऑपरेशनल होल्डिंग्स के अनुपात के आधार पर किया जाएगा। चयनित जिलों की प्रगति की 117 संकेतकों के आधार पर नियमित निगरानी की जाएगी, जिसे डैशबोर्ड के जरिए केंद्र सरकार द्वारा देखा जाएगा।

हर जिले के लिए अलग योजना

योजना के अंतर्गत प्रत्येक जिले के लिए एक विशेष प्रोजेक्ट तैयार किया जाएगा। जिले, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर समन्वय समितियों का गठन किया जाएगा, जिनमें प्रगतिशील किसानों को सदस्य के रूप में शामिल किया जाएगा।

जिला स्तर पर बनाई गई योजनाओं में:

  • जल और मृदा संरक्षण
  • जैविक और प्राकृतिक खेती को बढ़ावा
  • कृषि में आत्मनिर्भरता
  • स्थानीय रोजगार सृजन
    जैसे मुद्दों को प्राथमिकता दी जाएगी।

नीति आयोग और नोडल अधिकारी करेंगे निगरानी

योजना की निगरानी के लिए नीति आयोग जिलों की समीक्षा और मार्गदर्शन करेगा। साथ ही, केंद्र द्वारा नियुक्त नोडल अधिकारी भी नियमित निरीक्षण और मूल्यांकन करेंगे।

सरकार का लक्ष्य कृषि के क्षेत्र में पिछड़े जिलों को मुख्यधारा में लाना है ताकि कृषि उत्पादन में समग्र वृद्धि हो और किसानों की आमदनी बढ़े। इस योजना से स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे और आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को नई गति मिलेगी।

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