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हैदराबाद, 10 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):

आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू (ASR) जिले में रहने वाले आदिवासी किसानों के लिए अब चिंतापल्ले लाल राजमा ((kidney beans) नई उम्मीद लेकर आया है। यह किस्म न केवल स्थानीय किसानों के बीच लोकप्रिय है, बल्कि अब इसके उत्पादन और गुणवत्ता सुधार की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

उन्नत किस्म पर शोध

एएसआर जिले के चिंतापल्ले स्थित क्षेत्रीय कृषि अनुसंधान केंद्र (RARS) के वैज्ञानिकों ने किसानों की आय और पैदावार बढ़ाने के लिए ‘चिंतापल्ले रेड’ नामक किस्म पर अनुसंधान शुरू किया है। अनुसंधान का मुख्य लक्ष्य है—

  • एक ही आकार की फलियों का उत्पादन
  • कम समय में फसल चक्र पूरा करना
  • सर्दी से पहले कटाई कर लेना

केंद्र के एसोसिएट डायरेक्टर डॉ. ए. अप्पाला स्वामी के अनुसार, “अरुण, ज्वाला, उत्कर्ष और अंबर जैसी उन्नत किस्मों की अवधि लगभग 120 दिन होती है। पहाड़ी इलाकों में दिसंबर की ठंड इन किस्मों को प्रभावित करती है। लेकिन चिंतापल्ले रेड किस्म की अवधि सिर्फ 80–85 दिन है, जिससे फसल समय पर तैयार हो जाती है और नुकसान का जोखिम कम हो जाता है।”

खासियत और उत्पादन

  • चिंतापल्ले रेड किस्म का स्वाद अन्य किस्मों की तुलना में अधिक तीखा माना जाता है।
  • इसे एएसआर जिले के चिंतापल्ले, जीके वीधी, जी मदुगुला, पडेरु, पेदाबयालु और मुंचिंगिपुट्टू मंडलों में जैविक रूप से उगाया जाता है।
  • प्रति एकड़ औसत उपज: 200–250 किलो
  • बीज आवश्यकता: 30 किलो प्रति एकड़
  • फसल चक्र: 80–85 दिन (सितंबर–नवंबर)

किसानों के लिए लाभ

पहाड़ी इलाकों में अब तक कोई बीज उत्पादन श्रृंखला नहीं थी। अब RARS ने किसानों के लिए बीज उत्पादन योजना शुरू करने का निर्णय लिया है। चालू खरीफ सीज़न में किसानों को लगभग 5,000 क्विंटल बीज वितरित किए जाएंगे।

स्थानीय किसान कहते हैं, “नई किस्म जल्दी तैयार होती है और हमारी जमीन के अनुकूल है। इससे हमें अतिरिक्त आय होगी और हम दूसरी फसलों की तैयारी भी कर पाएंगे।”

खेती का बढ़ता दायरा

एएसआर जिले में राजमा की खेती का रकबा अब 10,000 हेक्टेयर तक पहुँच चुका है। प्रशासन और पुलिस विभाग आदिवासी किसानों को गांजा की खेती से हटाकर राजमा उत्पादन की ओर प्रोत्साहित कर रहे हैं। इस कदम से न केवल किसानों की आमदनी बढ़ेगी बल्कि क्षेत्रीय अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी।

विशेषज्ञों की उम्मीद

कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि यदि चिंतापल्ले रेड किस्म को संगठित तरीके से बढ़ावा दिया गया तो आने वाले वर्षों में एएसआर जिला देश के राजमा उत्पादन मानचित्र पर एक प्रमुख केंद्र बन सकता है।

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