नई दिल्ली, 12 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): ICE (Cotton #2) वायदा बाजार में नरमी बनी हुई है, क्योंकि नवीनतम अमेरिकी शिपमेंट और निर्यात बुकिंग आंकड़े उम्मीद से कमजोर रहे। आज के कारोबार में ICE कॉटन लगभग 64 सेंट प्रति पाउंड पर स्थिर से कमजोर रुख के साथ ट्रेड हुआ। शिपमेंट में गिरावट और वैश्विक टेक्सटाइल खपत में सुस्ती ने कीमतों पर दबाव बढ़ा दिया है।
अमेरिका से एशियाई देशों, विशेष रूप से चीन, पाकिस्तान और वियतनाम की खरीद कमज़ोर है, जिससे निर्यात बुकिंग पिछले वर्ष के स्तर से नीचे बनी हुई है। अमेरिकी कृषि विभाग के नवीनतम डेटा के अनुसार, शिपमेंट वॉल्यूम इस मार्केटिंग वर्ष के सबसे निचले स्तरों में से एक है।
MCX कॉटन (भारत) पर ICE बाजार का प्रभाव
अंतरराष्ट्रीय बाजार में कमजोरी का सीधा असर भारतीय वायदा बाजार MCX पर भी दिख रहा है। ताज़ा कारोबार में MCX कॉटन (कापा) ₹57,000–₹58,200 प्रति 170 kg के दायरे में उतार-चढ़ाव के साथ ट्रेड हुआ है।
ICE कॉटन में कमजोरी, रुपये में मजबूती और निर्यात मांग में कमी की वजह से भारतीय कॉटन वायदा पर दबाव बना हुआ है। कई जिंस विश्लेषकों का कहना है कि यदि ICE कॉटन 63–64 सेंट से नीचे स्थिर होता है, तो MCX में भी 1–2% अतिरिक्त गिरावट की संभावना बढ़ सकती है।
भारत से कॉटन यार्न का निर्यात पहले से कमजोर है और चीन द्वारा आयात कम करने से घरेलू मिलों पर भी असर पड़ा है। इससे कच्चे कपास की कीमतों में गति सीमित बनी हुई है।
भारत में कपास MSP और नई फसल की स्थिति
भारत सरकार ने 2025–26 सीजन के लिए कपास का MSP (मीडियम स्टेपल) लगभग ₹6,620 प्रति क्विंटल और लॉन्ग स्टेपल का MSP ₹7,020 प्रति क्विंटल रखा है। हालांकि कई मंडियों में वर्तमान कीमत MSP से थोड़ी ही ऊपर ट्रेड हो रही है, लेकिन दक्षिण भारत और महाराष्ट्र में कुछ क्षेत्रों में गुणवत्ता समस्याओं और नई फसल की अधिक आवक के कारण मंडी भाव नरम हुए हैं।
महाराष्ट्र, गुजरात और तेलंगाना में नई फसल की आवक तेज होने से बाजार में सप्लाई बढ़ी है, जिससे कॉटन के स्पॉट प्राइस पर दबाव बना हुआ है। दूसरी ओर, कपास की पैदावार पर पिछले महीनों की बारिश, पिंक बॉलवर्म और मौसमीय अनियमितता का असर भी रिपोर्ट किया गया है। इन मिश्रित संकेतों के साथ बाजार स्थिर दिशा बनाने के प्रयास में है।
टेक्सटाइल इंडस्ट्री पर असर: मांग धीमी, उत्पादन सीमित
वैश्विक टेक्सटाइल उद्योग अभी तक पूरी तरह रिकवरी मोड में नहीं आया है। मुख्य फैब्रिक, यार्न और गारमेंट ऑर्डरों में हल्की कमी बनी हुई है, विशेष रूप से यूरोप और अमेरिका से आने वाले ऑर्डर दबाव में हैं।
इसका असर भारत की स्पिनिंग मिलों पर भी है। मिलों में कच्चे कपास की खपत सामान्य से कम है। यार्न निर्यात स्थिर से कमजोर है। घरेलू लॉजिस्टिक्स और ऊर्जा लागत भी मार्जिन को प्रभावित कर रहे हैं। इसके चलते, कपास के प्रति तात्कालिक मांग सीमित है, जिससे ICE और MCX दोनों बाजारों पर असर बना हुआ है।
आगे का रुझान
मार्किट एनालिस्ट का अनुमान है कि कॉटन की कीमतें तब तक दबाव में रह सकती हैं, जब तक अमेरिकी निर्यात मांग में उछाल, टेक्सटाइल ऑर्डरों में तेजी, डॉलर इंडेक्स में कमजोरी और भारत से यार्न और कॉटन निर्यात में तेजी नहीं दर्ज होती है। फिलहाल ICE कॉटन 63-65 सेंट/पाउंड के दायरे में और MCX कॉटन ₹56,500-58,500 के बीच सीमित उतार-चढ़ाव के साथ ट्रेड हो सकता है।
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