मुंबई, 3 दिसंबर, 2025 (कृषि भूमि डेस्क): हाल ही में, एक महत्वपूर्ण सरकारी सुझाव सामने आया है जहाँ संसदीय समिति ने उर्वरक विभाग को निर्देश दिया है कि नैनो-उर्वरकों (Nano-Fertilisers) को व्यापक रूप से बढ़ावा देने से पहले उनके प्रभाव और सुरक्षित उपयोग पर लंबे समय तक फ़ील्ड ट्रायल (Field Trials) किए जाएँ। समिति का मानना है कि किसानों के बीच किसी भी नई तकनीक को लोकप्रिय बनाने से पहले उसके दीर्घकालिक प्रभावों का पूरी तरह से मूल्यांकन करना आवश्यक है।
नैनो-उर्वरक क्या हैं?
नैनो-उर्वरक, पारंपरिक उर्वरकों का एक उन्नत संस्करण है। इनमें पोषक तत्वों (जैसे नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटेशियम) को नैनोमीटर स्तर के अत्यंत छोटे कणों में बदला जाता है।
बढ़ा हुआ अवशोषण (Increased Absorption): कणों का आकार छोटा होने के कारण, पौधे इन पोषक तत्वों को अधिक कुशलता से अवशोषित (absorb) कर पाते हैं।
कम उपयोग: इनके बेहतर अवशोषण के कारण पारंपरिक उर्वरकों की तुलना में कम मात्रा की आवश्यकता होती है, जिससे किसानों की लागत कम हो सकती है।
पर्यावरण लाभ: कम मात्रा के उपयोग से मिट्टी और जल स्रोतों में पोषक तत्वों का बहाव (leaching) कम होता है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण कम होने की संभावना है।
फ़ील्ड ट्रायल की ज़रूरत क्यों?
समिति ने नैनो-उर्वरकों के कई संभावित लाभों को स्वीकार किया है, जैसे कि नैनो यूरिया की सफ़लता। लेकिन, उनके व्यापक उपयोग से पहले निम्नलिखित चिंताओं के कारण व्यापक परीक्षण की मांग की गई है:
1. दीर्घकालिक प्रभाव (Long-term Impact): नैनो कणों का मिट्टी के स्वास्थ्य और सूक्ष्मजीवों पर लंबे समय तक क्या प्रभाव रहेगा? क्या इन कणों के लगातार उपयोग से मानव स्वास्थ्य पर कोई असर हो सकता है, विशेष रूप से खाद्य श्रृंखला (Food Chain) के माध्यम से?
2. सुरक्षित और प्रभावी उपयोग: विभिन्न प्रकार की मिट्टी और फसलों में इनकी प्रभावशीलता अलग-अलग हो सकती है। किसानों को उनके खेत की विशेष परिस्थितियों के लिए सर्वोत्तम उपयोग की विधि बताने के लिए डेटा की आवश्यकता है।
3. किसानों में विश्वास: अगर शुरुआती परिणाम सकारात्मक नहीं आते हैं, तो किसानों का इस नई और महंगी तकनीक पर से विश्वास उठ सकता है, जिससे इसका भविष्य में प्रसार मुश्किल हो जाएगा।
संसदीय समिति ने उर्वरक विभाग को सलाह दी है कि वह भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) और विभिन्न कृषि विश्वविद्यालयों के साथ समन्वय स्थापित करे। इन संस्थाओं को निर्देश दिया गया है कि वे:
विभिन्न कृषि-जलवायु क्षेत्रों में नैनो-उर्वरकों पर सटीक, दोहराए जाने योग्य और लंबे समय तक चलने वाले परीक्षण करें।
परीक्षणों के परिणामों को पारदर्शी तरीके से किसानों और जनता के सामने प्रस्तुत करें।
सिर्फ़ प्रचार करने के बजाय, किसानों को सुरक्षित उपयोग के तरीक़ों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दें।
यह कदम सुनिश्चित करता है कि कृषि में नवाचार (Innovation) को बढ़ावा देते समय, विज्ञान, सुरक्षा और किसान कल्याण को प्राथमिकता दी जाए। किसी भी नई तकनीक को अपनाने से पहले उसकी पूरी जाँच-परख आवश्यक है, ताकि हरित क्रांति की अगली पीढ़ी सुरक्षित और टिकाऊ हो।
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