नई दिल्ली, 15 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): उत्तर भारत के प्रमुख मंडियों में मंगलवार को कपास की कीमतों में स्थिरता देखी गई। प्रमुख कारण रहा स्पिनिंग मिलों की सीमित खरीदारी, जबकि दूसरी ओर मंडियों में दैनिक आवक में बढ़ोतरी हुई है।
व्यापारियों के अनुसार, हाल ही में कीमतों में आई हल्की गिरावट के बाद मिलें अब भी निचले स्तरों पर खरीद में रुचि नहीं दिखा रहीं। वहीं, नई फसल की आवक में रोज़ाना सुधार हो रहा है, जिससे मांग और आपूर्ति के बीच संतुलन बना हुआ है।
कपास की कीमतों में स्थिरता
उत्तर भारत की मंडियों में कपास की औसत कीमतें ₹5,800 से ₹6,100 प्रति क्विंटल पर स्थिर रहीं। हालांकि, कुछ स्थानों पर क्वालिटी के अनुसार मामूली उतार-चढ़ाव देखा गया।
पिछले सप्ताह की तुलना में इस सप्ताह कपास की आवक में 10–12% तक की वृद्धि हुई है। हरियाणा और राजस्थान की मंडियों में मिलें मांग को लेकर सतर्क हैं, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी फिलहाल कोई बड़ी तेजी नहीं दिख रही।
इस समय पंजाब मंडियों में कपास की औसत कीमत ₹6,900.70 प्रति क्विंटल दर्ज की गई है, जिसमें न्यूनतम भाव ₹6,457.22 और अधिकतम ₹7,135.09 है। मुक्तसर मंडी में “Other” वेराइटी की कपास की कीमत ₹7,200 प्रति क्विंटल है, जिसमें न्यूनतम भाव ₹7,075 और अधिकतम ₹7,260 तक देखा गया है
‘वेट एंड वॉच’ पोजिशन में मिल्स
स्पिनिंग मिलें इस समय मूल्य स्थिरता का इंतज़ार कर रही हैं। कारोबारियों का मानना है कि यदि आवक तेज़ी से बढ़ती रही और अंतरराष्ट्रीय कीमतें कमजोर बनी रहीं, तो मिलें मोलभाव के बाद ही बड़ी खरीद करेंगी।
व्यापारियों का कहना है कि मिलों ने अभी बड़े ऑर्डर से परहेज़ किया है, क्योंकि वे मूल्य स्थिरता की प्रतीक्षा कर रही हैं। इस बीच, मंडियों में आवक बढ़ने से विक्रय दबाव भी बना है। यदि मांग में तेजी आए और अंतरराष्ट्रीय कीमतों का साथ मिले तो आने वाले दिनों में कीमतों में कुछ उछाल देखने को मिल सकता है। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि आने वाले सप्ताहों में त्योहारी सीज़न के चलते घरेलू मांग बढ़ सकती है, जिससे बाजार में कुछ तेजी लौट सकती है।
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