कॉटन खरीद नीति पर बड़ा बदलाव संभव: CAI ने भावांतर योजना लागू करने की सिफारिश की, 19 नवंबर को सरकार ने हाई-लेवल बैठक बुलाई

नई दिल्ली, 14 नवंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): भारत के कॉटन बाजार में महत्वपूर्ण बदलावों को देखते हुए कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (CAI) ने सरकार को सुझाव दिया है कि मौजूदा MSP आधारित खरीद मॉडल अब किसानों को अपेक्षित लाभ नहीं दे पा रहा है।

CAI का कहना है कि सरकार यदि भावांतर योजना लागू करती है, तो किसानों को प्रति क्विंटल 500 रुपये का प्रीमियम सीधे उनके खातों में ट्रांसफर किया जा सकता है। इस मॉडल से देश भर की अलग-अलग मंडियों में बिकने वाले कॉटन को समान लाभ मिलेगा।

वर्तमान में मंडियों के माध्यम से 200 लाख बेल्स की बिक्री होती है, जबकि इस योजना को लागू करने पर 1700 करोड़ रुपये खर्च आने का अनुमान है, जो कि MSP पर होने वाले भारी खर्च की तुलना में काफी कम है।

MSP मॉडल क्यों कम प्रभावी हो रहा है?
CAI ने बताया कि 2024-25 में MSP पर कॉटन की खरीद पर 37,450 करोड़ रुपये खर्च किए गए, लेकिन इसका फायदा केवल 34% किसानों तक ही पहुंच पाया। संगठन ने कहा कि किसानों में MSP की जानकारी और जागरूकता की भारी कमी है, जिसके चलते 75% किसान वास्तविक MSP दर से अनजान रहते हैं। अधिकांश किसानों के पास तकनीकी समझ और बाजार तक पहुंच का अभाव है, जिसके कारण MSP की व्यवस्था समय के साथ कम प्रभावी साबित हो रही है। CAI का कहना है कि वर्तमान परिस्थितियों में कॉटन बाजार में प्रतिस्पर्धा घट रही है और MSP मॉडल किसानों को पर्याप्त संरक्षण नहीं दे पा रहा है।

इंडस्ट्री पर बढ़ते दबाव और इंपोर्ट का असर
CAI प्रेसिडेंट अतुल गनात्रा के अनुसार, इस वर्ष 45 लाख बेल्स कॉटन के आयात की उम्मीद है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉटन भारत की तुलना में सस्ता उपलब्ध है। इससे घरेलू उद्योग पर दबाव बढ़ रहा है, क्योंकि MSP के चलते उन्हें महंगे दामों पर कॉटन खरीदना पड़ता है। गनात्रा ने सुझाव दिया कि यदि CCI खरीदा हुआ कॉटन बेचती है, तो उसे MSP से 5 से 7% कम कीमत पर बेचने पर विचार करना चाहिए, जिससे इंडस्ट्री को राहत मिल सके और बाजार में संतुलन बना रहे।

19 नवंबर को सरकार ने बुलाई अहम बैठक
कॉटन खरीद की मौजूदा प्रक्रिया, MSP मॉडल में सुधार और CAI द्वारा दिए गए सुझावों पर चर्चा करने के लिए सरकार ने 19 नवंबर को दोपहर 12:30 बजे उद्योग भवन में एक उच्चस्तरीय बैठक निर्धारित की है। इस बैठक में भावांतर योजना लागू करने की संभावनाओं, किसानों को DBT के माध्यम से प्रीमियम देने के विकल्प और उद्योग से जुड़े अन्य मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी।

CAI की दलील क्या है?
CAI का मानना है कि बाजार की बदलती परिस्थितियों में MSP कॉटन किसानों के लिए कारगर समाधान नहीं है, क्योंकि केवल 10 से 15% किसानों को ही MSP का वास्तविक लाभ मिलता है। संगठन के अनुसार, MSP पर कॉटन की खरीद न तो किसानों को पर्याप्त लाभ दे रही है और न ही उद्योग को स्थिरता प्रदान कर रही है। CAI का कहना है कि सरकार को भावांतर योजना लागू कर किसानों को जोड़ना चाहिए, ताकि उनकी आय सीधे बढ़ सके और बाजार अधिक प्रतिस्पर्धी बन सके।

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