India-UK Free Trade Agreement मुक्त व्यापार समझौता: कृषि निर्यात को मिलेगी नई उड़ान

India-UK Free Trade Agreement

नई दिल्ली: भारत (India) और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच मुक्त व्यापार समझौता (India-UK Free Trade Agreement) भारतीय कृषि क्षेत्र के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोल रहा है। इस समझौते के तहत कई प्रमुख कृषि और समुद्री उत्पादों पर आयात शुल्क (टैरिफ) में भारी कटौती की गई है, जिससे अगले तीन वर्षों में कृषि निर्यात (Agricultural Exports) में 20% तक वृद्धि की उम्मीद जताई जा रही है।

यह समझौता ऐसे समय पर हुआ है जब भारत ग्लोबल एग्री-एक्सपोर्ट हब बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है। समझौते के तहत अब फल, सब्जियाँ, मसाले, चाय, कॉफी, शहद, प्रोसेस्ड फूड और समुद्री उत्पादों पर यूके द्वारा लगाए गए उच्च टैरिफ में ढील दी गई है, जिससे इन उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता ब्रिटिश बाजार में और बढ़ेगी।

वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, इस समझौते से भारत के छोटे और मध्यम कृषि निर्यातकों को सीधा लाभ मिलेगा। अब तक उन्हें यूके में अपने उत्पाद भेजने में 20–30% तक का टैरिफ खर्च करना पड़ता था, जिससे उनकी कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार में कम प्रतिस्पर्धी हो जाती थीं। लेकिन FTA के बाद यह बाधा अब काफी हद तक हट चुकी है।

समुद्री उत्पादों, जैसे झींगा, मछली और अन्य प्रोसेस्ड सीफूड (Seafood) पर भी शुल्क कटौती से भारत के तटीय राज्यों – खासकर ओडिशा, आंध्र प्रदेश, केरल और तमिलनाडु के निर्यातकों को बड़ा फायदा होगा।

FTA के तहत भारत को यूके की खाद्य गुणवत्ता जांच प्रणाली में प्राथमिकता भी मिलेगी, जिससे निर्यात प्रक्रियाएँ तेज और सरल होंगी। साथ ही, सरकार प्रशिक्षण, पैकेजिंग और गुणवत्ता प्रमाणीकरण के क्षेत्र में भी निवेश बढ़ा रही है, ताकि अधिक से अधिक किसान और उत्पादक इस अवसर का लाभ उठा सकें।

विशेषज्ञों का मानना है कि इस समझौते से न केवल निर्यात में इजाफा होगा, बल्कि किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य को भी मजबूती मिलेगी। इसके अतिरिक्त, यह भारत की मूल्य संवर्धित कृषि नीति (Value Added Agriculture Policy) को बल देने वाला कदम भी है।

भारत-यूके मुक्त व्यापार समझौता ((India-UK Free Trade Agreement)) केवल व्यापारिक कागजों तक सीमित नहीं, बल्कि यह भारत के खेतों से विदेशी थालियों तक की सीधी कड़ी है। इससे न केवल निर्यात बढ़ेगा, बल्कि भारत की कृषि अर्थव्यवस्था को वैश्विक बाजारों से बेहतर जुड़ाव मिलेगा – और यही आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक निर्णायक कदम है।

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