कृषि वायदा कारोबार में तेज़ी, FPO को बेहतर मूल्य प्राप्ति के लिए मिल रहा प्रोत्साहन

Agri Business

मुंबई, 11 अगस्त (कृषि भूमि ब्यूरो):

भारत में कृषि वायदा कारोबार लगातार प्रगति कर रहा है और अब किसान उत्पादक संगठन (FPO) इस मंच का भरपूर लाभ उठा रहे हैं। एनसीडीईएक्स (नेशनल कमोडिटी एंड डेरिवेटिव एक्सचेंज) पर कृषि जिंसों का वायदा कारोबार बढ़ते हुए न केवल किसानों के लिए बेहतर मूल्य प्राप्ति का रास्ता खोल रहा है, बल्कि कृषि (Agriculture) व्यापार के औपचारिककरण में भी अहम भूमिका निभा रहा है। वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में 702 एफपीओ ने 11.6 लाख किसानों का प्रतिनिधित्व करते हुए विभिन्न कृषि जिंसों जैसे कपास, जीरा, अरंडी, धनिया, हल्दी, कपास खली और गार्ड बीज में वायदा कारोबार किया।

FPO की भूमिका और फायदे

कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि कमोडिटी एक्सचेंज के माध्यम से बिक्री से कृषि व्यापार में औपचारिकता आई है। अब, भुगतान सीधे एफपीओ के बैंक खातों में जाता है और साथ ही, सामूहिक रूप से किसान सदस्य अपने उत्पादों को एकत्रित कर बिक्री कर सकते हैं। इससे न केवल व्यापार पारदर्शी हुआ है, बल्कि मूल्य निर्धारण में भी पारदर्शिता बढ़ी है।

वायदा कारोबार से बेहतर मूल्य प्राप्ति

राजस्थान के जोधपुर स्थित मंडोर किसान उत्पादक कंपनी के सीईओ गणपतराम चौधरी ने बताया, “कमोडिटी एक्सचेंज पर जीरा या अरंडी बेचने से हमें व्यापारियों से मिलने वाली कीमतों से लगभग 10% अधिक मूल्य प्राप्त हुआ है।” इस कंपनी ने वित्त वर्ष 2025 में 2.25 करोड़ रुपये का विक्रय कारोबार किया, जिसमें से 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार NCDEX प्लेटफॉर्म पर हुआ। चालू वित्त वर्ष में, उनका लक्ष्य इस प्लेटफॉर्म पर 4 करोड़ रुपये का कारोबार करने का है, और पहले ही तिमाही में 1.5 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ है।

नीतिगत समर्थन और भविष्य की दिशा

कृषि वायदा कारोबार में बढ़ती रुचि के बीच, किसान समूहों ने सरकार से और अधिक कृषि वस्तुओं के लिए वायदा कारोबार खोलने की अपील की है। भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने हाल ही में 7 कृषि वस्तुओं के डेरिवेटिव अनुबंधों की व्यापार प्रतिबंध अवधि को 31 मार्च 2026 तक बढ़ा दिया है, जिससे इन वस्तुओं के कारोबार में और भी वृद्धि की उम्मीद है।

वित्त वर्ष 2025 में, 340 एफपीओ ने 10 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया, और 1,100 से अधिक किसान समूहों ने 1 करोड़ रुपये से अधिक का कारोबार किया। इन समूहों का संचयी कारोबार 15,282 करोड़ रुपये को पार कर चुका है। वर्तमान में, 9,450 से अधिक एफपीओ सरकार के ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म ONDC से जुड़े हैं, और 200 से अधिक समूह अपने उत्पाद GeM जैसे प्लेटफॉर्म पर बेच रहे हैं। इसके साथ ही, अमेज़न और फ्लिपकार्ट जैसे बड़े प्लेटफॉर्म पर भी कृषि उत्पादों की बिक्री बढ़ी है।

FPO गठन की योजना

कृषि मंत्रालय ने अगले तीन वर्षों में 10,000 नए FPO के गठन की योजना बनाई है, ताकि स्थानीय एकत्रीकरण के माध्यम से किसानों की सामूहिक सौदेबाजी शक्ति बढ़ाई जा सके और उत्पादन लागत को कम किया जा सके। इसके लिए प्रति एफपीओ 18 लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता का प्रावधान किया गया है। साथ ही, प्रत्येक किसान सदस्य को 2,000 रुपये तक का समतुल्य इक्विटी अनुदान प्रदान किया जाएगा, और एफपीओ के लिए 2 करोड़ रुपये तक का परियोजना ऋण भी उपलब्ध रहेगा।

इस योजना का उद्देश्य FPO के माध्यम से कृषि उत्पादों के विपणन को बढ़ावा देना है। इसके तहत क्लस्टर-आधारित व्यावसायिक संगठनों को पांच वर्षों तक प्रति एफपीओ 25 लाख रुपये की सहायता दी जाएगी। इस योजना के लिए 6,865 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है, जो वित्त वर्ष 2026 तक लागू रहेगा।

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