NITI Aayog ने मसूर उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए पेश किया ब्लूप्रिंट

Daal

नई दिल्ली, 5 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):

भारत को दालों के उत्पादन, विशेष रूप से मसूर दाल में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक निर्णायक पहल करते हुए नीति आयोग (NITI Aayog) ने शुक्रवार को एक व्यापक रणनीति (Comprehensive Blueprint) प्रस्तुत की। इस ब्लूप्रिंट का उद्देश्य न केवल घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देना है, बल्कि दालों के आयात पर देश की निर्भरता को भी चरणबद्ध तरीके से कम करना है।

रणनीति के मुख्य बिंदु:

1. मूल्य वर्धन (Value Addition): मसूर जैसी फसलों की प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग को बढ़ावा देकर किसानों को उनकी उपज का बेहतर मूल्य दिलाने की योजना बनाई गई है। इसके तहत प्राइवेट और कोऑपरेटिव प्रोसेसिंग यूनिट्स को समर्थन मिलेगा।
2. कटाई के बाद नुकसान में कमी (Post-Harvest Loss Reduction): भंडारण और प्रसंस्करण से जुड़ी बुनियादी ढांचे में सुधार लाकर दालों के खराब होने की दर को घटाने पर जोर है। इससे आपूर्ति श्रृंखला मजबूत होगी और किसानों को नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।
3. फसल क्षेत्र का विस्तार (Expansion of Cultivation Area): नीति आयोग ने मसूर की खेती के लिए उपयुक्त लेकिन अभी तक कम उपयोग किए गए क्षेत्रों की पहचान की है, जैसे मध्य भारत के आदिवासी क्षेत्र, झारखंड, छत्तीसगढ़ और पूर्वी उत्तर प्रदेश।
4. उत्पादकता में वृद्धि (Productivity Enhancement): नई बीज किस्मों, जैविक खेती और वैज्ञानिक सलाह के जरिए प्रति हेक्टेयर उपज को बढ़ाने की योजना बनाई गई है। इसमें कृषि विश्वविद्यालयों और ICAR संस्थानों की साझेदारी अहम भूमिका निभाएगी।

नीति आयोग का बयान:

“भारत को आत्मनिर्भर बनाना केवल एक नारा नहीं, बल्कि एक रणनीतिक लक्ष्य है। मसूर और अन्य दालों में आत्मनिर्भरता से न केवल किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि विदेशी मुद्रा की बचत भी होगी।” — डॉ. वी.के. पॉल, सदस्य, नीति आयोग

वर्तमान स्थिति और चुनौती:

भारत दुनिया में दालों का सबसे बड़ा उपभोक्ता होने के बावजूद अब भी 25% से अधिक दालों का आयात करता है, जिनमें कनाडा और ऑस्ट्रेलिया से मसूर की भारी मात्रा में आपूर्ति होती है। 2024‑25 में मसूर का घरेलू उत्पादन लक्ष्य 1.5 करोड़ टन था, लेकिन यह केवल 1.1 करोड़ टन ही रहा। यह अंतर आयात से पूरा किया गया, जिससे घरेलू बाजार पर मूल्य अस्थिरता बढ़ गई।

अर्थव्यवस्था और किसान दोनों को लाभ:

इस रणनीति के सफल कार्यान्वयन से:

  • दालों के दाम स्थिर रहेंगे।
  • किसानों को बेहतर MSP और बाजार मिलेगा।
  • दालों की खुदरा कीमतों में गिरावट आएगी।
  • खाद्य सुरक्षा को बल मिलेगाNITI Aayog की यह पहल भारत को दालों में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक ठोस और दीर्घकालिक कदम है। अगर राज्यों और निजी क्षेत्र का सहयोग मिला, तो आने वाले सालों में भारत खाद्य सुरक्षा के साथ-साथ आर्थिक रूप से भी मजबूत होगा।

 

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