फर्टिलाइजर सब्सिडी का बजट आवंटन हुआ 70फीसदी के पार, खुदरा कीमतों के स्थिर रहने की संभावना

केन्द्र सरकार का उर्वरक सब्सिडी बिल चालू वित्त वर्ष में 2 लाख करोड़ रुपये से अधिक हो सकता है क्योंकि यह पिछले सात महीनों में 1.75 लाख करोड़ रुपये के बजट आवंटन का 70 प्रतिशत को पार कर गया है। लेकिन सब्सिडी के बढ़ते स्तर के साथ, गैर-यूरिया उर्वरकों की खुदरा कीमतें स्थिर रहने की संभावना है क्योंकि सरकार ने बोझ उठाने का आश्वासन दिया है।

असल में इसकी जानकारी केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने दी। उन्होंने कहा, ‘हमने कभी भी उर्वरक की कमी नहीं होने दी और न ही कभी होने देंगे। सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग सिंह ठाकुर ने कहा कि वैश्विक स्तर पर उर्वरक की कीमतें हर जगह बढ़ीं, लेकिन हमने भारत में इसे बढ़ने नहीं दिया। नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अप्रैल-अक्टूबर के दौरान कुल उर्वरक सब्सिडी 1,22,975.63 करोड़ रुपये थी, जिसमें से यूरिया पर 79,660.35 करोड़ रुपये और फास्फोरस (पी) और पोटाश (के) पर 43,315.28 करोड़ रुपये खर्च किए गए थे।

फास्फोरस और पोटाश की सब्सिडी पहुंची 98.4 तक

सरकार की तरफ से बताया गया है कि पी एंड के की सब्सिडी के लिए 44,000 करोड़ रुपये के कुल बजट आवंटन में से 98.4 प्रतिशत अक्टूबर तक समाप्त हो चुका है। सरकार ने चालू रबी सीजन (अक्टूबर-मार्च) के दौरान पी एंड के उर्वरकों के लिए 22,303 करोड़ रुपये की सब्सिडी आवंटित की है। चालू रबी मौसम में यूरिया की आवश्यकता 18541 लाख टन (एलटी), डीएपी की 5499 लाख टन, एमओपी की 1260 लाख टन, कॉम्प्लेक्स की 6360 लाख टन और एसएसपी की 3124 लाख टन आंकी गई है। हालांकि, अक्टूबर में उर्वरकों की बिक्री में 9 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, इसलिए आशंका है कि पिछले साल की तुलना में इस सीजन में कुल उर्वरक उपयोग भी अधिक होगा।

फर्टिलाइजर बिक्री में उछाल

आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, उर्वरकों के चार प्रमुख समूह – यूरिया, डीएपी, एमओपी और कॉम्प्लेक्स (एन, पी, के और एस पोषक तत्वों का संयोजन) की कुल बिक्री अप्रैल-अक्टूबर 2023 के दौरान 12.6 प्रतिशत बढ़कर 368.57 लाख टन हो गई है, जो एक साल पहले 327.28 लाख टन थी। चालू रबी सीजन (अक्टूबर-मार्च) में 30 अक्टूबर तक संचयी उपलब्धता (खरीफ मौसम से कैरीओवर स्टॉक सहित) 78.07 लाख टन यूरिया, 30.24 लाख टन डीएपी, 6.83 लाख टन एमओपी, 42.33 लाख टन कॉम्प्लेक्स और 19.85 लाख टन सिंगल सुपर फॉस्फेट (एसएसपी) थी।

वहीं 2022-23 में, वैश्विक मूल्य वृद्धि के बाद देश की उर्वरक सब्सिडी रिकॉर्ड 2.25 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गई। कीमतें उन ऊंचाइयों से गिर गई हैं। आयातित यूरिया अक्टूबर 2022 में लगभग 665 डॉलर से घटकर लगभग 360 डॉलर प्रति टन (एफओबी), डीएपी एक साल पहले के 722 डॉलर से घटकर 595 डॉलर प्रति टन (सीएफआर) और एमओपी एक साल पहले 590 डॉलर से घटकर 319 डॉलर प्रति टन हो गया है।

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