दिल्ली की सीमाओं पर डटे किसानों के लिए अहम दिन है। क्योंकि आज सरकार और किसान संगठनों के नेताओं के बीच अहम बैठक होने वाली है। हालांकि अभी तक तीन दौर की बातचीत बेनतीजा रही है। शंभू बॉर्डर पर किसानों के डेरा डाले हुए छह दिन हो चुके हैं। इस बीच, किसान नेताओं और सरकार के बीच चौथे दौर की बातचीत आज चंडीगढ़ में होनी है। जिस पर आज सभी की निगाह लगी है।

आज की बैठक से पहले इस आंदोलन का नेतृत्व कर रहे किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने कहा, ‘शंभू बॉर्डर पर हमें छह दिन हो गए हैं और आज बातचीत भी हो रही है, जब हमने सरकार के साथ बातचीत की है तो सरकार ने कहा कि हमारे पास केंद्र और उनके बड़े मंत्रियों से बात करने का समय है और मिलकर समाधान निकालेंगे। जैसा कि आप जानते हैं, हम हर दिन 27 रुपये पर जीवित रहते हैं। किसानों और मजदूरों की हालत लगातार बिगड़ती जा रही है। हमें जो खर्च उठाना पड़ रहा है वह यह है कि बीज, खाद, कृषि मशीनरी, मजदूरों का खर्च लगातार बढ़ रहा है, लेकिन हमें जो फसल दी जाती है उसके दाम हमें कभी नहीं मिलते।किसान सिर्फ एमएसपी चाहते हैं।

किसान-सरकार के बीच हो चुकी है तीन दौर की बातचीत

इससे पहले किसान नेताओं और सरकार के बीच 8, 12 और 15 फरवरी को बैठक हुई थी, लेकिन उनमें कोई सफलता नहीं मिली थी। दरअसल, किसान फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की गारंटी देने के लिए कानून बनाने की मांग पर अड़े हुए हैं। किसानों की सरकार से 13 प्रमुख मांगें हैं, जिनमें से 10 मांगें सरकार ने मान ली हैं। मामला सिर्फ तीन मांगों पर अटका हुआ है। ये मांगें हैं- एमएसपी की गारंटी, किसानों के लिए कर्ज माफी और 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को पेंशन।

दिल्ली और पंजाब-हरियाणा सीमा पर किसान डाले हुए हैं डेरा

केंद्रीय कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने भी उम्मीद जताई है कि आज किसान संगठनों के साथ होने वाली बैठक में कोई हल निकल आएगा। उन्होंने कहा, ”हम जल्द ही समाधान खोज लेंगे। ऐसे में यह भी चर्चा है कि केंद्र सरकार किसानों को एमएसपी पर कमेटी बनाने का प्रस्ताव दे सकती है। हालांकि इस पर मुहर लगेगी या नहीं और किसान दिल्ली कूच पर अड़े रहेंगे या फिर घर लौटेंगे? इन सवालों के जवाब अब बैठक के बाद ही मिल पाएंगे।

वहीं किसान नेताओं का कहना है कि हम चाहते हैं कि सरकार इस मुद्दे को हल करे। हम चाहते हैं कि सरकार एमएसपी खरीद की गारंटी देने वाला कानून बनाए। अब सरकार को तय करना चाहिए कि इसे कैसे बनाना है। हम बैठक में कुछ सकारात्मक हासिल करना चाहते हैं और फिर हम जीत के नारे लगाते हुए घर जाते हैं।

जानिए क्या हैं किसानों की मांगें?

1. सभी फसलों की खरीद के लिए एमएसपी गारंटी कानून बनाया जाए।

2. फसलों का मूल्य डॉ. स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार तय किया जाए। एमएसपी सभी फसलों की औसत उत्पादन लागत से 50 प्रतिशत अधिक था।

3. किसानों और खेत मजदूरों का कर्ज माफ किया जाए। किसानों को प्रदूषण के दायरे से बाहर रखा जाए।

4. 60 साल से अधिक उम्र के किसानों को 10,000 रुपये की पेंशन दी जाए।

5. भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 को फिर से लागू किया जाए।

6. लखीमपुर खीरी कांड के दोषियों को सजा मिलनी चाहिए। आरोपियों की जमानत रद्द की जाए।

7. मुक्त व्यापार समझौतों को रोका जाना चाहिए।

8. इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 को रद्द किया जाए।

9. मनरेगा के तहत 200 दिन का काम और 700 रुपये मजदूरी दी जाए।

10. किसान आंदोलन में मारे गए किसानों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी दी जाए। समझौते के मुताबिक घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए। दिल्ली मोर्चा समेत देशभर में हुए आंदोलनों के दौरान दर्ज सभी मामलों को रद्द किया जाए।

11. नकली बीज, कीटनाशक और खाद का कारोबार करने वाली कंपनियों पर सख्त कानून बनाएं। फसल बीमा सरकार को ही कराना चाहिए।

12. मिर्च, हल्दी और अन्य मसालों के लिए राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाना चाहिए।

13. संविधान की 5वीं अनुसूची लागू कर आदिवासी भूमि की लूट को रोका जाए।

हरियाणा में इंटरनेट बैन बढ़ा

किसानों के प्रदर्शन के कारण हरियाणा के सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर रोक बढ़ा दी गई है। अंबाला, कुरुक्षेत्र, कैथल, जींद, हिसार, फतेहाबाद और सिरसा में इंटरनेट सेवाएं अब 19 फरवरी रात 12 बजे तक बंद रहेंगी। इसको लेकर हरियाणा सरकार की ओर से एक बार फिर सर्कुलर जारी किया गया है। इन जिलों में 11 फरवरी सुबह 6 बजे से इंटरनेट पर रोक लागू है। इसके अलावा कई जिलों में धारा 144 भी लागू है।

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