महाराष्ट्र के पावस में गीले काजू की तेजी से बढ़ी मांग, कई बागवानों ने शुरू की खेती

काजू मीठे स्वाद के कारण सबसे लोकप्रिय सूखे मेवों में से एक हैं और इसे खाने के लिए हर कोई तरसता हैं। असल में इसमें मौजूद पोषक तत्वों की मात्रा आपको स्वस्थ रखती हैं। महाराष्ट्र के पावस क्षेत्र में हापुस आम के बाद काजू की फसल शुरू हो गई है। गीले काजू की भी बाजार में अच्छी मांग है। वहीं बाजार में गीला काजू 1600 से 1800 रुपये प्रति किलो की कीमत पर बिकने के कारण कई बागवानों ने काजू की खेती शुरू कर दी है।

पावस इलाके से भी हापुस आम का निर्यात शुरू हो गया है। इसके बाद काजू की फसल लहलहाने लगी है। जिस तरह हापुस आम को अच्छी कीमत मिल रही है, उसी तरह गीले काजू की मांग बढ़ रही है और वर्तमान में 1600 रुपये प्रति किलो की कीमत मिल रही है। हालांकि बाजार के जानकारों का कहना है भविष्य में रेट घट सकते हैं। क्योंकि बंदरों की अधिकता के कारण फसल खतरे में पड़ गई है। फिलहाल किसान इन जानवरों से अपनी फसलों को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।

जरूरी कीटनाशकों का नहीं किया जा रहा है छिड़काव

इस बारे में मावलंगे के किसान ने बताया कि उनके पास करीब दो सौ आम की कलमें हैं। लेकिन किसानों के बार-बार अनुरोध के बावजूद कोंकण कृषि विश्वविद्यालय थ्रिप्स और थ्रिप्स के खिलाफ प्रभावी कीटनाशक उपलब्ध नहीं करा पाया है। वहीं उपलब्ध कीटनाशक आम किसान की पहुंच से बाहर हैं। क्योंकि कीमत भी ज्यादा है और उपलब्धता ना होने के कारण किसानों से दूर है। इसलिए कई आम के बगीचे सील होने के बावजूद बंजर दिख रहे हैं। हम बागवानों को बंदरों से काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए हमने बची हुई ज़मीन पर काजू की लगभग पचास कलमें लगाई हैं।

अच्छा पैसा मिल जाता है गीले काजू का

काजू के बीज का उत्पादन करना और उन्हें बाजार में बेचना असंभव है। लेकिन गीले काजू को बेचना फायदेमंद है। किसानों का कहना है कि अगर आप मेहनत से गीले काजू को निकालकर बेचते हैं तो आपको अच्छी कीमत मिलती है और इसकी मांग भी अच्छी है।

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