चंडीगढ़, 5 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो):: हरियाणा सरकार ने इस वर्ष मॉनसून के दौरान भारी वर्षा व बाढ़ से प्रभावित किसानों के लिए राहत स्वरूप एक विशेष योजना की घोषणा की है। इस योजना के तहत राज्य में कृषि ट्यूबवेल उपभोक्ताओं के बिजली बिलों के भुगतान को 6 महीने के लिए स्थगित किया गया है।
योजना का विवरण
यह राहत जुलाई 2025 से दिसंबर 2025 की अवधि के लिए लागू है।
मशीनें/उपभोक्ता जिनको बिल सात / आगस्ट … डिसंबर 2025 तक जारी किए गए होंगे, अब उनका भुगतान क्रमशः जनवरी 2026 से जून 2026 तक किया जा सकेगा। उदाहरणस्वरूप: जुलाई 2025 का बिल अब जनवरी 2026 में देना होगा; अगस्त 2025 का बिल फरवरी 2026 में होगा; दिसंबर 2025 का बिल जून 2026 में देय होगा।
* इस अवधि के दौरान किसानों से विलंब शुल्क (Late Payment Surcharge) नहीं वसूला जाएगा।
* बिजली आपूर्ति सामान्य रूप से जारी रहेगी, उपभोक्ताओं को कटौती जैसी समस्या नहीं आएगी।
* यह भार राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाएगा; वितरण कंपनियों पर अतिरिक्त बोझ नहीं पड़ेगा।
लाभार्थी एवं प्रभाव
इस राहत का लाभ लगभग 7.10 लाख कृषि ट्यूबवेल उपभोक्ताओं को मिलेगा।
मुख्य रूप से उन किसानों को राहत मिलेगी जिनकी फसलें, खेत, बाढ़/वर्षा के कारण प्रभावित हुई थीं। ऐसी परिस्थितियाँ जहां खेत में पानी जमा हुआ हो, फसलों को नुकसान हुआ हो या खेती प्रभावित हुई हो, वहां यह सहायता मायने रखती है।
इस राहत से किसानों को तत्काल आर्थिक सहारा मिलेगा — बिजली बिल के भुगतान में देरी करके उन्हें खेती-चालन में कुछ समय मिलेगा, जिससे उन्हें पुनर्प्रारंभ करने का अवसर मिलेगा।
पृष्ठभूमि व कारण
मॉनसून सीजन में हरियाणा के कई जिलों में अत्यधिक वर्षा, जलजमाव एवं बाढ़ की घटनाएँ सामने आईं, जिससे खेतों को नुकसान हुआ, फसलें प्रभावित हुईं और किसानों को अतिरिक्त व्यय एवं बाधाओं का सामना करना पड़ा। सरकार ने इस स्थिति को देखते हुए किसानों को जल्द-से-जल्द राहत देने का निर्णय लिया।
किसानों पर बिजली का तत्काल बोझ पड़ना, खेती के चक्र में व्यवधान उत्पन्न करना और उनकी वित्तीय स्थिति को और कमजोर करना माना गया। ऐसे में छह महीने की देरी से भुगतान एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
शर्तें व सीमाएँ
* यह राहत केवल कृषि ट्यूबवेल उपभोक्ताओं के लिए है — अन्य घरेलू, व्यावसायिक या औद्योगिक उपभोक्ताओं पर यह लागू नहीं है।
* भुगतान स्थगित है, यानी बिल माफ नहीं है — किसानों को बाद में भुगतान करना पड़ेगा। निर्विभाजित माफी (पूरी तरह से बिल माफ) नहीं दी गई है, बल्कि भुगतान की समयसीमा आगे बढ़ाई गई है।
* राहत से पूर्ण लाभ तभी मिलेगा जब किसानों ने उपयुक्त पंजीकरण, सत्यापन आदि की प्रक्रियाएं पूरी की हों जो बाढ़-वर्षा प्रभावित क्षेत्र एवं किसान-डेटा से संबंधित हैं। उदाहरणस्वरूप, किसानों ने e‑Kshatipurti पोर्टल पर पंजीकरण कराया है।
आगे की चुनौतियाँ
* किसानों का सही डेटा उपलब्ध होना आवश्यक है — कौन प्रभावित है, किस गांव/क्षेत्र में कितना नुकसान हुआ है, ये बात जानने की ज़रूरत है।
* भुगतान स्थगन के बाद किसानों को समय-से पोर्टेबल सेवाएं, बिजली वितरण एवं अन्य कृषि-सहायता जारी रहे यह सुनिश्चित करना होगा।
* स्थगन के बाद बचे हुए बिलों का वसूली प्रबंधन करना होगा ताकि किसानों पर बाद में कोई अनावश्यक आर्थिक दबाव न पड़े।
* इस राहत के साथ-साथ फसल क्षति मुआवजा, कृषि ऋण वसूली में छूट, अतिरिक्त कृषि सहायता आदि अन्य उपायों को संयोजन में लागू करना होगा, तभी किसानों की स्थिति में समग्र सुधार होगा।
हरियाणा सरकार द्वारा घोषित इस छह-महीने की बिजली-बिल भुगतान स्थगन योजना बाढ़ एवं वर्षा से प्रभावित किसानों के लिए एक बड़ी राहत का संकेत है। करीब 7.10 लाख कृषि ट्यूबवेल उपभोक्ताओं को यह सुविधा प्राप्त होगी, जिसमें उनके लिए आर्थिक बोझ कम करने का अवसर मिलेगा और वे अपनी खेती-कारोबार को पुनः पटरी पर ला सकेंगे। विलंब शुल्क न लगना व वितरण सेवा जारी रहने जैसे प्रावधान इसे और भी कारगर बनाते हैं।
हालाँकि यह पूर्ण माफी नहीं बल्कि भुगतान में विलंब है, इसलिए यह ज़रूरी होगा कि अन्य राहत उपायों के साथ मिलकर इसे भी ठीक तरह से क्रियान्वित किया जाए। सरकार एवं संबंधित विभागों को यह सुनिश्चत करना होगा कि किसानों को मिलने वाली यह राहत उद्देश्य अनुसार प्रभावी रूप से क्रियान्वित हो।
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