मुंबई, 26 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): शिकागो बोर्ड ऑफ ट्रेड (CBOT) में सोया ऑयल वायदा बुधवार को ऊँचे स्तर पर बंद हुआ। बाजार में यह तेजी मुख्य रूप से छुट्टियों से पहले की शॉर्ट कवरिंग के कारण देखने को मिली, जिससे हाल के साइडवेज़ ट्रेंड को मजबूती मिली। ट्रेडर्स ने लंबी छुट्टियों से पहले अपने शॉर्ट पोज़िशन कवर करना बेहतर समझा, जिससे कीमतों को अस्थायी सहारा मिला।
मार्केट एक्सपर्ट्स के मुताबिक, यह बढ़त तकनीकी कारणों से प्रेरित रही, न कि मजबूत फंडामेंटल बदलावों से। सोया तेल बाजार में अब भी सप्लाई पर्याप्त है और वैश्विक मांग में कोई बड़ा उछाल देखने को नहीं मिला है। यही वजह है कि विश्लेषक इस तेजी को फिलहाल रिलीफ रैली मान रहे हैं।
फंडामेंटल्स क्यों हैं कमजोर?
वैश्विक स्तर पर सोयाबीन क्रशिंग स्थिर बनी हुई है, जिससे सोया तेल की उपलब्धता पर कोई बड़ा दबाव नहीं है। इसके अलावा, पाम ऑयल और सनफ्लावर ऑयल जैसे वैकल्पिक खाद्य तेलों से प्रतिस्पर्धा भी बनी हुई है। बायोडीजल सेक्टर से मांग को लेकर भी बाजार में फिलहाल स्पष्ट संकेत नहीं हैं, जिससे लॉन्ग-टर्म सपोर्ट सीमित नजर आ रहा है।
ट्रेडर्स का कहना है कि हाल के सत्रों में सोया तेल ने एक संकीर्ण दायरे में कारोबार किया था। छुट्टियों से पहले कम ट्रेडिंग वॉल्यूम और पोज़िशन एडजस्टमेंट के चलते शॉर्ट कवरिंग ने कीमतों को ऊपर धकेला। हालांकि, नई लॉन्ग पोज़िशन लेने को लेकर बाजार अब भी सतर्क है।
विशेषज्ञों का मानना है कि जब तक डिमांड साइड से ठोस संकेत नहीं मिलते या बायोडीजल नीतियों में कोई बड़ा बदलाव नहीं होता, तब तक CBOT सोया तेल में तेज और टिकाऊ तेजी की संभावना सीमित रहेगी। छुट्टियों के बाद ट्रेडिंग वॉल्यूम बढ़ने पर बाजार की दिशा ज्यादा स्पष्ट हो सकती है।
भारतीय खाद्य तेल बाजार पर क्या असर पड़ेगा?
CBOT सोया तेल में आई यह तेजी भले ही तकनीकी और अल्पकालिक हो, लेकिन इसका असर भारतीय खाद्य तेल बाजार पर साफ दिख सकता है। भारत दुनिया का सबसे बड़ा खाद्य तेल आयातक है और घरेलू बाजार अंतरराष्ट्रीय कीमतों के संकेतों पर तेज प्रतिक्रिया देता है।
हाल के महीनों में भारत में सोया तेल, पाम तेल और सनफ्लावर तेल की उपलब्धता अपेक्षाकृत सहज बनी हुई है। आयात शुल्क में किसी बड़े बदलाव की अनुपस्थिति और बंदरगाहों पर पर्याप्त स्टॉक के कारण कीमतों पर फिलहाल बड़ा दबाव नहीं है। ऐसे में CBOT सोया तेल में आई यह तेजी घरेलू बाजार में तेज उछाल की बजाय सीमित रिकवरी के रूप में दिख सकती है।
व्यापारियों के अनुसार, अगर अंतरराष्ट्रीय बाजार में यह तेजी टिकाऊ नहीं रहती और छुट्टियों के बाद फिर से कमजोरी आती है, तो भारतीय रिफाइंड सोया तेल की कीमतों पर इसका असर सीमित ही रहेगा। हालांकि, अगर अमेरिका या दक्षिण अमेरिका में मौसम से जुड़ी कोई नकारात्मक खबर आती है, तो आयात आधारित बाजार में अस्थिरता बढ़ सकती है।
भारतीय वायदा बाजार में MCX पर क्रूड पाम ऑयल (CPO) और NCDEX पर सोयाबीन व रिफाइंड ऑयल कॉम्प्लेक्स पर नजर रखने वाले ट्रेडर्स के लिए CBOT सोया तेल की चाल अहम संकेत देती है।
MCX CPO पर असर अप्रत्यक्ष रूप से पड़ता है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय खाद्य तेल बाजार में सोया तेल और पाम तेल के बीच प्रतिस्पर्धात्मक संबंध है। अगर CBOT सोया तेल में मजबूती बनी रहती है, तो पाम ऑयल पर बिकवाली का दबाव कुछ कम हो सकता है। हालांकि, मलेशियाई पाम ऑयल उत्पादन और निर्यात डेटा फिलहाल ज्यादा निर्णायक भूमिका निभा रहा है।
NCDEX सोयाबीन और इसके उत्पादों पर असर अपेक्षाकृत सीमित रहने की संभावना है। भारत में सोयाबीन की आवक, प्रोसेसिंग मार्जिन और घरेलू मांग अभी प्रमुख ड्राइवर बने हुए हैं। CBOT सोया तेल की यह तेजी अगर लंबी नहीं टिकती, तो NCDEX पर इसे ट्रेंड-चेंजर की बजाय सेंटिमेंट-सपोर्ट माना जाएगा।
ट्रेडर्स और मिलर्स के लिए संकेत
विशेषज्ञों के अनुसार, मौजूदा हालात में भारतीय बाजार में आक्रामक लॉन्ग पोज़िशन लेने से पहले सावधानी जरूरी है। शॉर्ट कवरिंग से आई तेजी अक्सर टेम्पररी होती है, और छुट्टियों के बाद वॉल्यूम लौटने पर अंतरराष्ट्रीय बाजार फिर से फंडामेंटल्स पर फोकस करता है। अगर आने वाले दिनों में अमेरिकी क्रश डेटा में मजबूती, बायोडीजल नीति से जुड़ा कोई नया संकेत या दक्षिण अमेरिका में मौसम संबंधी जोखिम सामने आता है, तभी CBOT की तेजी भारतीय बाजार में मजबूत ट्रेंड में बदल सकती है।
कुलमिलाकर, CBOT सोया तेल में मौजूदा तेजी भारतीय खाद्य तेल बाजार के लिए चेतावनी से ज्यादा संकेत है। फिलहाल यह तेजी MCX और NCDEX पर बड़े ब्रेकआउट का आधार नहीं बनती, लेकिन अंतरराष्ट्रीय बाजार में अस्थिरता बढ़ने पर घरेलू कीमतों में तेज उतार-चढ़ाव से इनकार नहीं किया जा सकता।
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