प्याज निर्यात पर बैन के बाद किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने में जुटी सरकार, कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने की समीक्षा

कृषि मंत्री अर्जुन मुंडा ने मंगलवार को नई दिल्ली के कृषि भवन में प्याज किसानों के मुद्दे पर एक उच्चस्तरीय बैठक की। केंद्र सरकार ने प्याज निर्यात पर रोक लगा दी है, जिससे देशभर के प्याज किसानों में गुस्सा है। क्योंकि सरकार के इस फैसले से प्याज की कीमत काफी कम हो गई है. उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए यह निर्णय लिया गया है। इस फैसले के बाद अब संभावना जताई जा रही है कि नेफेड किसानों से ज्यादा प्याज खरीदेगा। मुंडा ने जो बैठक ली है, उसमें प्याज की खरीद को लेकर किसानों से बातचीत हुई है। इसके जरिए किसानों के जख्मों पर मरहम लगाने की कोशिश की जा रही है।

मंगलवार को नए कृषि मंत्री मुंडा ने कृषि भवन, नई दिल्ली में नेफेड, एनसीसीएफ, कृषि और खाद्य और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की और पूरे मुद्दे की समीक्षा की। मोदी सरकार हमेशा से देश के प्याज उत्पादक भाई-बहनों की चिंता करती रही है। यह उनके हितों के लिए भी काम करना जारी रखेगा।

कितनी होगी प्याज की खरीद

आमतौर पर नाफेड करीब तीन लाख टन प्याज खरीदता था और अपना बफर स्टॉक रखता था। लेकिन इस साल 5 लाख टन की खरीद की गई। उसके बाद जब अगस्त में प्याज निर्यात पर 40 फीसदी निर्यात शुल्क लगाया गया तो ज्यादा प्याज खरीदने का ऐलान किया गया. ताकि किसानों की नाराजगी को कम किया जा सके। कुल मिलाकर इस बार सरकार ने नेफेड को बफर स्टॉक आवंटित किया है और एनसीसीएफ को 7 लाख टन प्याज खरीदने के निर्देश दिए गए थे। अब तक महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान और आंध्र प्रदेश से दो चरणों में प्याज की खरीद की जा चुकी है। वहीं, गुजरात के किसानों से प्याज खरीदने की कोशिश की जा रही है।

किसानों को सही दाम दिलाने का दावा

बैठक में अधिकारियों ने मंत्री को बताया कि किसानों को लाभकारी मूल्य प्रदान करने के लिए, एनसीसीएफ और नेफेड ने किसानों और एफपीओ के बीच जागरूकता फैलाने वाले पैम्फलेट वितरित करना शुरू कर दिया है। साथ ही, गुणवत्तापूर्ण उपज खरीदकर किसानों को सही मूल्य दिलाने के उद्देश्य से व्यापक प्रचार-प्रसार और किसानों तक पहुंचने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन भी प्रकाशित किए जा रहे हैं। बैठक के दौरान कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय के विशेष सचिव ने कहा कि किसानों को अधिक प्याज बोने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकारों के साथ बैठकें की गई हैं। इस साल कम बुआई की वजह से चिंता बढ़ गई है।

 

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