भागलपुर, 18 दिसंबर (कृषि भूमि ब्यूरो): बिहार के भागलपुर जिले में कृषि सुधार की दिशा में एक अहम पहल शुरू की गई है। जिला कृषि विभाग ने किसानों के भूमि अभिलेख (लैंड रिकॉर्ड) को डिजिटल रूप में दर्ज करने की प्रक्रिया तेज कर दी है। इस कदम का मकसद किसानों को सरकारी योजनाओं, सब्सिडी और वित्तीय सहायता से सीधे और पारदर्शी तरीके से जोड़ना है।
किसानों को क्या होगा फायदा
डिजिटल लैंड रिकॉर्ड के जरिए किसानों की जमीन से जुड़ी जानकारी एक केंद्रीकृत डिजिटल प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी। इससे फसल बीमा, प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि, खाद-बीज सब्सिडी और कृषि ऋण जैसी योजनाओं में पात्रता की जांच आसान हो जाएगी। किसानों को बार-बार कागजी दस्तावेज जमा करने की जरूरत नहीं पड़ेगी।
पारदर्शिता और समय की बचत
कृषि विभाग के अधिकारियों के अनुसार, भूमि रिकॉर्ड डिजिटाइज होने से न केवल भ्रष्टाचार और गड़बड़ियों पर रोक लगेगी, बल्कि किसानों और प्रशासन—दोनों का समय भी बचेगा। जमीन के स्वामित्व से जुड़े विवादों के समाधान में भी यह प्रणाली सहायक साबित होगी।
किसान रजिस्ट्री से जोड़ा जाएगा डेटा
इस पहल को राज्य सरकार की किसान रजिस्ट्री से जोड़ा जा रहा है, ताकि हर किसान की प्रोफाइल में उसकी जमीन, फसल पैटर्न और सरकारी लाभों का पूरा विवरण एक जगह उपलब्ध रहे। इससे भविष्य में कृषि योजनाओं की निगरानी और नीति निर्माण भी अधिक सटीक हो सकेगा।
प्रशासन का दावा
प्रशासन का कहना है कि पहले चरण में चयनित प्रखंडों में डिजिटल एंट्री का काम शुरू किया गया है, जिसे चरणबद्ध तरीके से पूरे जिले में लागू किया जाएगा। अधिकारियों का दावा है कि इस व्यवस्था से किसानों को दफ्तरों के चक्कर लगाने से मुक्ति मिलेगी और सरकारी सहायता समय पर सीधे उनके खाते तक पहुंचेगी।
भागलपुर में लैंड रिकॉर्ड का डिजिटलीकरण न सिर्फ प्रशासनिक सुधार है, बल्कि किसानों के लिए भरोसे, पारदर्शिता और सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है।
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