मुंबई, 14 नवंबर (कृषि भूमि डेस्क): भारत और अमेरिका ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) में लंबित अपने छह प्रमुख व्यापारिक विवादों को आपसी सहमति से समाप्त करने का महत्वपूर्ण निर्णय लिया है। इस समझौते के परिणामस्वरूप, भारत ने उन जवाबी शुल्क (Retaliatory Tariffs) को हटा दिया है जो उसने अमेरिकी उत्पादों पर लगाए थे। इस कदम से भारतीय कृषि निर्यातकों के लिए अमेरिकी बाज़ार में प्रवेश के बड़े अवसर खुल गए हैं।
विवाद की पृष्ठभूमि और जवाबी शुल्क
इस व्यापारिक विवाद की जड़ें वर्ष 2018 में हैं, जब अमेरिका ने राष्ट्रीय सुरक्षा के आधार पर इस्पात (Steel) और एल्युमीनियम (Aluminium) उत्पादों पर क्रमशः 25 प्रतिशत और 10 प्रतिशत आयात शुल्क (Import Duty) लगाया था। अमेरिका के इस एकतरफा कदम के जवाब में, भारत ने जून 2019 में कुछ अमेरिकी उत्पादों पर जवाबी शुल्क लागू कर दिए थे। यह कार्रवाई विश्व व्यापार संगठन के नियमों के तहत की गई थी।जिन प्रमुख कृषि उत्पादों पर भारत ने जवाबी शुल्क लगाए थे, उनमें बादाम, अखरोट, सेब, चना और मसूर शामिल थे। इन उत्पादों पर अतिरिक्त टैरिफ की दरें 2 प्रतिशत से 20 प्रतिशत तक थीं, जिससे अमेरिकी उत्पादों का भारतीय बाज़ार में प्रवेश महंगा हो गया था। अब, छह डब्ल्यूटीओ विवादों के समाधान के बाद, भारत ने इन जवाबी टैरिफ को पूरी तरह से हटाने का फैसला किया है।
किन भारतीय उत्पादों को मिलेगा लाभ
हालांकि, भारत ने जवाबी टैरिफ अमेरिकी उत्पादों पर लगाए थे, लेकिन इस समझौते ने दोनों देशों के बीच व्यापारिक संबंधों को सामान्य करने का रास्ता खोला है, जिससे भारतीय कृषि निर्यात को अप्रत्यक्ष और दीर्घकालिक लाभ मिलने की उम्मीद है। व्यापारिक तनाव घटने से भारतीय निर्यातकों को एक महत्वपूर्ण वैश्विक बाज़ार में अपनी जगह बनाने में मदद मिलेगी।भारतीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने इस कदम को दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत बताया है। टैरिफ हटने से निर्यातकों के लिए परिचालन लागत कम होगी और भारतीय कृषि उत्पाद, विशेष रूप से चाय, कॉफी, मसाले, काजू और उच्च मूल्य वाले बागवानी उत्पाद अमेरिकी बाज़ार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकेंगे।
डब्ल्यूटीओ विवादों का व्यापक समाधान
भारत और अमेरिका द्वारा समाप्त किए गए छह डब्ल्यूटीओ विवादों में से तीन विवाद अमेरिका द्वारा और तीन भारत द्वारा शुरू किए गए थे। इन विवादों को डब्ल्यूटीओ विवाद समाधान तंत्र के बाहर आपसी सहमति से हल किया गया है, जो द्विपक्षीय व्यापार संबंधों में विश्वास बहाली को दर्शाता है।समाप्त किए गए प्रमुख डब्ल्यूटीओ विवादों में शामिल हैं:
- अमेरिका – भारत से कुछ हॉट रोल्ड कार्बन स्टील फ्लैट उत्पादों पर जवाबी उपाय (DS436)
- भारत – सौर सेल और मॉड्यूल से संबंधित कुछ उपाय (DS456)
- अमेरिका – नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र से संबंधित कुछ उपाय (DS510)
- भारत – निर्यात से संबंधित उपाय (DS541)
- अमेरिका – इस्पात और एल्युमीनियम उत्पादों पर कुछ उपाय (DS547)
ये विवाद कई वर्षों से दोनों देशों के बीच व्यापारिक अड़चन पैदा कर रहे थे। इन विवादों के समाधान से दोनों देश अब आगे बढ़ते हुए अपने द्विपक्षीय व्यापार को 132 बिलियन डॉलर (वर्तमान व्यापार मूल्य) से आगे बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं।
भविष्य के लिए व्यापारिक दृष्टिकोण
व्यापार विश्लेषकों का मानना है कि टैरिफ में इस छूट से भारतीय किसानों और निर्यातकों को बड़ी राहत मिलेगी। कृषि निर्यात के संबंध में, विशेषज्ञों ने कहा है कि यह कदम मसालों और चाय जैसे विशिष्ट उच्च-मूल्य वाले उत्पादों में भारत की स्थिति को मजबूत करेगा, जिससे बाज़ार में खोई हुई मांग फिर से हासिल हो सकती है। यह समझौता भारत और अमेरिका के बीच चल रही व्यापार वार्ता के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है। दोनों देश अब एक मजबूत आर्थिक साझेदारी बनाने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं, जिससे वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में स्थिरता और मज़बूती आ सके।इस खबर पर और अधिक जानकारी के लिए आप यह वीडियो देख सकते हैं।
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