मुंबई, 24 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): पिछले एक साल में गोल्ड और सिल्वर ने निवेशकों को मजबूत रिटर्न दिए हैं, लेकिन 2026 में कमोडिटी बाजार की दिशा बदलती नजर आ रही है। ग्लोबल रिसर्च हाउसेज़ और इंडस्ट्री ट्रेंड्स के मुताबिक, आने वाला साल कीमती धातुओं से ज्यादा बेस मेटल्स का हो सकता है। खासतौर पर कॉपर, जो इंडस्ट्रियल ग्रोथ और एनर्जी ट्रांजिशन का सबसे बड़ा लाभार्थी माना जा रहा है।
जहां गोल्ड और सिल्वर हालिया वर्षों में सेफ-हेवन डिमांड से ऊपर चढ़े, वहीं 2026 में फोकस इन्फ्रास्ट्रक्चर, इलेक्ट्रिफिकेशन और टेक्नोलॉजी आधारित मांग पर शिफ्ट होता दिख रहा है।
कॉपर क्यों दिख रहा है सबसे मजबूत दावेदार
कॉपर की मजबूती के पीछे कई स्ट्रक्चरल वजहें हैं। इलेक्ट्रिक व्हीकल्स, चार्जिंग नेटवर्क, सोलर–विंड प्रोजेक्ट्स और पावर ग्रिड अपग्रेड में कॉपर का उपयोग तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही डेटा सेंटर्स और AI इंफ्रास्ट्रक्चर के विस्तार ने हाई-पावर केबलिंग और ट्रांसमिशन की मांग को और तेज कर दिया है।
दूसरी तरफ सप्लाई साइड पर दबाव बना हुआ है। नई माइंस की मंजूरी में देरी, मौजूदा माइंस में ग्रेड का गिरना और जियोपॉलिटिकल अनिश्चितताएं सप्लाई को सीमित रख रही हैं। यही वजह है कि एनालिस्ट्स कॉपर को एक स्ट्रक्चरल बुल मार्केट में मान रहे हैं।
2026 के लिए गोल्ड, सिल्वर और कॉपर: अनुमानित आउटलुक
| कमोडिटी | 2026 का संभावित दायरा (इंटरनेशनल) | 2026 का संभावित दायरा (भारत) | अनुमानित रिटर्न |
|---|---|---|---|
| कॉपर | $13,500–14,000 प्रति टन (LME) | ₹1,300–1,350 प्रति किलो (MCX) | 20%+ |
| गोल्ड | $4,000 सपोर्ट, $4,600–4,700 रेजिस्टेंस | ₹2.8–3.0 लाख/10 ग्राम (अनुमानित) | 10–15% |
| सिल्वर | $55 सपोर्ट, $75–80 टारगेट | ₹2.2–2.5 लाख/किलो (अनुमानित) | 15–20% |
(अनुमान बाजार कंसेंसस और मौजूदा ट्रेंड्स पर आधारित हैं)
गोल्ड और सिल्वर: 2025 की रैली के बाद ठहराव?
गोल्ड और सिल्वर ने हालिया वर्षों में उम्मीद से ज्यादा तेजी दिखाई और कई लॉन्ग-टर्म टारगेट समय से पहले ही हासिल कर लिए। इस रैली के पीछे ग्लोबल बॉन्ड मार्केट में उतार-चढ़ाव, जियोपॉलिटिकल टेंशन और करेंसी से जुड़ी चिंताएं अहम वजह रहीं।
2026 में तस्वीर थोड़ी अलग हो सकती है। गोल्ड के लिए $4,000 प्रति औंस के आसपास मजबूत सपोर्ट दिखता है, जबकि अनुकूल हालात में कीमतें $4,600–4,700 प्रति औंस तक सीमित दायरे में रह सकती हैं। यानी तेज उछाल के बजाय स्थिर और संतुलित रिटर्न की संभावना ज्यादा है।
सिल्वर का रोल: गोल्ड और कॉपर के बीच की कड़ी
सिल्वर की कहानी गोल्ड और कॉपर दोनों से जुड़ी है। एक तरफ यह सेफ-हेवन के तौर पर काम करता है, तो दूसरी तरफ इसकी इंडस्ट्रियल डिमांड लगातार बढ़ रही है। सोलर पैनल, इलेक्ट्रॉनिक्स और डेटा सेंटर्स से मांग इसे $55 प्रति औंस के आसपास मजबूत सपोर्ट देती है।
हालांकि, सप्लाई में किसी बड़े बदलाव के बिना सिल्वर में बहुत तेज उछाल की उम्मीद कम है। गिरावट पर खरीदारी करने वालों के लिए $75–80 प्रति औंस तक का अपसाइड संभव माना जा रहा है।
2026 के लिए निवेशकों को क्या संकेत मिलते हैं
2026 की बड़ी थीम साफ दिखती है—इंडस्ट्रियल ग्रोथ और एनर्जी ट्रांजिशन। ऐसे माहौल में कॉपर और अन्य बेस मेटल्स से बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद की जा रही है। वहीं गोल्ड और सिल्वर पोर्टफोलियो में स्थिरता और हेज का रोल निभा सकते हैं।
अगर हाल के साल सेफ-हेवन रैली के रहे, तो 2026 इंडस्ट्रियल और टेक्नोलॉजी-ड्रिवन कमोडिटीज का साल बन सकता है—और इस बदलाव के केंद्र में कॉपर रहने की पूरी संभावना है।
===
हमारे लेटेस्ट अपडेट्स और खास जानकारियों के लिए अभी जुड़ें — बस इस लिंक पर क्लिक करें:
https://whatsapp.com/channel/0029Vb0T9JQ29759LPXk1C45