रायपुर, 18 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): छत्तीसगढ़ के एक धान खरीदी केंद्र पर सुबह से ही किसानों की कतारें दिखती हैं। तौल कांटा, नमी मापक यंत्र और कंप्यूटर काउंटर—सब कुछ तय प्रक्रिया के तहत काम कर रहा है। किसान अपने निर्धारित टोकन के अनुसार केंद्र पर पहुंचते हैं, जहां धान की गुणवत्ता जांच के बाद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर उपार्जन किया जा रहा है। राज्य सरकार का दावा है कि इस पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता और समयबद्ध भुगतान को प्राथमिकता दी गई है।
2,739 केंद्रों के जरिए राज्यव्यापी उपार्जन
खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 के तहत छत्तीसगढ़ में धान खरीदी की प्रक्रिया 15 नवंबर 2025 से शुरू हुई है, जो 31 जनवरी 2026 तक चलेगी। कृषि विभाग के अनुसार, राज्यभर में 2,739 धान खरीदी केंद्रों के माध्यम से किसानों से धान का उपार्जन किया जा रहा है।
अब तक 17.24 लाख टोकन जारी किए जा चुके हैं, जिनके माध्यम से लगभग 87 लाख टन धान की खरीदी पूरी हो चुकी है। यह आंकड़ा राज्य में धान उपार्जन की व्यापकता और किसानों की सक्रिय भागीदारी को दर्शाता है।
किसानों को सीधे भुगतान, भरोसा मजबूत
अधिकारियों के मुताबिक 11 दिसंबर 2025 तक किसानों को धान विक्रय के एवज में कुल ₹7,771 करोड़ का भुगतान किया जा चुका है। यह राशि सीधे समर्थन मूल्य के तहत किसानों के खातों में ट्रांसफर की गई है। सरकार का कहना है कि भुगतान प्रणाली को पूरी तरह डिजिटल रखा गया है, ताकि किसानों को बिचौलियों या देरी की समस्या का सामना न करना पड़े।
किसान पंजीयन में उल्लेखनीय वृद्धि
इस वर्ष धान खरीदी के लिए किसान पंजीयन में भी साफ बढ़ोतरी देखी गई है। खरीफ विपणन वर्ष 2025–26 में 27.40 लाख किसानों ने 34.39 लाख हेक्टेयर रकबे का पंजीयन कराया है।
पिछले वर्ष की तुलना में किसानों की संख्या में करीब 7.5 प्रतिशत और पंजीकृत रकबे में लगभग 19 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। यह संकेत देता है कि MSP व्यवस्था पर किसानों का भरोसा और मजबूत हुआ है।
डिजिटल पोर्टल और ‘तुहर टोकन’ ऐप से सुविधा
किसान पंजीयन की प्रक्रिया एकीकृत किसान पोर्टल और एग्रीस्टेक पोर्टल के माध्यम से की जा रही है। वहीं धान खरीदी को सुचारु बनाने के लिए टोकन व्यवस्था को सरल किया गया है।
किसान अब ‘तुहर टोकन’ ऐप के जरिए 24 घंटे टोकन प्राप्त कर सकते हैं और आगामी 20 दिनों तक के लिए अग्रिम टोकन लेने की सुविधा भी उपलब्ध है। इससे खरीदी केंद्रों पर भीड़ कम करने और किसानों का समय बचाने में मदद मिल रही है।
कुछ श्रेणियों को एग्रीस्टेक से छूट
प्रशासन के अनुसार, कुछ विशेष श्रेणियों के किसानों—जैसे संस्थागत पंजीयन वाले, भूमिहीन किसान (अधिया/रेगहा), डूबान क्षेत्र के किसान, वन अधिकार पट्टाधारी और ग्राम कोटवार—को एग्रीस्टेक पंजीयन से छूट दी गई है। इन किसानों के लिए वैकल्पिक व्यवस्था के तहत पंजीयन किया जा रहा है। पंजीयन प्रक्रिया अभी भी जारी है।
राज्य सरकार का दावा है कि आने वाले हफ्तों में खरीदी की रफ्तार और बढ़ेगी। प्रशासन की कोशिश है कि मौसम या लॉजिस्टिक कारणों से किसी भी किसान को परेशानी न हो और पूरी खरीदी प्रक्रिया तय समय-सीमा में पूरी की जाए। छत्तीसगढ़ में MSP पर धान उपार्जन न केवल आर्थिक सुरक्षा का जरिया बन रहा है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ को भी मजबूती दे रहा है।
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