नई दिल्ली, 23 अक्टूबर (कृषि भूमि ब्यूरो): चीन ने 15 अक्टूबर से तकनीकी मोनोअमोनियम फॉस्फेट (TAMP), AdBlue, डाइ-अमोनियम फॉस्फेट (DAP) और यूरिया जैसे प्रमुख उर्वरकों के निर्यात को फिर से निलंबित कर दिया है। यह प्रतिबंध संभवतः अगले 6 महीनों तक जारी रह सकता है, जिससे वैश्विक स्तर पर उर्वरकों की आपूर्ति में कमी और कीमतों में 10-15% तक की वृद्धि की संभावना जताई जा रही है।
घुलनशील उर्वरक उद्योग संघ (SFIA) ने कहा कि यह निलंबन “अगली सूचना तक प्रभावी” रहेगा। इस निर्णय से वैश्विक आपूर्ति बाधित होगी और आयात पर निर्भर देशों को महंगे उर्वरक खरीदने पड़ सकते हैं।
भारत, जो इन विशेष उर्वरकों का लगभग 95% चीन से आयात करता है (करीब 2.5 लाख टन सालाना), पर इस प्रतिबंध का सीधा असर पड़ सकता है। इन उर्वरकों में से लगभग 60-65% रबी सीजन के दौरान उपयोग किए जाते हैं।
भारत पर प्रभाव सीमित लेकिन कीमतों पर दबाव
हालांकि तत्काल कमी की संभावना नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि कीमतों में बढ़ोतरी से भारतीय किसानों की लागत बढ़ सकती है। SFIA ने कहा, “रबी सीजन की मांग के लिए पर्याप्त आपूर्ति पहले ही सुरक्षित कर ली गई है, पर किसानों को जल्दबाजी में खरीदारी करने से बचना चाहिए।”
भारत फिलहाल दक्षिण अफ्रीका, चिली और क्रोएशिया जैसे वैकल्पिक आपूर्ति स्रोतों की तलाश कर रहा है। यदि चीन का प्रतिबंध मार्च 2026 से आगे बढ़ता है, तो स्थिति गंभीर हो सकती है।
यह पहली बार नहीं है जब चीन ने उर्वरक निर्यात पर रोक लगाई है। 2023 के मध्य में भी चीन ने DAP का निर्यात रोका था, जिससे भारत में खरीफ सीजन के दौरान उर्वरक की कमी और कीमतों में तेज उछाल देखा गया था।
हालांकि, अगस्त 2025 में भारतीय विदेश मंत्री एस. जयशंकर और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच बैठक के बाद यह प्रतिबंध अस्थायी रूप से हटा लिया गया था।
इस बार भी चीन ने संकेत दिया था कि वह अक्टूबर से निर्यात फिर रोक सकता है, और अब उसने वही कदम उठा लिया है।
एक्सपर्ट्स की राय
कृषि विश्लेषकों का कहना है कि तकनीकी रूप से उन्नत उर्वरकों पर भारत में कोई सब्सिडी नहीं दी जाती है, जिससे उनके दामों में बढ़ोतरी सीधे किसानों को प्रभावित करती है। भारत ने सऊदी अरब, मोरक्को, रूस और जॉर्डन जैसे देशों से भी आयात बढ़ाने की कोशिश की है, लेकिन वे चीन की आपूर्ति के अंतर को पूरी तरह नहीं भर पाए हैं। तकनीकी सीमाओं के चलते भारत इन विशेष उर्वरकों का घरेलू उत्पादन नहीं कर पा रहा, जिससे आयात पर निर्भरता बनी हुई है।
चीन के इस ताज़ा निर्यात प्रतिबंध ने वैश्विक कृषि बाज़ार में फिर हलचल मचा दी है। विशेषज्ञ मानते हैं कि यदि प्रतिबंध लंबा चला, तो वैश्विक खाद्य मूल्यों में नई तेजी देखने को मिल सकती है — जिसका सीधा असर किसानों और उपभोक्ताओं दोनों पर पड़ेगा।
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