मुंबई, 10 सितंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):
मसाला बाजार में काली मिर्च के भाव में गिरावट देखी जा रही है। पिछले कुछ हफ्तों में तेज़ी से बढ़े दाम अब खरीदारों को रास नहीं आ रहे हैं, जिसके चलते ऊंचे स्तर पर मांग कमजोर हो गई है। कारोबारियों के अनुसार, घरेलू और निर्यात दोनों ही मोर्चों पर खरीदारी धीमी है।
मंडीवार रेट (₹ प्रति किलो)
मंडी/क्षेत्र | न्यूनतम भाव | अधिकतम भाव | साप्ताहिक गिरावट |
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कोच्चि | 615 | 620 | ₹10–15 |
इडुक्की | 600 | 610 | ₹10–12 |
वायनाड | 600 | 610 | ₹10–12 |
अंतरराष्ट्रीय बाजार की तुलना
देश/बाज़ार | औसत भाव (US$/टन) | रुझान |
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वियतनाम | 6,900 – 7,000 | स्थिर |
इंडोनेशिया | 6,800 – 6,900 | हल्की गिरावट |
भारत (निर्यात) | 7,200 – 7,300 | महंगा, मांग कम |
विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय काली मिर्च अंतरराष्ट्रीय बाजार में वियतनाम और इंडोनेशिया की तुलना में महंगी है, जिस कारण निर्यातकों की रुचि सीमित है। ऊंचे स्तर पर घरेलू मांग भी कमजोर बनी हुई है।
हालांकि, त्योहारों का सीजन नजदीक आने से बाजार को कुछ सहारा मिलने की उम्मीद है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि मांग में सुधार हुआ तो कीमतें स्थिर रह सकती हैं, अन्यथा निकट भविष्य में और नरमी संभव है।
विश्लेषकों का मानना है कि काली मिर्च के उत्पादन क्षेत्र में इस साल औसत से बेहतर फसल होने की संभावना है, जिससे आपूर्ति का दबाव भी बढ़ सकता है। यदि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कीमतें स्थिर रहीं और भारतीय बाजार में ऊंचे दाम कायम रहे, तो निर्यातकों की प्रतिस्पर्धा और कमज़ोर होगी। ऐसे हालात में घरेलू उपभोक्ता उद्योग—जैसे मसाला प्रोसेसिंग और पैकेजिंग कंपनियां—भी आयातित काली मिर्च की ओर रुख कर सकती हैं। इससे भारतीय किसानों और व्यापारियों को अतिरिक्त चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर, ऊंचे दामों पर मांग की कमी ने भारतीय काली मिर्च को दबाव में ला दिया है, और बाजार का रुख फिलहाल खरीदारों की सक्रियता पर निर्भर है।
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