नई दिल्ली: देश के मसाला बाजार में जीरे (Cumin) ने एक बार फिर से तेजी की रफ्तार पकड़ ली है। पिछले एक हफ्ते के दौरान जीरे की कीमतों में 6 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि दर्ज की गई है। बाजार विश्लेषकों के मुताबिक यह उछाल हार्मोनिक पैटर्न के बनने और कुछ तकनीकी संकेतों के चलते आया है।
विशेषज्ञों का मानना है कि यह तेजी केवल तकनीकी कारणों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसमें जियो-पॉलिटिकल टेंशन (भूराजनीतिक तनाव) का भी असर है। निर्यात की मांग में सुधार और आपूर्ति से जुड़ी चुनौतियों ने भी बाजार में तेजी को बल दिया है।
एक साल में ₹60,000 से ₹20,000 तक गिरा था जीरा
हालांकि, पिछले एक साल में जीरे की कीमतों ने एक बड़ा उतार-चढ़ाव देखा है। जहां एक समय इसकी कीमत ₹60,000 प्रति क्विंटल तक पहुंच गई थी, वहीं बाद में यह ₹20,000 तक गिर गई। इस भारी गिरावट के पीछे मुख्य कारण ओवरस्टॉकिंग और घरेलू मांग में कमी मानी जा रही है।
अब आगे क्या?
कमोडिटी बाजार के जानकारों के अनुसार, मौजूदा तेजी अल्पकालिक हो सकती है लेकिन अगर निर्यात मांग बनी रहती है और मानसून सामान्य रहता है, तो जीरे की कीमतें और ऊपर जा सकती हैं। हालांकि, ओवर स्टॉकिंग की स्थिति और घरेलू खपत में सुस्ती कीमतों पर फिर से दबाव बना सकती है।
बाजार विशेषज्ञों की राय
कमोडिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि “जीरा बाजार में तकनीकी सुधार देखा जा रहा है। हार्मोनिक पैटर्न के अनुसार यह तेजी आई है, लेकिन इसके साथ ही अंतरराष्ट्रीय बाजार की स्थिति और घरेलू सप्लाई चेन पर भी नजर रखनी होगी।”