अहमदाबाद, 06 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): गुजरात की प्रमुख मसाला मंडियों में आज जीरे के दाम कमजोर बने रहे। आवक सामान्य है, लेकिन खरीदारों की रुचि कम रहने से बाजार पर दबाव बना हुआ है। उंझा और आसपास के क्षेत्रों से नियमित सप्लाई आ रही है, परंतु प्रोसेसर, ट्रेडर्स और स्टॉकिस्ट अभी बड़े पैमाने पर खरीदारी करने के मूड में नहीं हैं।
घरेलू होलसेल मार्केट के साथ-साथ निर्यात स्तर पर भी मांग धीमी है, जिससे भावों में मजबूती नहीं आ पा रही। नए सीजन की संभावित अच्छी फसल, किसानों के पास उपलब्ध स्टॉक और बाजार में पर्याप्त सप्लाई की उम्मीदें भी जीरे के दामों को नीचे की ओर खींच रही हैं।
प्रमुख मंडियों में आज जीरे के रेट
उंझा में A-Grade जीरा आज करीब ₹28,800 से ₹30,200 प्रति क्विंटल के बीच रहा, जबकि FAQ क्वालिटी ₹26,800 से ₹28,200 प्रति क्विंटल पर ट्रेड हुई। राजकोट में जीरे का भाव ₹26,500 से ₹29,000 के आसपास रहा। गोंडल में आज दरें ₹27,000 से ₹29,200 तक रहीं, वहीं जामनगर में जीरा ₹26,800 से ₹28,800 प्रति क्विंटल के दायरे में रहा। कुल मिलाकर अधिकांश मंडियों में जीरे का भाव ₹27,000 से ₹30,000 प्रति क्विंटल की कमजोर से स्थिर रेंज में चल रहा है।
निर्यात बाजार में सुस्ती, भारतीय जीरे को सपोर्ट कम
अंतरराष्ट्रीय बाजार में फिलहाल भारतीय जीरे की मांग सीमित है। कई विदेशी खरीदार नए सीजन की फसल का इंतजार कर रहे हैं, इसलिए बड़े सौदे नहीं हो रहे। तुर्की और सीरिया से मिल रही प्रतिस्पर्धी कीमतों ने भी भारत के निर्यात पर दबाव बनाया हुआ है। डॉलर–रुपया उतार-चढ़ाव की वजह से भारतीय जीरा अपेक्षाकृत महंगा लग रहा है, जिससे MENA देशों, खासकर UAE, सऊदी, कुवैत और मिस्र से आ रही पूछताछ कम दिखाई दे रही है। इस धीमी मांग का सीधा असर घरेलू बाजार पर पड़ा है, जहां कीमतें मजबूत नहीं हो पा रही हैं।
अगले 10 दिनों का जीरा प्राइस आउटलुक
बाजार के मौजूदा संकेत बताते हैं कि अगले 10 दिनों में जीरे का रुझान कमजोर से स्थिर रह सकता है। आवक सामान्य रहने और मांग में सुधार न दिखने पर भावों में बड़ी तेजी की संभावना कम है। अनुमान है कि जीरे का न्यूनतम भाव करीब ₹26,500 तक आ सकता है, जबकि औसत ट्रेडिंग रेंज ₹27,500 से ₹29,000 के बीच रहने की संभावना है। उंझा जैसे प्रमुख केंद्रों में प्रीमियम क्वालिटी का दाम अधिकतम ₹29,800 से ₹30,200 तक जा सकता है। आगे की कीमतें मुख्य रूप से दक्षिण भारत के मसाला प्रोसेसरों की खरीद, निर्यात ऑर्डरों की वापसी और नए फसल अनुमान पर निर्भर करेंगी।
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