हनुमानगढ़ इथेनॉल प्लांट का विरोध: एमओयू रद्द करने पर अड़े किसान, 20 दिन का अल्टीमेटम

नई दिल्ली, 18 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले के राठीखेड़ा गांव में प्रस्तावित एथेनॉल फैक्ट्री के खिलाफ किसानों का आंदोलन महापंचायत के बाद भी थमता नहीं दिख रहा है। जिला मुख्यालय में हुई विशाल महापंचायत के एक दिन बाद किसान संगठनों ने साफ कर दिया कि प्रशासनिक आश्वासन या जांच समिति से बात नहीं बनेगी—जब तक फैक्ट्री के लिए किया गया एमओयू सरकार औपचारिक रूप से निरस्त नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।

महापंचायत में लिए गए फैसले के मुताबिक किसानों ने सरकार को 20 दिन का समय दिया है। यदि इस अवधि में मांगों पर ठोस निर्णय नहीं हुआ, तो 7 जनवरी को संगरिया में महापंचायत कर स्थायी पड़ाव डाला जाएगा। किसान नेताओं का कहना है कि आंदोलन शांतिपूर्ण रहेगा, लेकिन उसकी तीव्रता बढ़ाई जाएगी।

चार राज्यों के किसान, एक स्वर

हनुमानगढ़ और श्रीगंगानगर के किसानों के साथ पंजाब और हरियाणा से पहुंचे किसान नेताओं ने आंदोलन को क्षेत्रीय नहीं, बल्कि साझा भविष्य से जुड़ा मुद्दा बताया। किसानों का आरोप है कि एथेनॉल फैक्ट्री को विकास और रोजगार के नाम पर थोपा जा रहा है, जबकि इसका सीधा असर खेती, भूजल और पर्यावरण पर पड़ेगा।

सभा में मौजूद किसानों का कहना था कि पहले ही यह इलाका सीमित जल संसाधनों पर निर्भर है और किसी भी बड़े औद्योगिक प्रोजेक्ट से भूजल संकट और गहरा सकता है।

राकेश टिकैत का तीखा हमला

संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत ने महापंचायत के फैसलों को दोहराते हुए कहा कि यह आंदोलन केवल एक फैक्ट्री के खिलाफ नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के हक की लड़ाई है। टिकैत ने दावा किया कि प्रस्तावित एथेनॉल प्लांट से होने वाला प्रदूषण आसपास की खेती, पानी और हवा को गंभीर नुकसान पहुंचा सकता है।

उन्होंने यह भी कहा कि यदि फैक्ट्री शुरू हुई तो किसानों को बार-बार उसके प्रदूषण को उजागर करना होगा। टिकैत ने टिब्बी संघर्ष समिति के हर फैसले के साथ खड़े रहने का भरोसा जताया और संकेत दिया कि जरूरत पड़ी तो आंदोलन को और संगठित किया जाएगा।

प्रशासन से वार्ता, लेकिन असहमति बरकरार

महापंचायत के दौरान प्रशासन ने किसान नेताओं को वार्ता के लिए बुलाया था। जिला कलेक्ट्रेट में हुई बातचीत के बाद प्रशासन ने राज्य सरकार को स्थिति से अवगत कराते हुए पत्र भेजा। जिला कलेक्टर डॉ. खुशाल यादव ने कहा कि स्थानीय जनभावनाओं और सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार को रिपोर्ट भेजी गई है।

राज्य के आयोजना शासन सचिव डॉ. रवि कुमार सुरपुर और अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक बीजू जॉर्ज जोसफ ने किसानों को निष्पक्ष कार्रवाई और संवेदनशीलता का भरोसा दिलाया। इसके बावजूद किसान नेताओं का कहना है कि बातचीत में एमओयू निरस्तीकरण को लेकर कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला।

अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन के प्रदेश सचिव कॉमरेड रघुवीर वर्मा ने स्पष्ट किया कि यह भरोसे की नहीं, बल्कि भविष्य की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि सरकार को दिया गया 20 दिन का समय अंतिम है।

उच्च स्तरीय समिति पर भी सवाल

सरकार द्वारा गठित पांच सदस्यीय उच्च स्तरीय समिति—जो भूजल दोहन और पर्यावरणीय प्रभाव की जांच करेगी—पर भी किसानों ने सवाल खड़े किए हैं। किसान संगठनों का कहना है कि समिति तभी स्वीकार्य होगी जब उसकी रिपोर्ट सार्वजनिक होगी और उसके आधार पर एमओयू रद्द करने पर निर्णय लिया जाएगा।

किसानों के मुताबिक 12 दिसंबर को समिति गठन पर सहमति जरूर बनी थी, लेकिन अब आंदोलन इस चरण से आगे बढ़ चुका है। उनका कहना है कि जांच और बातचीत के समानांतर सरकार को स्पष्ट राजनीतिक फैसला लेना होगा।

फिलहाल राठीखेड़ा और आसपास के इलाकों में आंदोलन शांतिपूर्ण ढंग से जारी रहेगा। किसान संगठनों ने गांव-गांव बैठकों और जनसंपर्क अभियान की तैयारी शुरू कर दी है। नजरें अब सरकार के अगले कदम पर टिकी हैं—क्या वह एमओयू पर पुनर्विचार करेगी या आंदोलन 7 जनवरी को और बड़े टकराव की ओर बढ़ेगा।

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