गर्मी के मौसम में पशुओं को खिलाएं ये घास, बढ़ेगा दूध का उत्पादन

लखनऊ: पशुओं के खानपान से उनके दूध के उत्पादन पर काफी प्रभाव पड़ता है। किसान भाई अपने पशुओं को विभिन्न प्रकार की घास खिलते हैं जिससे कि उनके पशु अधिक दुधारू होते हैं और अधिक मात्रा में दूध देते हैं।

हीटवेव ने अपनी ताकत दिखाना शुरू कर दिया है। सुबह 10 बजे ही जब धूप तेज होती है उसके साथ लू काफी तेज लू चलने लगती है जो शरीर को झकझोर देती है। यह इंसान के साथ-साथ पशुओं को भी परेशान कर देती है। अधिक गर्मी के मौसम में कई पशुओं की दूध देने की क्षमता कम हो जाती है। इससे दूध का उत्पादन प्रभावित होता है। लेकिन अब किसानों को टेंशन लेने की आवश्यकता नहीं है। किसान भाइयों के पास अब गर्मी के मौसम में भी पहले की तरह पशुओं से दूध निकालने की क्षमता है।

पशुचिकित्सकों के अनुसार गर्मी के मौसम में पशु सुस्त हो जाते हैं। ऐसे में वे अपने चारे का सेवन कम कर देते हैं जिससे उनकी दूध देने की क्षमता कम हो जाती है। ऐसे में किसान भाई यदि मवेशियों को खास प्रकार की हरी-हरी घास खिलाते हैं तो पशु पहले की तरह ही दूध देते रहेंगे।गर्मी के मौसम में गाय और भैंस को हमेशा छाया में बांधना चाहिए और उन्हें सुबह-शाम पानी से नहलाना चाहिए। इससे मवेशी गर्मी के मौसम में स्वस्थ रहते हैं।आज हम गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए मुख्य तीन प्रमुख घासों के बारे में बताने जा रहे हैं।

नेपियर घास: यह मुख्य रूप से एक विदेशी घास है। यह घास थाईलैंड में उगाई जाती है। भारत के कुछ हिस्सों में किसान इस घास को उगते हैं। यह एक हरी घास होती है जो गन्ने के जैसी दिखती है। भारत के किसान इसे हांथी घास के नाम से जानते हैं इस घास कि खास बात यह है कि इसे बंजर जमीन में भी उगाया जा सकता है। इस घास में दूसरी घासों के मुकाबले 20% ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है और 40 फीसदी क्रूड फायबर भी पाए जाते हैं। यह घास 40 से 45 दिनों में तैयार हो जाती है। गर्मी के मौसम में यदि किसान भाई इस घास को अपने पशुओं को खिलाएंगे तो गर्मी के मौसम भी भी पशु अधिक मात्रा में दूध देंगे।

अजोला पशु चारा: यह घास पानी में उगाई जाती है इसमें अधिक मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इस घास में मैंगनीज,लोहा,तांबा और मैग्नीशियम, फास्फोरस,कैल्शियम सहित कई अन्य पोषक तत्व पाए जाते हैं। साथ ही इस घास में कई प्रकार के प्रोटीन और विटामिन्स भी पाए जाते हैं। कृषि विशेषज्ञ मानते हैं इस घास को खिलाने से पशुओं में दूध देने कि छमता बढ़ जाती है।

कम्बाला चारा : जिन किसानों के पास खेती के लिए जमीन नहीं होती हैं वे किसान कंबाला चारे को अपने घर के अंदर ही उगा सकते हैं। कंबाला चारे की खेती के लिए एक अलमारी की तरह दिखने वाली संरचना तैयार की गई है जिसे हाइड्रोपोनिक्स कंबाला मशीन के नाम से भी जाना जाता है। इस मशीन में घास उगाने के लिए अलग-अलग सांचे बनाए गए हैं जिसमें बीज डालकर आप हर साल हरी-हरी घास उगा सकते हैं और पशुओं को खिला सकते हैं।

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